इस समय किसानों की रोजीरोटी खतरे में है. जंगल उजाड़ कर कंक्रीट के जंगल उगाए जा रहे हैं. इस से एक ओर जहां पर्यावरण बिगड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर हमारी सेहत भी संकट में है. ऐसे में जरूरी है कि खेती इस तरह से की जाए, जिस से न सिर्फ पर्यावरण सुरक्षित रहे, बल्कि सेहत और आमदनी भी सही रहे. ऐसा लाख की खेती से हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि क्या है लाख, कैसे होगी इस की खेती और कैसे मिलेगी इस से भरपूर आमदनी.
क्या है लाख : यह एक कुदरती राल होता है, जो कैरिका लैक्का नाम के मादा कीट द्वारा खासतौर पर प्रजनन के बाद स्राव के फलस्वरूप बनता है. इस कीट को कुछ खास पेड़ों की टहनियों पर पालते हैं. दरअसल, लाख का कीट अपने शरीर की हिफाजत करने के लिए एक प्रकार का तरल पदार्थ छोड़ता है, जो सूख कर कवच बना लेता है और उसी के भीतर कीट जीवित रहता है. इसी कवच को लाख कहा जाता है.
इसे दवा उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, सौंदर्य प्रसाधन उद्योग, विद्युत उद्योग, चमड़ा उद्योग, सूक्ष्म रसायन उद्योग व दूसरे कई उद्योगों में इस्तेमाल किया जाता है. झारखंड में इस की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. वैसे अब इस का दायरा कई राज्यों में बढ़ता जा रहा है.
कितनी तरह का होता है लाख : लाख के कीट 2 तरह के होते हैं, जिन्हें रंगीनी और कुसुमी कहते हैं. रंगीनी लाख की फसल ज्यादातर पलाश व बेर पर लेते हैं. इस के साथ ही रंगीनी लाख की फसल को संदन व पीपल पर भी लेते हैं. कुसुमी लाख की फसल को ज्यादातर कुसुम व बेर पर लेते हैं. बेर, आकाशमनी, गलगांव, भलिया, पुतरी व खैर जैसे पौधों पर दोनों में से कोई भी एक कीट लगा सकते हैं.
कैसे होगी इस की खेती : लाख कीट पालन के कुल 6 चरण होते हैं, पहला पेड़ों की काटछांट, दूसरा कीटों का उन पर फैलाव, तीसरा फुंकी उतारना (कीटों के फैलाव के 15 दिनों बाद बची हुई लाख की डंडी फुंकी कहलाती है), चौथा दवा का छिड़काव, पांचवां फसल की कटाई और छठवां लाख की छिलाई.
लाख की फसल पेड़ों के 2 खंड बना कर करते हैं. पहली फसल पहले खंड में और अगली फसल दूसरे खंड में लेते हैं. इस से पेड़ तंदुरुस्त रहता है व उसे आराम करने का मौका भी मिल जाता है. पेड़ों की कांटछांट सूखी व टूटीफूटी टहनियों को हटाने के लिए करते हैं. तकरीबन 2 से 2.5 सेंटीमीटर व्यास की टहनियों को तकरीबन 1-1.5 फुट की ऊंचाई से लंबे हत्थेदार प्रूनर से फरवरी या जुलाई में काटते हैं. कीटों के फैलाव के लिए लाख के बीजों के बंडल बना कर पेड़ों की कई डालियों पर बांध दिए जाते हैं.
क्या है बीहन यानी बीज : बीहन लाख में मौजूद कीट जिंदा होने चाहिए. इस की पहचान है कि लाख के ऊपर कीट द्वारा निकाले गए सफेद मोम जैसे धागे साफ दिखाई देने चाहिए. पपड़ी के भीतर लाख कीट खून की तरह लाल होना चाहिए. लाख की पपड़ी मोटी होनी चाहिए. लाख की पपड़ी में शत्रु कीट नहीं होने चाहिए. यदि डंडियों पर कुछ जाल जैसा फैला हो, गुंबद के आकार का उठा हो या फिर कई जगहों पर छेद दिखाई दें तो समझें कि बीहन लाख दुश्मन कीटों से प्रभावित है.
जुलाई में बीहन लेते समय देखना चाहिए कि उस में से शिशु कीट बाहर नहीं आए हों. अगर आए भी हों, तो बहुत कम हों, लेकिन अक्तूबर और फरवरी में बीहन खरीदते समय शिशु कीट बाहर चलते दिखाई पड़ें तो अच्छा रहेगा.
कहां मिलेंगे बीहन (बीज) : बीजों के लिए आप रांची स्थित ‘इंडियन इंस्टीट्यूट आफ नेचुरल रेजिन एंड गम्स’ जिसे पहले ‘भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान’ के नाम से जानते थे, से संपर्क कर सकते हैं. वैसे बीहन के लिए झारखंड के ऐसे क्षेत्रों में भी संपर्क किया जा सकता है, जहां पर इस की खेती बड़े पैमाने पर की जाती हो. इस के अलावा आप इलाहाबाद के बायोवेद कृषि एवं प्रोद्योगिकी शोध संस्थान 103/42 मोतीलाल नेहरू रोड, निकट प्रयाग स्टेशन से भी संपर्क कर सकते हैं.
कैसे होगा रोगों और कीटों से बचाव : लाख कीट के प्रमुख शत्रु कीट सफेद पिल्लू व काले पिल्लू हैं, जो लाख की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. ये पिल्लू बाद में तितली बन कर नई लाखयुक्त टहनियों पर अंडे देते हैं. इन के अलावा कुछ और कीट जैसे यूरीटोमा व ब्रेकीमेरिया आदि भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं.
दुश्मन कीट होने पर किसी कीटनाशी जैसे डाइक्लोरोवास 76 ईसी का इस्तेमाल करना चाहिए. कभीकभी कुछ फफूंदी लाख फसल में दिखाई पड़ती है, जिस की रोकथाम के लिए किसी कवकनाशी जैसे कार्बंडाजिम का छिड़काव करना चाहिए.
रंगीनी बैशाखी फसल में शत्रु कीट से बचाव के लिए कीटनाशी का इस्तेमाल नवंबर के दूसरे या तीसरे हफ्ते और फरवरी के पहले हफ्ते में करते हैं, जबकि रंगीनी कतकी फसल में अगस्त के पहले हफ्ते में करते हैं. कुसुमी जेठवी फसल में फुंकी उतारने के बाद फरवरी के आखिरी हफ्ते या मार्च के पहले हफ्ते में किसी हलके कीटनाशी और फफूंदनाशी का साथ में छिड़काव करना चाहिए.
दुश्मन कीटों की मौजूदगी का अंदाजा हम लाख पपड़ी में छेद, गुंबदनुमा बनावट या खोखली पपडि़यों से लगा सकते हैं. दुश्मन कीटों का पता लगाने के लिए करीब 1 फुट लंबी कीट युक्त टहनी कांच के गिलास में रख कर कपड़े से ढक कर रबर बैंड लगा दें. 2-3 दिनों के बाद इस में यदि छोटेछोटे कीट उड़ते दिखाई दें, तो समझें कि इस में दुश्मन कीटों का हमला हो चुका है.
दीमक की समस्या : जिन पेड़ों पर दीमक की समस्या हो, उन में कांटछांट कर दें और पेड़ों की छाल से दीमक की पपडि़यों को अलग कर के उस में क्लोरोपायरीफास नामक दवा का छिड़काव 20 से 25 दिनों के अंतराल पर 2-3 बार करें.
दुश्मन कीटों का हमला न होने देना बेहतर : हमारी पूरी कोशिश यह होनी चाहिए कि लाख की फसल में दुश्मन कीटों का प्रकोप न होने पाए. इस के लिए हमें शुरू में ही नाइलान की जाली का इस्तेमाल करना चाहिए.
कटाई और छिलाई : फसल की कटाई 2 प्रकार से की जाती है यानी अपरिपक्व दशा में और परिपक्व दशा में. अपरिपक्व लाख को अरी लाख कहते हैं. इस की कटाई पलाश या बेर के पेड़ पर अप्रैल के आखिरी हफ्ते में करते हैं. ऐसा करने से फसल को ज्यादा गरमी और दुश्मन कीटों से बचाया जा सकता है. परिपक्व फसल की कटाई गरमी के मौसम में पीला धब्बा देख कर करते हैं. शीतकाल में अगहनीकतकी फसल की कटाई शिशु कीट निकलने पर सिकेटियर के जरीए करते हैं. कुल फसल का 80 फीसदी हिस्सा स्क्रैपर की सहायता से छील कर जमा कर लेते हैं. इस के बाद इसे बेच देते हैं. बचे हुए 20 फीसदी हिस्से को बीहन लाख के लिए दूसरे भाग में तैयार पेड़ों पर फैलाते हैं.
ध्यान रखने वाली बातें
* लाख की खेती शुरू करने के लिए लाख पोशक पेड़ और बीहन लाख जरूर होना चाहिए. इस के अलावा इस की खेती में इस्तेमाल होने वाले यंत्र जैसे सिकेटियर, छोटी व बड़ी दांवली, कुल्हाड़ी, प्लास्टिक की सुतली व नाइलान की जाली वगैरह भी होना चाहिए.
* ठंड के दिनों में कभीकभी कुहासा पड़ता है, तब लाख कीट मीठा रस छोड़ता है, जिस के कारण उस में फफूंद लग जाता है. कुहासा पड़ने पर यह मीठा रस सूखता नहीं और फफूंद का प्रकोप बढ़ जाता है, जो लाख कीट के सांस लेने वाले छेद को बंद कर देता है. नतीजतन, उस की मौत हो जाती है. लिहाजा, इस की रोकथाम के लिए किसी फफूंदीनाशी का छिड़काव जरूर कर देना चाहिए. इस से बचाव के लिए लाख के पेड़ों के नीचे सूखी पत्तियां आदि इकट्ठा कर के जलाएं. ध्यान रखें कि सिर्फ धुआं निकले, आग की लपटें न निकलें. इस से कुहासे का असर काफी कम हो जाता है.
* गरमी में फसल को धूप से बचाने के लिए फरवरीमार्च में लाख लगी टहनी के बगल वाली पुरानी टहनियों को काट देते हैं, जिस से अप्रैलमई में बगल की टहनी पर हरे पत्ते निकलने लगेंगे, जो लाख की फसल पर छतरी जैसा काम करेंगे.
क्या कहते हैं माहिर
लाख की खेती में छिपी संभावनाओं के बारे में इलाहाबाद स्थित बायोवेद कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक डा. बीके द्विवेदी कहते हैं, ‘लाख की खेती से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक ओर आत्मनिर्भरता बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर लाख के कुटीर उद्योगों की संभावनाएं पैदा हुई हैं. इस से इन क्षेत्रों में रहने वाले बेरोजगार लोगों को घर बैठे रोजगार के साधन मुहैया होंगे. लाख के तमाम इस्तेमाल हैं, इस की कोटिंग यदि किसी वस्तु पर कर देते हैं, तो उस पर दीमक आदि का हमला नहीं होता है. लाख से रोजाना इस्तेमाल के तमाम घरेलू सामान भी बनाए जा सकते हैं, जो देखने में अच्छे होने के साथसाथ टिकाऊ भी होते हैं.