राजस्थान के जोधुपर जिले के भोपालगढ़ क्षेत्र में पालड़ी राणावता गांव के प्रगतिशील किसान ओम गिरि के पास परिवार की 100 बीघे जमीन है, जिस में से 40 बीघे में उन्होंने कपास की खेती में नवाचारों से ज्यादा पैदावार कर के फायदा उठाया है.

ओम गिरी जैव तकनीक यानी बायोटैक्नोलौजी से विकसित राशि 134, अंकुर, कृषि धन, सरपास 700 फीसदी माहिको वगैरह कपास की बीटी किस्मों का इस्तेमाल करते हैं, जिस से कपास की फसल पर लट कीट का असर नहीं होता है. वे बीजों का बोआई से पहले उपचार करते हैं. वे पड़ोसी किसानों की मदद भी करते हैं. वे गोबर की खाद को सड़ा कर इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने खेत में कंपोस्ट के गड्ढे बना कर रखे हैं. कंपोस्ट के इस्तेमाल से दीमक भी नहीं लगती और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बनी रहती है.

वे कपास की बोआई के लिए जमीन की जांच के आधार पर उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं. वे खड़ी फसल में रस चूसक कीटों की रोकथाम ईटीएल के आधार पर करते हैं. इस के तहत वे पहला छिड़काव इमिडाक्लोप्रिड 17.8 (1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी), दूसरा छिड़काव एसीफेट (1 ग्राम प्रति लीटर पानी) व तीसरा छिड़काव नीम आधारित दवा (एजाडिरेक्टीन) का करते हैं, जिस से रस चूसक कीट सफेदमक्खी, हरा तेला और थ्रिप्स की रोकथाम हो जाती है. फसल के लिए संतुलित उर्वरक एनपीके 18:18:18 के 1 फीसदी घोल का छिड़काव करते हैं. फूल गिरने की समस्या को रोकने के लिए प्लानोफिक्स 4 मिलीलीटर प्रति 15 लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करते हैं. इस से फसल के सूखने की शिकायत नहीं रहती.

कपास (Cotton)

अच्छी क्वालिटी की खेती के लिए जरूरी है कि कपास की चुनाई 50 फीसदी डोडे खिलने पर शुरू करें. पूरी तरह खिले डोडे से ही चुनाई करें. चुनाई सुबह ओस सूखने के बाद शुरू करें. चुनाई करते वक्त सिर को कपड़े से ढक लें ताकि कपास में बाल न मिलें. चुनाई करते समय कपास में पत्तियां न मिलने दें. चुनाई नीचे के डोडे से शुरू करें. कपास की चुनाई प्लास्टिक के थैले की बजाय सूती कपड़े में करें. चुनी कपास में पानी न मिलाएं. जमीन पर गिरी कपास को अच्छी तरह चुनें. चुनाई करते वक्त बीड़ीसिगरेट न पीएं व खानापीना न खाएं. चुनी कपास को सूती कपड़े या तिरपाल पर ढक कर रखें. भंडारित कपास को आग व पानी से बचाएं. अंतिम चुनाई की कपास अलग से इकट्ठा करें.

गुणवत्ता वाली साफ कपास का बाजार में 100 से 200 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा मिलता है.

कपास में नवाचारों से ओम गिरी ने कपास का उत्पादन 7 क्विंटल प्रति बीघा यानी तकरीबन 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हासिल किया है, जो रिकार्ड उत्पादन है. जोधपुर जिले में सब से ज्यादा यानी 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से कपास का उत्पादन लेने के कारण भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ, कपास विकास और अनुसंधान संगठन ने हाल ही में विजयनगर में ओम गिरी को नकद राशि और प्रशस्तिपत्र दे कर सम्मानित किया है.

कपास (Cotton)

इस तरह ओम गिरी ने कपास में नवाचार जैव तकनीक से उन्नत किस्म का कपास हासिल कर के ज्यादा मुनाफा कमाया है और दूसरे किसानों को भी इस की जानकारी दी है.

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