देशभर के किसानों के हक की लड़ाई लड़ रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 50 दिनों से भी अधिक समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी बौर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं. उन की स्थिति अब अत्यंत गंभीर हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने भी पंजाब सरकार से उन की सेहत को लेकर रिपोर्ट मांगी है. सरकार की चुप्पी और टालमटोल नीति के कारण किसान समुदाय में गहरी चिंता व्याप्त है कि अगर जगजीत डल्लेवाल कुछ हुआ तो किसान आंदोलन उग्र रूप ले सकता है. अगर ऐसा हुआ तो स्थिति कहीं अधिक खराब हो सकती है. पंजाब सरकार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने जानकारी दी कि उन्हें नजदीक ही एक अस्थाई अस्पताल में शिफ्ट किया गया है. और केंद्र सरकार के साथ किसानों की बात भी चल रही है. जो भी हो, यह बहुत ही दुखद बात है कि किसानों को अपनी बात रखने के लिए उन्हें अपनी जान तक देनी पड़ रही है.

इस विकट स्थिति को लेकर अखिल भारतीय किसान महासंघ (आईफा) के राष्ट्रीय संयोजक डा. राजाराम त्रिपाठी ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को आज पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. डा. त्रिपाठी, राष्ट्रीय संयोजक अखिल भारतीय किसान महासंघ ‘आईफा’ ने कहा कि “संवाद से समाधान निकलता है, लेकिन अब सबसे पहले डल्लेवाल के जीवन की रक्षा करना जरूरी है.

किसानों की आवाज को बारबार अनसुना करने से उन की पीड़ा हल नहीं होगी. यदि किसानों को उन का न्यायोचित अधिकार नहीं मिला तो यह देश के कृषि तंत्र के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा.”

उन्होंने याद दिलाया कि जब प्रधानमंत्री जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने स्वयं किसानों के हितों के लिए मुखर होकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के महत्व की वकालत की थी और आज वही किसान आप के भरोसे की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं.

मांगें सिर्फ किसानों की नहीं, देश की जरूरत हैं

देश के किसान न सिर्फ अपने परिवार बल्कि समूचे राष्ट्र को जीवनदायिनी अन्न उपलब्ध कराते हैं. उन के हितों की अनदेखी करना “ऊसर खेत में हरियाली की उम्मीद” करने जैसा है. एमएसपी की गारंटी न होने से किसानों को उन की उपज का सही मूल्य नहीं मिल पाता, जिस से कर्ज और आत्महत्या की समस्या और बढ़ जाती है.

डॉ. त्रिपाठी ने आगे कहा, “सरकार को चाहिए कि संवेदनशीलता का परिचय देते हुए तुरंत पहल करे. डल्लेवाल का जीवन बचाना और किसानों की न्यायोचित मांगों पर सकारात्मक कदम उठाना न केवल राजनीतिक बल्कि मानवीय जिम्मेदारी भी है. हमारी महासंघ की ओर से हर सहयोग के लिए हम तत्पर हैं.”

अंततः यह सुनिश्चित करना कि देश का किसान सम्मान के साथ जीवित रह सके, राष्ट्र के विकास की सबसे मजबूत नींव है.

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