हैदराबाद : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग ने इंडियन इम्यूनोलौजिकल्स लिमिटेड और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से पिछले दिनों हैदराबाद में “महामारी की तैयारी और वैक्सीन नवाचार पर सम्मेलन” का आयोजन किया.

इस सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में नीति आयोग के सदस्य स्वास्थ्य प्रो. डा. विनोद के. पौल ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भविष्य की महामारियों से अच्छी तरीके से निबटने के लिए हमें पशु चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि इस में उभरती बीमारियों का शीघ्र पता लगाने और तेजी से प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए नैदानिक सुविधाओं को बढ़ाना शामिल है. अगली पीढ़ी के पशु टीकों के विकास और उत्पादन के लिए उन्नत प्लेटफार्मों की स्थापना के महत्व पर भी उन्होंने जोर दिया, जो कि जूनोटिक रोगों के फैलाव को रोकने, पशु और इनसानी सेहत दोनों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं.

इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि इन महत्वपूर्ण घटकों को मजबूत करने के पीछे ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के तहत एक लचीला स्वास्थ्य देखभाल ढांचा बनाने के बड़े लक्ष्य के साथ मिल कर चलना है.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने कहा कि सरकार को बेहतर उत्पादकता के लिए पशु स्वास्थ्य पर अधिक खर्च करने की आवश्यकता है और अंतिम छोर तक डिलीवरी को प्रभावी बनाने के लिए आपूर्ति श्रंखला और कोल्ड चेन प्रणालियों में भी सुधार करने की जरूरत है.

पशुपालन आयुक्त डा. अभिजीत मित्रा ने पशुओं के लिए टीकों की सुरक्षा और पूर्वयोग्यता सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया.

इस सम्मलेन का उद्देश्य ‘वन हेल्थ’ के विभिन्न पहलुओं की समझ को बढ़ावा देना था, जिस में टीकाकरण कार्यक्रमों को बढ़ाने, पशुधन के स्वास्थ्य में सुधार, महामारी की तैयारी के लिए लचीली आपूर्ति श्रंखलाओं को बनाना, महामारी प्रतिक्रियाओं को मजबूत करना, रोग निगरानी को आगे बढ़ाना और टीका परीक्षण को सुव्यवस्थित करना, स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देना, कोशिका और जीन थेरेपी टीकों और अनुमोदन के लिए नियामक मार्गों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल था.

इस कार्यक्रम में पशुपालन एवं डेयरी विभाग के संयुक्त सचिव रमाशंकर सिन्हा, इंडियन इम्यूनोलौजिकल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डा. के. आनंद कुमार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव डा. संजय शुक्ला, निवेदी के निदेशक डा. बीआर गुलाटी सहित स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विशेषज्ञ, वैक्सीन उद्योग, सीडीएससीओ आदि के सदस्य भी उपस्थित थे.

भारत : वैश्विक वैक्सीन हब

भारत को वैश्विक टीकाकरण केंद्र के रूप में जाना जाता है, जिस में 60 फीसदी  से अधिक टीके भारत में बनते हैं और 50 फीसदी  से अधिक टीका निर्माता हैदराबाद से टीकों का उत्पादन  करते हैं.

पशुपालन एवं डेयरी विभाग, केंद्र सरकार से सौ फीसदी वित्तीय सहायता के साथ पशुधन में दुनिया का सब से बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम लागू कर रहा है, जिस में खुरपकामुंहपका रोग के 102 करोड़ टीकाकरण किए गए. वहीं ब्रुसेलोसिस के 4.23 करोड़ टीकाकरण किए गए.

दूसरी ओर, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स यानी पीपीआर के 17.3 करोड़ टीकाकरण किए गए, क्लासिकल स्वाइन फीवर के 0.59 करोड़ टीकाकरण किए गए और लंपी स्किन डिजीज के 26.38 करोड़ टीकाकरण किए गए के लिए साझा पैटर्न शामिल हैं, जिस के तहत प्रत्येक पशु को भारत पशुधन यानी राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन में दर्ज एक विशिष्ट पहचान संख्या प्राप्त होती है, जो टीकाकरण कार्यक्रम पर नजर रखती है और पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित करती है. इस तरह के टीकाकरण कार्यक्रमों से देश में प्रमुख पशु रोगों की घटनाओं में काफी कमी आई है.

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