यदि कोई आप से पूछे कि क्या आप ने काले रंग का टमाटर खाया है तो यह सुन कर आप सोचेंगे कि यह कैसा भद्दा मजाक है. आप खाने की बात कर रहे हैं और हम ने तो अभी तक इस रंग का टमाटर देखा भी नहीं है. काला टमाटर खाने में लाल टमाटर की तरह जायकेदार होने के साथ ही कई तरह की बीमारियों को भी दूर करता है. इस टमाटर की खासीयत यह है कि इस को शुगर और दिल के मरीज भी बिना हिचक खा सकते हैं.
आने वाले दिनों में बाजार में काला टमाटर आम हो जाएगा, जैसे अभी तक लाल टमाटर है. काला टमाटर अभी तक देश में पैदा नहीं होता था, लेकिन कुछ लोग विदेश से इस के बीज मंगवा कर टमाटर की खेती प्रायोगिक तौर पर कर रहे हैं, जिस के नतीजे काफी अच्छे हैं. काला टमाटर खरीदारों को खूब लुभा रहा है, जिस के चलते लोग इसे कफी पसंद कर रहे हैं. अब इस के बीज भारत में भी मौजूद हैं. अंगरेजी में इसे इंडिगो रोज टोमेटो कहा जाता है.
इस टमाटर की खासीयत यह है कि यह टमाटर के फल के रूप में शुरू होता है, लेकिन धीरेधीरे यह काले रंग में बदल जाता है.
सब से पहले इंडिगो रोज रेड और बैगनी टमाटर के बीजों को आपस में मिला कर एक नया बीज तैयार किया गया, जिस से ये हाईब्रिड टमाटर पैदा हुआ. यूरोपीय मार्केट में इसे सुपरफूड कहा जाता है. इस के बीज औनलाइन भी मौजूद हैं और भारत में बागबानी के शौकीनों ने इस काले टमाटर को अपने घर की बगिया में जगह दी है.
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में एकदो बीज विक्रेताओं के पास काले टमाटर के बीज मिल रहे हैं. इन्होंने काले टमाटर के बीज आस्टे्रलिया से मंगवाए हैं. इस की खेती करने के लिए किसानों को अलग से कोई मेहनत नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि इस की खेती भी लाल टमाटर की तरह ही होती है.
बीज विक्रेताओं ने बताया कि अभी तक भारत में काले टमाटर की खेती नहीं होती थी, लेकिन अब इस की खेती की जाएगी.
ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई टमाटर स्किन के लिए अच्छा माना जा रहा है. एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि यह कई बीमारियों से लड़ने में भी कारगर है.
इस टमाटर की फसल तैयार होने में लाल टमाटर से ज्यादा समय लगता है. इस की बोआई जनवरी में की जाती है. इस के लिए किसी तरह की खास मिट्टी या मौसम की जरूरत नहीं होती. जिस तरह के लाल टमाटर की खेती किसान करते हैं, ठीक वैसे ही इस की भी खेती कर सकते हैं.
इस को पकने में 4 महीने का समय लगता है, जबकि लाल टमाटर 3 महीने में ही पक कर तैयार हो जाता है. काले टमाटर की खेती में किसानों को एक महीने का समय ज्यादा लगेगा, लेकिन मुनाफा परंपरागत टमाटर से ज्यादा होगा.