कभी नरम धूप में खिला तो कभी धुंध की चादर में सिकुड़ा फरवरी का महीना खेतीकिसानी के लिए बहुत अहम है, क्योंकि यह मौसम फसल और पशुओं के लिए नाजुक होता है, इसलिए किसान बरतें कुछ एहतियात:
* समय पर बोई गेहूं की फसल में इन दिनों फूल आने लगते हैं. इस दौरान फसल को सिंचाई की बहुत जरूरत होती है. झुलसा, गेरूई, करनाल बंट जैसी बीमारी का हमला फसल पर दिखाई दे तो मैंकोजेब दवा के 2 फीसदी घोल का छिड़काव करें.
* गन्ने की बोआई 15 फरवरी के बाद कर सकते हैं. बोआई के लिए अपने इलाके की आबोहवा के मुताबिक गन्ने की किस्मों का चुनाव करें. बोआई में 3 आंख वाले सेहतमंद बीजों का इस्तेमाल करें. बोआई 75 सेंटीमीटर की दूरी पर कूंड़ों में करें. बीज को फफूंदनाशक दवा से उपचारित कर के ही बोएं.
* सूरजमुखी की बोआई 15 फरवरी के बाद कर सकते हैं. उन्नत बीजों को बोआई लाइन में 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं. बीज को कार्बंडाजिम से उपचारित कर के बोएं.
* मैंथा की बोआई करें. बोआई के लिए उन्नतशील किस्में जैसे हाईब्रिड एमएसएस का चुनाव करें. 1 हेक्टेयर खेत के लिए 400-500 किलो मैंथा जड़ों की जरूरत पड़ती है. बोआई के दौरान 30 किलोग्राम नाइट्रोजन,75 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.
* आलू की फसल पर पछेता झुलसा बीमारी दिखाई दे, तो इंडोफिल दवा के 0.2 फीसदी वाले घोल का अच्छी तरह छिड़काव करें. फसल को कोहरे और पाले से बचाने का भी इंतजाम करें.
* चना, मटर, मसूर की फसल में फलीछेदक कीट की रोकथाम के लिए कीटनाशी का इस्तेमाल करें. चने की फसल की सिंचाई करें. मटर की चूर्ण फफूंदी बीमारी की रोकथाम के लिए कैराथेन दवा का इस्तेमाल करें.
* टमाटर की गरमियों की फसल की रोपाई करें. रोपाई 60×45 सेंटीमीटर की दूरी पर करें. रोपाई से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लें.
* प्याज की रोपाई अभी तक नहीं की गई है, तो फौरन रोपाई करें. पिछले महीने रोपी गई फसल की निराईगुड़ाई करें. जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें.
* आम की चूर्णिल आसिता बीमारी की रोकथाम के लिए कैराथेन दवा का पेड़ों पर अच्छी तरह छिड़काव करें. भुनगा कीट के लिए सेविन दवा का इस्तेमाल करें.
* नर्सरी में अंगूर की सेहतमंद कलमों की रोपाई करें. अंगूर की श्यामवर्ण बीमारी की रोकथाम के लिए ब्लाइटाक्स 50 दवा का छिड़काव करें.
* इस महीने धूप में चटकपन आ जाता है. धूप देख कर किसान पशुओं की देखरेख में लापरवाही बरतने लगते हैं. ऐसा न करें, पशुओं का ठंड से पूरा बचाव करें. जरा सी लापरवाही नुकसानदायक हो सकती है.
* अपने ऐसे पशु जो कि जल्द ही ब्याने वाले हों, उन्हें दूसरे पशुओं से अलग कर दें और उन पर लगातार निगरानी रखें. गाभिन पशु का कमरा आदामदायक और कीटाणुरहित हो. इस में तूड़ी का सूखा डाल कर रखें.
अगर बरसीम सही मात्रा में उपलब्ध हो तो दाना मिश्रण में 5-7 फीसदी खल को कम कर के अनाज की मात्रा बढ़ा दें. दोहते समय थूक, झाग या दूध न लगाएं.