बस्ती : बस्ती जिले की आबोहवा में पैदा होने वाले धान की खास किस्म काला नमक धान की खेती करने वाले किसानों की भी जीआई टैगिंग की जाएगी, जिस से इन किसानों को काला नमक धान के उत्पादन और इस के बिजनैस का विशेष अधिकार मिल जाएगा.

बस्ती जिले सहित पूर्वांचल के जिलों में किसानों द्वारा उत्पादित सुगंधित धान काला नमक दुनिया के सभी उन्नत किस्मों को मात देने वाला है. बस्ती जिले के सैकड़ों किसान काला नमक धान के देशी किस्म सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा ईजाद की गई उन्नत बौनी किस्मों की खेती कर रहे हैं, जो अधिक उत्पादन के साथ ही ज्यादा पैदावार देने वाली है.

काला नमक धान की इन किस्मों में प्रोटीन, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इस में जहां जिंक चार गुना, आयरन तिगुना और प्रोटीन दोगुना अन्य किस्मों की तुलना में अधिक पाया जाता है. यही वजह है कि काला नमक चावल को कुपोषण दूर करने के लिए भी खाया जाता है.

जनपद के किसानों द्वारा बनाए गए सिद्धार्थ एफपीओ द्वारा लगातार काला नमक धान की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिस से उन की आमदनी को बढाया जा सके, क्योंकि काला नमक चावल की ऊंची कीमत आम चावल के मुकाबले चार गुना तक अधिक मिलती है और चावल बेचने के लिए भी किसानों को परेशान नहीं होना पड़ता है.

नेशनल अवार्डी प्रगतिशील किसान और सिद्धार्थ एफपीओ के निदेशक राममूर्ति मिश्र ने बताया कि बस्ती जिले में काला नमक धान की खेती करने वाले 35 किसानों का आवेदन अभी जीआई टैग के लिए संदीप वर्मा, ज्येष्ठ (कृषि) विपणन निरीक्षक को उपलब्ध कराया गया है. इन किसानों के काला नमक धान के जीआई टैगिंग हो जाने से उन्हें मूल उत्पादक की श्रेणी मिल जाएगी.

किसानों के स्वयं के नाम से होगी जीआई टैगिंग

किसान राम मूर्ति मिश्र ने बताया कि काला नमक धान के लिए 11 जिलों को जीआई टैग मिला था. लेकिन इस बार यह जीआई टैग किसानों के नाम से स्वयं होगा. इस से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काला नमक चावल की कीमत और मांग बढ़ जाएगी.

कौन देगा जीआई टैग

राममूर्ति मिश्र ने बताया कि भौगोलिक संकेत यानी जीआई टैग एक प्रतीक है, जो मुख्य रूप से किसी उत्पाद को उस के मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है. उन्होंने जानकारी दी कि जीआई टैग बताता है कि विशेष उत्पाद किस जगह पैदा होता है.

उन्होंने यह भी बताया कि जीआई टैग उन उत्पादों को ही दिया जाता है, जो अपने क्षेत्र की विशेषता रखते हैं. काला नमक धान भी उन्हीं में से एक है.

उन्होंने बताया कि भारत द्वारा संसद में वर्ष 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस औफ गुड्स’ लागू किया था, जिस के तहत ही जीआई टैगिंग की जाती है.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...