सब्जियों की प्रोसैसिंग (Processing of Vegetables) का खास मकसद उन का इस प्रकार रखरखाव करना है, ताकि उन्हें बाजार की मांग के हिसाब से कभी भी इस्तेमाल में लाया जा सके. ज्यादा हुई पैदावार की प्रोसैसिंग (Processing) कर के फसल के दौरान हुए नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

सेहत के प्रति लोगों की जागरूकता की वजह से सब्जियों की प्रोसैसिंग (Processing of Vegetables) में इजाफा हुआ है. लोगों के तेजी से शहरों में बसने व औरतों के घर से बाहर काम के लिए जाने की वजह से इतना समय नहीं होता कि सब्जियों को छील कर पकाया जा सके, इसलिए लोग प्रोसेस्ड सब्जियों को खरीदना पसंद करने लगे हैं. इस के अलावा सब्जियों की प्रोसैसिंग (Processing of Vegetables) किसानों की आमदनी बढ़ाने व गांवों में रोजगार देने में काफी मददगार साबित हो रही है.

खाने की चीजों को लंबे समय तक रखने के लिए तापमान का उपचार देना प्रोसैसिंग (Processing) कहलाता है. डब्बाबंदी उद्योग में डब्बों में गरम या ठंडा करने के उपचार देने को प्रसंस्करण कहते हैं. गरम या ठंडा करना जीवाणुओं को खत्म करने के लिए किया जाता है. ज्यादातर अम्लीय सब्जियों से भरे डब्बों को 110 डिगरी सैंटीग्रेड तापामन में उपचार कर प्रसंस्करित किया जाता है. अम्ल की वजह से जीवाणुओं का विकास रुक जाता है और उन के बीजाणु बनना भी बंद हो जाते हैं. डब्बों में इस्तेमाल की गई चीनी की चाशनी भी जीवाणुओं को रोकने में मददगार होती है.

प्रसंस्करण से सब्जियों का इस प्रकार रखरखाव किया जाता है, ताकि उन्हें बाजार की मांग के मुताबिक कभी भी इस्तेमाल में लाया जा सके. प्रसंस्करण द्वारा जरूरत से ज्यादा पैदावार व कटाई के बाद के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है. प्रसंस्करण अपना कर हम सब्जियों के 100 फीसदी उत्पादन का इस्तेमाल कर सकते हैं. सब्जियों के प्रसंस्करण से निम्न फायदे हैं:

* कीमती उत्पाद बनाने के लिए उत्पादन का बिना खराब हुए पूरा इस्तेमाल किया जा सकता है.

* एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने और रखरखाव की लागत में काफी हद तक कमी की जा सकती है.

* बिना मौसम के और पूरे साल सब्जियों के संरक्षित उत्पादों द्वारा ताजी सब्जियों जैसा आनंद लिया जा सकता है.

* सब्जी उत्पादों में बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण बनाए रखा जा सकता है.

सब्जी प्रसंस्करित उत्पादों को तैयार करने के लिए बहुत से तरीके हैं, जिन्हें अपना कर हम सब्जियों का पूरी तरह से फायदेमंद इस्तेमाल कर सकते हैं.

सब्जी गूदा और जूस : कुछ सब्जियों जैसे टमाटर को कई तरह के उत्पादों को तैयार करने के लिए उस और गूदे के रूप में परिरक्षित किया जा सकता है. सब्जी रस व गूदा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें निकाले जाने के एकदम बाद सुरक्षित किया जाए.

टमाटर का इस्तेमाल पूरे साल सभी सब्जियों में व दूसरी खाने की चीजों में किया जाता है. बड़े कारोबारियों द्वारा टमाटर का परिरक्षण साबुत टमाटर या इस का रस निकाल कर और गाढ़े गूदे के रूप में किया जाता है. टमाटर का दूसरा खास उत्पाद चटनी या सास है. बाजार में टमाटर के ये पदार्थ काफी महंगे बिकते हैं, यही वजह है कि ये पदार्थ आम आदमी खरीद नहीं पाता है.

टमाटर का पकाया हुआ गाढ़ा गूदा (बीज और छिलके समेत) ताजे टमाटर जैसा ही काम करता है. इस गूदे को टमाटर क्रश या साबुत टमाटर का गूदा कहते हैं. पूरे साल में केवल कुछ हफ्ते ही टमाटर सस्ते और काफी मात्रा में मिलते हैं. ऐसे समय पर टमाटर का गूदा गाढ़ा कर के रखा जा सकता है. गाढ़े गूदे में ग्लेशियल ऐसेप्टिक एसिड डाल कर 5 मिनट तक आग पर पकाने के बाद रसायन डाल कर गूदे को परिरक्षित किया जा सकता है. यह रसायन फफूंदी और दूसरे जीवाणुओं को गूदे को खराब करने से रोकता है और उस के रंग, स्वाद व पौष्टिकता को ठीक बनाता है.

कम लागत वाले उपाय : रस और गूदे का परिरक्षण कम लागत वाला सब से बढि़या तरीका है, अगर उसे गरम या पाश्चुरीकृत कर के कार्क के ढक्कन वाली बोतलों में रखा जाए. इस के अलावा दूसरा उपाय यह है कि रस या गूदे के परिरक्षक के लिए उस में केएमएस के नाम से लोकप्रिय पोटैशियम मेटाबाइ सलफाइट जैसे रसायनिक परिरक्षण मिलाए जाएं.

उच्च तकनीक प्रसंस्करण : गूदा परिरक्षण के लिए मौजूद तकनीकों में त्वरित प्रशीतन (तेजी से ठंडा करने वाली) सब से अच्छी तकनीक है, क्योंकि इस से गूदे में कुदरती गुण बने रहते हैं. बरफ से ठंडी की जाने वाली सब्जियों की गुणवत्ता को बनाए रखने में प्रशीतन दर की खास भूमिका है. बेहतर गुणवत्ता हासिल करने के लिए त्वरित प्रशीतन की जरूरत होती है.

बल्क एसेप्टिक पैकेजिंग के उत्पादों को खास तरीके से पैकेज किया गया भोजन माना जाता है, जिस से कि गूदे को विसंक्रमित कर के उसे बिना दोबारा गरम किए विसंक्रमण के लिए एसेप्टिक वातावरण के तहत विसंक्रमित पैकेजिंग सामग्री में पैक कर दिया जाता है.  एसेप्टिक प्रसंस्करित भोजन में रस अलग नहीं होते जो कि आमतौर पर दोबारा गरम करने के दौरान हो जाते हैं, जिस से उन के स्वाद में इजाफा होता है और साथ ही ऊर्जा की खपत भी कम होती है. इस के अलावा इस से पैकेजिंग सामग्री और ढुलाई लागत में भी काफी बचत होती है. ज्यादातर सब्जी उत्पाद जैसे कि पेय, कैचअप, चटनी आदि गूदे या रस से तैयार किए जाते हैं. बल्कि एसेप्टिक पैक गूदे को इस्तेमाल करने का सब से बड़ा फायदा यह है कि इस से ऐसी सब्जियों जो जल्दी खराब होने वाली होती है, के रखरखाव से बचा जा सकता है. इस के अलावा छिलका व बीज के रूप में निकाली गई फालतू सामग्री को भी कई उत्पादों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

टमाटर का गूदा बनाना

पके हुए लाल व सख्त टमाटरों को धो कर काला व हरा हिस्सा अलग करने के बाद छोटे टुकड़ों में काटें.

स्टील के भगोने में डाल कर कटे हुए टमाटरों को आग पर पकाएं और थोड़ा ठंडा होने पर मिक्सी में पीस कर गूदा बनाएं.

गूदे को तब तक उबालें जब तक कि उस का वजन एकतिहाई रह जाए और गाढ़ा पेस्ट बन जाए. उस के बाद 5 मिलीलीटर ग्लेशियल ऐसीटिक एसिड प्रति किलोग्राम गूदे के हिसाब से डाल कर 5 मिनट तक दोबारा पकाएं. 0.4 ग्राम पोटैशियम मेटाबाइसल्फाइट व 0.2 ग्राम सोडियम बेंजोइट प्रति किलोग्राम गूदे के हिसाब से थोड़े पानी में घोल कर गूदे में मिलाएं.

तैयार गूदे को सूखे कांच के जार में मुंह तक भर दें. जार को बंद करने के बाद सूखी व ठंडी जगह पर रखें.

सब्जी की प्रोसैसिंग (Processing of Vegetables)

सब्जियों को लवणीय जल या 3 फीसदी नमक, 0.8 फीसदी एसीटिक एसिड और 0.2 फीसदी पोटैशियम मेटाबाइसलफाइट के साधारण घोल में भिगो कर परिरक्षित किया जा सकता है. उस के बाद सब्जी के टुकड़ों को अचार या चटनी बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है.

सब्जियों के तरहतरह के रूप जैसे फांकें, क्यूब्स, कतरन आदि एल्यूमीनियम की ट्रे में रख कर डीहाइड्रेटर में रख कर सुखाए जा सकते हैं. सुखाने से पहले तैयार सब्जियों को पोटेशियम मेटाबाइसलफाइट के घोल में उपचारित कर दिया जाए तो अच्छा रहता है. ऐसा करने से कीड़े व फफूंदी आदि नहीं लगते और रंग भी चमकदार हो जाता है. सूखे पदार्थों को सील बंद कर के डब्बों में बंद कर के रखा जाता है, जिस से नमी की मात्रा सूखे पदार्थों को नुकसान नहीं पहुंचा पाती है.

किण्वन विधि से भी सब्जियों का प्रसंस्करण किया जाता है. इस विधि में न केवल सब्जियों को नष्ट होने से बचा सकते हैं, बल्कि इस से उन के पौष्टिक व खनिज तत्त्व भी कम नष्ट होते हैं. किण्वन के दौरान सब्जियों में लैक्टिक अम्ल बनाने वाले जीवाणुओं द्वारा सब्जियों की कुदरती शक्कर लैक्टिक अम्ल में बदल दी जाती है. यह लैक्टिक अम्ल सब्जियों को परिरक्षित करने में मददगार होता है.

खुंबी के प्रसंस्करण के लिए खुंबी को तोड़ कर साफ पानी से धोया जाता है. परिरक्षण से पहले 2-3 मिनट तक उबलते हुए पानी में डाला जाता है, ताकि भंडारण के समय इन का रंग अच्छा रहे. ताजे पानी में 2 फीसदी नमक, 2 फीसदी चीनी, 0.5 फीसदी साइट्रिक एसिड, 1 फीसदी ऐस्कोरबिक और 0.1 फीसदी पोटेशियम मेटाबाइसलफाइड मिला कर रासायनिक घोल तैयार किया जाता है. उपचारित खुंबी को शीशे के जार में भर देते हैं और तैयार किया गया घोल इतनी मात्रा में डालते हैं कि खुंबी उस में अच्छी तरह डूब जाए. जार को अच्छी तरह ढक्कन लगा कर बंद कर के ठंडी जगह पर रखा जाता है.

प्रसंस्करण और भंडारण में सब्जियों की गुणवत्ता को बनाए रखना बहुत जरूरी है. पहले छीलने और काटे जाने वाली सब्जियां आसानी से धोई जा सकने वाली होनी चाहिए ताकि उन की गुणवत्ता अच्छी बनी रहे. इसलिए अच्छी गुणवत्ता की तैयार सब्जियों के लिए प्रसंस्करण से पहले सब्जियों की सावधानी से छंटाई जरूरी है. गाजर, आलू, मूली और प्याज के लिए अच्छी किस्म का होना बहुत जरूरी है. उदाहरण के लिए गाजर और शलजम में रेशेदार भाग उत्पादों में इस्तेमाल नहीं किए जा सकते, क्योंकि ये उत्पाद की गुणवत्ता पर असर डालते हैं. प्रसंस्करण से पहले सब्जियों को क्लोरीन (25-50 पीपीएम) के घोल से धोना चाहिए और उस के बाद क्लोरीन की मात्रा कम करने के लिए उन को पेय जल में भिगो देना चाहिए. यदि छीलने की जरूरत हो तो चाकू से छीला जाना चाहिए. पहले से छीले हुए और फांकें किए गए सेबों और आलुओं का भूरा होना एक समस्या है, जिस से बचने के लिए उन्हें हलके सल्फाइट के घोल में डालना चाहिए.

जब सब्जियों की बहुतायत होती है, उस समय सब्जियों की वैज्ञानिक ढंग से प्रोसेसिंग कर के उन को उस वक्त इस्तेमाल किया जा सकता है, जब उन का मौसम नहीं होता है. इस प्रकार सब्जियों को इच्छानुसार कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

प्रसंस्करण उत्पादों पर असर डालने वाली वजहें

*    सब्जियों की बाहरी और अंदरूनी गुणवत्ता (किस्म, बढ़वार के हालात, कटाई, नुकसान, आयु वगैरह.)

*    छीलने और काटने से पहले और बाद में सब्जियों की धुलाई.

*    छीलने व काटने का तरीका.

*    धुलाई के समय इस्तेमाल किए गए पानी की गुणवत्ता.

*    पैकिंग विधियां और सामग्री.

*    भंडारण का तापमान.

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