दरभंगा : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले दिनों 23 फरवरी को दरभंगा, बिहार पहुंचे, जहां उन्होंने तालाब में उतर कर मखाना (Fox Nut) उत्पादक किसानों से बात की.
उन्होंने मखाने (Fox Nut) की खेती की पूरी प्रक्रिया समझी और मखाना (Fox Nut) उत्पादन में आने वाली कठिनाइयों को जानने के साथ ही किसानों से सुझाव भी लिए. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मखाना की खेती कठिन है और तालाब में दिनभर रह कर खेती करनी होती है. केंद्र सरकार ने इस साल बजट में मखाना बोर्ड बनाने का ऐलान किया है. इस बोर्ड के बनने के पहले वे किसानों से सुझाव ले कर चर्चा कर रहे हैं, ताकि किसानों की वास्तविक समस्याएं समझी जा सकें.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दरभंगा में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र पर संवाद कार्यक्रम में मखाना के किसानों से सुझाव लेने के साथ ही उन्हें संबोधित भी किया. इस मौके पर मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम केवल विभाग नहीं चलाते हैं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गहराई तक जा कर कैसे हम किसानों की तकलीफ दूर करें, इस की कोशिश करते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि किसान की आमदनी बढ़नी चाहिए. 57 फीसदी लोग आज भी खेती पर निर्भर हैं, और खेती भी एक चीज की नहीं है, कहीं केला है तो कहीं लीची है, कहीं मकई है, तो कहीं गेहूं है, कहीं धान है, इस धरती पर तो मखाना है. अगर किसानों का कल्याण करना है, तो हमें हर एक फसल को ठीक से देखना पड़ेगा और इसलिए जब मैं पहली बार कृषि मंत्री बन कर पटना आया था, कृषि भवन में तब बैठक हुई थी किसानों के साथ और उस बैठक में मखाना उत्पादक किसानों ने अपनी समस्या बताई थी.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया, जिन्होंने मखाना केंद्र बनाया था. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का भी आभार जताया कि अब उन्होंने मखाना बोर्ड बनाने का फैसला किया है.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि मखाना सुपरफूड है, पौष्टिकता का भंडार है, ये मखाना आसानी से पैदा नहीं होता है. मखाना पैदा करने के लिए कितनी तकलीफें सहनी पड़ती हैं, ये यहां आ कर देखा जा सकता है. इसलिए मेरे मन में ये भाव आया कि जिन्होंने किसानों की तकलीफ नहीं देखी, वह दिल्ली के कृषि भवन में बैठ कर मखाना बोर्ड बना सकते हैं क्या…? इसीलिए मैं ने कहा कि पहले वहां चलना पड़ेगा, जहां किसान मखाने की खेती कर रहा है. खेती करतेकरते कितनी दिक्कत और परेशानी आती है, ये भी हो सकता है कि यहां कार्यक्रम करते और निकल जाते, लेकिन इस से भी सही जानकारी नहीं मिलती.
उन्होंने कहा कि मेरे मन में भाव आया कि शिवराज तू तो सेवक है, एक बार पोखर, तालाब में उतर जा और मखाने की बेल को लगा, तब तो पता चलेगा कि मखाने की खेती कैसे होती है. जब बेल हाथ में ली तो पता चला कि उस के ऊपर भी कांटे थे और नीचे भी कांटे थे. हम तो केवल मखाना खाते हैं, लेकिन कभी कांटे नहीं देखे. जब हमारे किसान भाईबहन मखाने की खेती करते हैं, उन के लिए इस फसल को जितना लगाना कठिन है, उतना ही निकालना भी कठिन है.
मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से कहा कि सही माने में आप से समझ कर कि मखाना बोर्ड बने तो कैसे बने, इसलिए उन्होंने अधिकारियों को भी निर्देश दिया है कि आईसीएआर (ICAR) व अनुसंधान केंद्र कांटारहित मखाने का बीज विकसित करने पर काम करें.
यह असंभव काम भी नहीं है. पर जहां बात मेकैनाइजेशन की आई, पानी में डुबकी लगा कर इसे निकालना पड़ता है, पूरे डूब गए आंख, नाक, कान में पानी और केवल पानी ही नहीं होता है, पानी के साथ कीचड़ भी होती है. अब आज के युग में मेकैनाइजेशन से ये चीज बदली जा सकती हैं, अभी यंत्र तो बने हैं, लेकिन उस में आधा मखाना आता है और आधा आता ही नहीं है. गुरिया बड़ी मुश्किल से निकलती है और इसलिए मेकैनाइजेशन होगा और ऐसे यंत्र बनाए जाएंगे, जो गुरिया को आसानी से बाहर खींच लाएं. आज टैक्नोलौजी है और प्रोसैसिंग में लगे कई मित्र ये काम कर रहे हैं.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम उत्पादन बढ़ाने पर काम करेंगे. दूसरा, हम काम करेंगे उत्पादन की लागत घटाना. लागत कैसे घट सकती है, उस के कई पक्ष मेरे सामने आ गए हैं. तीसरा काम- उत्पादन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना, जिस से खेती आसान हो जाए. अब कई पोखर चाहिए, तालाब चाहिए, पानी रोकने की व्यवस्था चाहिए, हम लोग विचार करेंगे कि केंद्र और राज्य सरकार की अलगअलग योजना के तहत ये कैसे बनाए जा सकते हैं. क्या मनरेगा में कहीं तालाबों का निर्माण हो सकता है? कई तरह के रास्ते निकल सकते हैं, उस पर भी हम काम करेंगे. कठिनाइयों को दूर करना है और जिस के लिए कई काम करने पड़ेंगे, वे है- मखाने की उचित कीमत मिल जाए, इस का इंतजाम करना आदि.
अभी तो ठीक है, लेकिन कई बार दाम गिर जाते हैं, इसलिए बाजार का विस्तार, मंडियों को ठीक करना, घरेलू बाजार, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मखाने की पहुंच बनाना है. उन्होंने कहा कि ये सुपरफूड मखाना एक दिन दुनिया में छा जाएगा, क्योंकि मखाने में कई गुण मौजूद हैं. इसलिए सुपरफूड की हम कैसे मार्केटिंग करें, ब्रांडिंग करें, पेकैजिंग करें, उस सभी में सहयोग देंगे.
उन्होंने कहा कि लीज पर जमीन ले कर खेती करने वाले किसानों को केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिले. चाहे किसान क्रैडिट कार्ड हो, कम दरों पर ब्याज, खाद की व्यवस्था, एमएसपी आदि का भी बंदोबस्त हो. बंटाईदार, मेहनत करने वाले को भी लाभ मिलना चाहिए. इस दिशा में हम काम कर रहे हैं. मखाना उत्पादक किसानों की ट्रेनिंग पर भी काम किया जाएगा. कार्यशाला लगाना, ट्रेनिंग कैंप लगा कर कैसे कौशल विकसित किया जाए, इस की कोशिश करेंगे.
मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज का कार्यक्रम कर्मकांड नहीं है, यह आम सभा नहीं है, यह किसान पंचायत है. मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए भी किसानों से बात कर के उन के कल्याण की योजना बनाता था. यही तो जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है.
उन्होंने आगे कहा कि कल बिहार के सौभाग्य के सूर्य का उदय होगा, जब प्रधानमंत्री मोदी पधारेंगे. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि बिहार अद्भुत राज्य है, यहां का टैलेंट, यहां के मेहनती किसान, विशेषकर बिहार का मखाना सुपर फूड. मखाना का उत्पादन बढ़े, प्रोसैसिंग हो, गुणवत्ता बढ़े, अभी मखाना उत्पादक किसान कई कठिनाइयों में काम करते हैं, टैक्नोलौजी के माध्यम से उन कठिनाइयों को दूर किया जाए, इस के लिए मखाना बोर्ड बनाया जा रहा है.