Sustain Plus Project : मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग ने बीते दिनों 3 मार्च, 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में डेयरी क्षेत्र में स्थिरता पर कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन, डेयरी और पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह की उपस्थिति में इस कार्यशाला का उद्घाटन किया.
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और जौर्ज कुरियन भी इस अवसर पर उपस्थित थे. डेयरी क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों के साथसाथ पशुपालन और डेयरी विभाग, पैट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, उर्वरक विभाग, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), इंडियन औयल कौर्पोरेशन लिमिटेड और विभिन्न दूध सहकारी समितियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस कार्यशाला में भाग लिया.
कार्यशाला ने तकनीकी, वित्तीय और कार्यान्वयन सहायता का लाभ उठा कर डेयरी क्षेत्र में सतत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए एनडीडीबी और नाबार्ड के बीच समझौता हुआ. देशभर में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए एनडीडीबी ने 15 राज्यों के 26 दुग्ध संघों के साथ समझौता किया.
इस अवसर पर डेयरी क्षेत्र में स्थिरता के उद्देश्य से दिशानिर्देश जारी किए गए, साथ ही, एनडीडीबी (राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड) के लघु पैमाने पर बायोगैस, बड़े पैमाने पर बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस परियोजनाओं और टिकाऊ डेयरी के आर्थिक सहायता के लिए एनडीडीबी ‘सस्टेन प्लस परियोजना’ के तहत वित्तपोषण पहलों की शुरुआत की गई.
इन पहलों से डेयरी फार्मिंग में चक्रीय प्रथाओं को अपनाने में तेजी आने, कुशल खाद प्रबंधन, ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की उम्मीद है. इस राष्ट्रीय कार्यशाला ने नीति बनाने वालों, उद्योग जगत के नेताओं और विशेषज्ञों को स्थिरता बढ़ाने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और छोटे व सीमांत डेयरी किसानों के लिए आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने और विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया.
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज जब हम श्वेत क्रांति 2.0 की ओर बढ़ रहे हैं, तो स्थिरता और चक्रीयता का महत्व और भी बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि पहली श्वेत क्रांति की मदद से हम ने अब तक जो हासिल किया है, उस के अलावा डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और चक्रीयता को अभी पूरी तरह हासिल किया जाना बाकी है.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारत की कृषि व्यवस्था छोटे किसानों पर आधारित है और गांवों से शहरों की ओर उन का पलायन उन की समृद्धि से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण पलायन की समस्या पर काबू पाने के साथसाथ छोटे किसानों को समृद्ध बनाने के लिए डेयरी एक महत्वपूर्ण विकल्प है.
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में चक्रीयता और स्थिरता पर ध्यान देने के साथ, ईंधन के उत्पादन के लिए गाय के गोबर का उपयोग किसानों की आय बढ़ाने में काफी मदद करेगा.
उन्होंने आगे कहा कि देश में 53 करोड़ से अधिक के विशाल पशुधन संसाधन में से लगभग 30 करोड़ गाय और भैंसें हैं, इसलिए बड़ी मात्रा में गाय का गोबर उपलब्ध है, जिस का उपयोग जैविक खाद, जैव ईंधन आदि के लिए किया जा सकता है, जिस से उत्पादकता बढ़ेगी और साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी.
मंत्री राजीव रंजन सिंह ने आगे कहा कि आज सरकार के प्रयासों के कारण डेयरी क्षेत्र काफी हद तक असंगठित से संगठित क्षेत्र में बदल गया है. उन्होंने देश में हरित विकास और किसान कल्याण को बढ़ावा देने के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था प्रथाओं, नवीकरणीय ऊर्जा पहलों और सार्वजनिक निजी भागीदारी के महत्व का भी जिक्र किया.
हितधारकों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को नवाचार के साथ एकीकृत करने से न केवल हरित विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लाखों किसानों का भला भी होगा.
पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने डेयरी क्षेत्र में टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को एक करने के सरकार के दृष्टिकोण पर जोर दिया और कहा कि भारत “विश्व की डेयरी” है और डेयरी क्षेत्र, कृषि जीवीए में 30 फीसदी का योगदान देता है. इन टिकाऊ प्रथाओं को लागू करने के लिए एनडीडीबी ने 1,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ एक नई वित्तपोषण योजना शुरू की है, जिस का उद्देश्य छोटे बायोगैस, बड़े पैमाने के बायोगैस संयंत्रों और संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) परियोजनाओं के लिए लोन सहायता के माध्यम से आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिस से आने वाले 10 सालों में विभिन्न खाद प्रबंधन मौडलों को बढ़ाने में सुविधा होगी.
कार्यशाला के विचारविमर्श के प्रमुख विषयों में सफल चक्रीय अर्थव्यवस्था मौडल, छोटे डेयरी किसानों के लिए कार्बन क्रैडिट के अवसर और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने में कार्बन ट्रेडिंग की भूमिका शामिल थी. भारत सरकार द्वारा समर्थित और एनडीडीबी के नेतृत्व में डेयरी क्षेत्र ने स्थिरता और चक्रीयता को बढ़ाने के लिए प्रमुख खाद प्रबंधन पहलों की शुरुआत की है.
3 उल्लेखनीय मौडलों में जकारियापुरा मौडल, बनास मौडल और वाराणसी मौडल शामिल हैं, जो दूध के साथसाथ गोबर की एक मूल्यवान वस्तु के रूप में क्षमता को उजागर करते हैं, जो एक अधिक टिकाऊ और चक्रीय डेयरी पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देता है, साथ ही पशुपालकों की आय में वृद्धि का भी काम करता है.