Farming Work: गन्ने की बोआई का काम मार्च महीने में पूरा कर लें. गन्ने की देर से बोआई करने पर पैदावार में गिरावट आती है. बोआई के लिए 3 आंख वाले गन्ने के टुकड़ों का इस्तेमाल करें.
बीज सेहतमंद गन्ना फसल से ही लें और बीज के टुकड़ों को उपचारित कर के 60-70 सैंटीमीटर की दूरी पर कूंड़ों में बोआई करें. बोआई का काम शुगरकेन प्लांटर मशीन से करें तो ज्यादा बेहतर रहेगा.
गन्ने के साथ दूसरी फसलें जैसे मूंग, उड़द, लोबिया, चारे वाली मक्का वगैरह को 2 कूंड़ों के बीच वाली खाली जगह में बोआई करें. बोआई के लिए अपने इलाके की आबोहवा के मुताबिक ही किस्में चुनें.
जायद फसल मूंग की बोआई का काम भी इसी महीने पूरा करें. बोआई के लिए अच्छी उपज वाली किस्में जैसे पूसा बैसाखी, के-851, एसएसएल-668 वगैरह की बोआई करें. अगर खेत में नमी की कमी है तो बोआई से पहले खेत का पलेवा कर दें.
जायद फसल उड़द की बोआई का काम इस महीने में जरूर पूरा कर लें. बोआई के लिए अच्छी किस्में ही चुनें. अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल करें.
बेहतर होगा, अगर पोषक तत्त्वों की मात्रा तय करने से पहले मिट्टी की जांच करा लें. फसल को बीमारी से बचाने के लिए बीजोपचार के बाद ही उन्हें बोएं.
चारे के लिए लोबिया की बोआई इस महीने कर सकते हैं. बोआई से पहले बीज को राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर लें. खाद की मात्रा खेत के उपजाऊपन के आधार पर ही तय करनी चाहिए.
अगर मिट्टी जांच की सुविधा मौजूद नहीं है तो खेत की तैयारी के समय 20-30 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला दें. साथ ही, 30-40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस व पोटाश प्रति हेक्टेयर दें.
अभी तक अगर सूरजमुखी की फसल नहीं बोई है तो बोआई का काम 15 मार्च तक जरूर पूरा कर लें.
सूरजमुखी में निराईगुड़ाई भी इसी माह करें. आल्टरनेरिया ब्लाइट, डाउनी मिल्डयू और सफेद रतुआ के उपचार के लिए 600 से 800 ग्राम डाइथेन या इंडोफिल एम 45 को 250 लिटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें.
कटुआ सूंड़ी या हरे रंग की सूंड़ी का हमला हो तो 10 किलोग्राम फैनवालरेट 0.4 प्रतिशत प्रति एकड़ के हिसाब से स्पे्र करें. सफेद रतुआ या मृदुरोमिल रोग से ग्रसित टहनियों को काट कर जला दें.
इसी महीने गेहूं की फसल में दाने बनने लगते हैं. इस दौरान फसल को पानी की बहुत जरूरत होती है, इसलिए जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें.
अगर दिन में तेज हवा चल रही है तो सिंचाई रात के समय करें. खेत में बीमारी से ग्रसित बाली या पौधा दिखाई दे तो पूरा पौधा उखाड़ कर जला दें अन्यथा सेहतमंद पौधों को भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले लेती है.
गेहूं में अमेरिकन सूंड़ी की रोकथाम के लिए कीटनाशक दवा का स्प्रे करें. गेहूं, सरसों व जौ में चेंपा या माहू कीट का हमला होने पर 400 मिलीलिटर मैटासिस्टाक्स या रोगर 30 ईसी को 300 लिटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ छिड़कें. जिन स्थानों पर पत्तों में कांगियारी देखें, उन पौधों को काट कर जला दें.
चारे के लिए ज्वार, बाजरा, मक्का, सूडान घास वगैरह की बोआई इसी महीने करें. इसी महीने मेंथा की फसल में निराईगुड़ाई करें.
अगर अभी तक मेंथा की बोआई नहीं की गई है तो फौरन मेंथा की बोआई का काम पूरा करें.
बोआई के लिए उन्नतशील किस्में जैसे हिमालय, कुशल कोसी वगैरह को चुनें. ध्यान रहे कि बोआई के लिए इस्तेमाल होने वाली जड़ें सेहतमंद हों या सेहतमंद फसल से ली गई हों.
चने की फसल को पानी की जरूरत महसूस हो रही है तो हलकी सिंचाई करें. कीट व बीमारी से फसल को बचाने के लिए कारगर कीटनाशी दवा छिड़कें.
प्याज की फसल की निराईगुड़ाई भी इसी माह करें और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. हलदी व अदरक की बोआई भी इसी महीने पूरी कर लें. बैगन की रोपाई भी इसी महीने करें. पहले से रोपी गई फसल में निराईगुड़ाई करें व जरूरत के मुताबिक सिंचाई करते रहें.
अगर मटर के दाने वाली फसल तैयार हो गई है तो कटाई करें और हरी फलियों वाले खेत भी खाली हो गए हैं तो अगली फसल के लिए खेत तैयार करें.
आम के बागों को हौपर कीट की रोकथाम के लिए कारगर कीटनाशी दवा का स्प्रे करें, वहीं नीबू के पेड़ों को कैंकर बीमारी से बचाने के लिए कीटनाशी दवा का छिड़काव करें. पपीते की पौध तैयार करें. साथ ही, केले के बागों की सिंचाई करें. बीमारीग्रस्त पौधों को उखाड़ कर जला दें.
अंगूर की फसल की देखभाल अच्छी तरह करें. अंगूर के गुच्छों के फूल खिलते वक्त जिब्रेलिक एसिड के 50 पीपीएम वाले घोल में डुबाएं. तुलसी, गुलदाऊदी, सदाबहार वगैरह की बोआई भी इसी माह करें.