Mango| आम की बागबानी में फल तैयार होने के बाद उन की तोड़ाई भी सावधानी से करे. जिस से उन की क्वालिटी बनी रहे और बाजार में अच्छी कीमत मिल सके.
तोड़ाई के बाद की देखभाल
* उत्पादित आमों का करीब 25-30 फीसदी भाग बाग से ग्राहकों तक पहुंचने में नष्ट हो जाता है. यदि तोड़ाई, पेटी बंदी व भंडारण की सही तकनीक अपनाई जाए तो इस नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
* आम के फल 12-15 हफ्ते बाद प्रजाति के मुताबिक पूरी तरह तैयार होते हैं. दशहरी व लंगड़ा आम 12 हफ्ते और चौसा व मल्लिका आम 15 हफ्ते में तैयार होते हैं.
* तैयार फलों की तोड़ाई 8-10 मिलीमीटर लंबी डंठल के साथ करनी चाहिए, जिस से फलों पर चेप नहीं लगे व पकने पर फल दाग रहित हों. तोड़ाई के समय फलों को चोट व खरोच न लगने दें.
* तोड़ाई के लिए संस्थान द्वारा विकसित यंत्र हैं. इस से प्रति घंटे 600-800 फल तोड़े जा सकते हैं.
* तोड़ाई के बाद फलों को छायादार जगह में रखें और मिट्टी लगने से बचाएं.
* फलों की पैकिंग के लिए 0.5 फीसदी छेद वाले 4 किलोग्राम कूवत वाले गत्ते के बक्से संस्थान द्वारा तैयार किए गए हैं, जो भंडारण व परिवहन के लिए सही होते हैं.
* तोड़ाई के बाद ऐंथ्रेक्नोज, स्टेम एंड राट व ब्लैक राट रोगों से बचाने के लिए फलों को 0.05 फीसदी कार्बेंडाजिम के कुनकुने पानी में 10 मिनट तक डुबो कर रखने के बाद सुखा कर पेटीबंद करना चाहिए.
* शीत भंडारण विधि में आम की तमाम प्रजातियों जैसे दशहरी, मल्लिका व आम्रपाली को 2 डिगरी सेंटीग्रेड, लंगड़ा को 15 डिगरी सेटीग्रेड व चौसा को 10 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान व 85-90 फीसदी आपेक्षित आर्द्रता पर 2-3 हफ्ते तक रखा जा सकता है.
* दशहरी किस्म के फलों को 2 फीसदी कैल्सियम क्लोराइड डाईहाइडे्रट के घोल में 500 मिलीमीटर वायुमंडलीय दाब पर 5 मिनट के लिए उपचारित कर के कम तापमान पर 27 दिनों तक भंडारित किया जा सकता है.
* पूरी तरह तैयार फलों को 250-750 पीपीएम ईथरल के कुनकुने पानी के घोल में 5 मिनट तक डुबाने के बाद पूरी तरह सुखा कर भंडारित करें, तो सभी फल आकर्षक पीले रंग में समान रूप से पकते हैं.