Natural Farming: महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय में ‘प्राकृतिक खेती’ (Natural Farming) विषय पर पिछले दिनों एक प्रशिक्षण आयोजित किया गया. इस प्रशिक्षण में भारतीय बीज निगम के चंडीगढ़, अहमदाबाद, जैतसर और सूरतगढ़ के अधिकारियों ने भाग लिया.
प्रशिक्षण के दौरान कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि किसी भी खेती का आधार बीज होता है, ऐसे में प्राकृतिक खेती के लिए प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए बीजों की उपलब्धता बहुत जरूरी है. इसीलिए यह विशेष प्रशिक्षण बीज उत्पादन करने वाली संस्थाओं के लिए आयोजित किया गया है.
उन्होंने आगे बताया कि हरित क्रांति से हम ने उत्पादन तो बढ़ाया, पर कैमिकलों के अंधाधुंध उपयोग के चलते प्रकृति एवं इनसानी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव का सामना भी किया है. अब समय है कि हम प्रकृति एवं इनसानी खाने पर कैमिकलों के प्रभाव को जितना हो सके उतना कम या फिर पूरी तरह से खत्म कर सकें.
डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि प्रकृति के अनुकूल कार्य करना ही हमारी संस्कृति है और प्रकृति के प्रतिकूल काम करना ही विकृति है. प्राकृतिक खेती में कई नए आयाम को जोड़ कर इसे स्वीकार्य रूप प्रदान कर किसान भाइयों के लिए एक आसान पद्धति तैयार कर सकते हैं.
इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा. शांति कुमार शर्मा, सहायक महानिदेशक, मानव संसाधन प्रबंधन, नई दिल्ली ने बताया कि प्राकृतिक खेती के प्रति लोगों के मन में कई भ्रांतियां रहती हैं, जिस का अनुसंधान के आधार पर हल करना बहुत जरूरी है.
उन्होंने आगे बताया कि प्राकृतिक खेती के विचार का उद्भव बहुत समय पहले ही हो चुका है. अब इस को समाज में प्रभावी रूप से प्रचारित करने एवं अपनाने का वक्त है. यदि अब भी रसायनमुक्त खेती के प्रयास नहीं किए गए, तो यह प्रकृति के लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है. साथ ही, डा. शांति कुमार शर्मा ने राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक खेती के लिए किए गए प्रयासों की विस्तृत जानकारी दी.
अनुसंधान निदेशक डा. अरविंद वर्मा ने प्रशिक्षण की जानकारी देते हुए कहा कि उदयपुर केंद्र पर जैविक एवं प्राकृतिक खेती पर किए गए वृहद अनुसंधान कार्य का ही परिणाम है कि उदयपुर केंद्र राष्ट्र में इस प्रकार के प्रशिक्षण के लिए प्रथम स्थान पर चुना गया है.
डा. अरविंद वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रशिक्षण में प्राकृतिक खेती पर व्याख्यान एवं प्रायोगिक रूप से प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिस से प्राकृतिक बीज उत्पादन श्रृंखला को बल मिलेगा.
प्रशिक्षण प्रभारी डा. रविकांत शर्मा ने प्रशिक्षण का प्रारूप रखा और वहां पधारे अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया.