बस्ती : जिले में स्थित कृषि एवं उद्यान विभाग के अधिकारियों के खेल निराले हैं. जहां जिला अधिकारी आवास के सामने स्थित उपनिदेशक कृषि कार्यालय में लौकडाउन के दौरान लटका अलीगढ़िया ताला आज तक न खुला, वहीं जिलाधिकारी आवास रोड पर स्थित संयुक्त निदेशक उद्यान के प्रवेश गेट पर ओपन जिम के स्थापना के बाद संयुक्त निदेशक उद्यान अतुल कुमार सिंह ने जिम में प्रवेश शुल्क लगा कर अपने प्रवेश द्वार पर भी अलीगढ़िया ताला लटका दिया. इसी के साथ शास्त्री चौक प्रवेश द्वार से अंदर की तरह से कार्यालय की तरफ आने वाले रास्ते पर उन के आवास के करीब स्थित गेट पर भी अलीगढ़िया ताला लटक रहा है. ऐसे में दूरदराज से आने वाले किसान और बागबान इन कार्यालयों में अधिकारियों से मिलने के लिए हलकान और परेशान रहते हैं.

सरकार ने जिन विभागों में अधिकारियों को किसानों और बागबानों की सहूलियत के लिए नियुक्त किया है, उस में कृषि महकमे के उपनिदेशक, कृषि और मंडल स्तर पर संयुक्त निदेशक कृषि को प्रमुख भूमिका सौंपी गई है. जहां उपनिदेशक कृषि के कार्यालय से किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, कृषि यंत्रों इत्यादि पर अनुदान की योजनाएं संचालित हैं, वहीं मंडल के दूसरे जिले के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए संयुक्त निदेशक कृषि को नियुक्त किया गया है.

कृषि महकमे के ये दोनों उच्चाधिकारी जिलाधिकारी आवास व कमिश्नर आवास के नजदीक कृषि भवन में बैठते हैं. इस भवन में प्रवेश के लिए मुख्यद्वार पर भारीभरकम गेट लगाया गया है, जिस पर कोविड के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर ताला लगा. उस में लगे छोटे गेट में जंजीर फंसा कर ताला लटका दिया गया. उस के बाद उसी छोटे गेट से मशक्कत कर के आने वाले किसान अंदर प्रवेश करते हैं.

मुख्यद्वार पर लगा यह गेट जमीन से काफी उंचाई पर मौजूद है, जिस से बूढ़े और कमजोर किसान इस द्वार से अंदर जाने में असमर्थ हो जाते हैं. इसलिए ऐसे किसानों को कमिश्नर गेट की तरफ से चक्कर लगाते हुए भीतर आना पड़ता है.

इस संदर्भ में विभागीय अधिकारियों से कई किसानों ने गेट को पूरी तरह से खुलवाने को कहा, तो छुट्टा पशुओं का बहाना कर के बात को टाल दिया जाता है. लौकडाउन में गेट पर लटका अलीगढ़िया ताला कब खुलेगा, यह जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं बता सकते हैं.

उद्यान विभाग के गेट पर लटके ताले को देख लौट जाते हैं बागबान

जिले के उद्यान विभाग के हालात तो और भी बदतर हैं, क्योंकि बस्ती जिले में इंडोइजरायल सेंटर औफ एक्सीलेंस फार मैंगो और केंद्रीय पौधशाला व आदर्श पौधशाला की स्थापना की गई है. साथ ही, यहां पर खुंब उत्पादन, मधुमक्खीपालन, बागबानी, माली प्रशिक्षण सहित कई तरह की ट्रेनिंग संचालित होती रहती हैं, जिस में बस्ती जिले सहित पूर्वांचल के तमाम जिलों के किसानों और बागबानों को ट्रेनिंग दी जाती है.

इन सभी के लिए सरकार की तरफ से संयुक्त निदेशक उद्यान अतुल कुमार सिंह को नोडल नामित किया गया है.

इन योजनाओं और ट्रेनिंग से जुड़ी जानकारी के लिए आने वाले किसान उस समय मायूस हो कर लौट जाते हैं, जब उन्हें मुख्यद्वार और अंदर की तरफ से आने वाले रास्ते पर स्थित गेट बंद मिलता है. स्थानीय किसान जिन्हें यह जानकारी है कि गेट पर मौजूद व्यक्ति से गेट खुलवा कर अधिकारी से मुलाकात की जा सकती है. वह तो मुलाकात करने में सफल हो जाते हैं, लेकिन दूरदराज और दूसरे जिलों से आने वाले किसानों को मशक्कत करने के बाद भी अधिकारियों से मुलाकात हो पाती है.

ओपन जिम ने लगाया ग्रहण

संयुक्त निदेशक उद्यान अतुल कुमार सिंह के कार्यालय में प्रवेशद्वार से सटे सांसद निधि से ओपन जिम की स्थापना की गई है. शुरू में प्रवेश गेट खुला रहता था, लेकिन बाद में ओपन जिम में प्रवेश के नाम पर शुल्क लगा कर अलीगढ़िया ताला लगा दिया गया. तब से यह गेट तभी खुलता है, जब कोई गेट पर पहुंच कर कई बार गेट को खटखटाता है, वहीं अंदर से संयुक्त निदेशक उद्यान आवास की तरफ से आने पर भी अंदर गेट पर ताला लटका हुआ दिख जाएगा. फिर किसान चिल्लाता रहे इस ताले को खोलने वाला कोई नहीं नजर आता है.

इस मसले पर किसानों का कहना है कि उद्यान विभाग की स्थापना किसानों और बागबानों के लिए की गई है, न कि जिम संचालित कर शुल्क वसूलने के लिए.

संयुक्त निदेशक उद्यान गेट का बंद रहना दुखद है, वहीं कृषि महकमे में भी लटक रहे ताले पर किसान रोष व्यक्त करते रहे हैं.

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