ज्यादातर दुधारू पशु ब्याने के 3 से 4 महीने के अंदर गर्भ धारण कर लेते हैं. गर्भ की शुरुआत के समय में उन को कोई खास अलग से आहार देने की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन जब गर्भ की अवस्था 5 माह की हो जाती है, तो गर्भ में पल रहा भ्रूण अपने विकास के लिए पोषक तत्त्वों के लिए मां पर ही निर्भर रहता है.

दुधारू पशु को गर्भकाल के 5 महीने के बाद पोषक तत्त्वों की ज्यादा जरूरत पड़ती है. इस के लिए जो उसे दूध उत्पादन के लिए आहार दिया जा रहा था, उस के अतिरिक्त गर्भ के विकास के लिए 2 किलोग्राम अतिरिक्त दाना देना चाहिए. इस से गर्भ में पल रहे बच्चे का भलीभांति विकास होगा एवं जन्म के समय उस का वजन भरपूर होगा. दुधारू पशु से ब्यांत के बाद अच्छा दूध उत्पादन मिलेगा.

पशुपालक को यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर आप दुधारू पशु से दूध उत्पादन ले रहे हैं तो ड़ेढ से 2 माह पहले उस के दूध को सुखाना होगा, जिस से कि वह खुद को को फिर से अगले दूध उत्पादन के तैयार कर ले.

दुधारू पशु को कम से कम 5 किलोग्राम भूसे के साथ 20 किलोग्राम से 25 किलोग्राम तक हरा चारा एवं 3 किलोग्राम दाना मिश्रण अवश्य देना चाहिए. दाने में चोकर एवं खली के साथ 50 ग्राम मिनरल मिक्सर, जिस में कैल्शियम फास्फोरस एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की भरपूर मात्रा हो, देना चाहिए. अगर हरा चारा बिलकुल न मिल पा रहा हो तो दाने की मात्रा 3 किलोग्राम से बढ़ा कर 5 किलोग्राम तक कर देनी चाहिए.

गर्भवती पशु को ऊंचीनीची जगह से चढ़नेउतरने से बचाना चाहिए एवं अन्य पशुओं से दूर रखना चाहिए, वरना आपस में लड़ने की अवस्था में गर्भ को नुकसान पहुंचने का खतरा हो सकता है .

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