कभीकभी गाय या भैंस ब्याने के बाद जेर या जड़ समय से नहीं गिराती, जिस से बच्चेदानी में संक्रमण का खतरा बना रहता है और पशुपालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.

कब कहेंगे कि जेर रुक गई

यदि गाय या भैंस ब्याने के 24 से 36 घंटे के भीतर अपनी जेर खुद नहीं गिराती है

तभी हम कह सकते हैं कि जेर रुक गई है और अब इसे उपचार की जरूरत है. उस से पहले किसी भी प्रकार के उपचार की जरूरत नहीं होती.

किन कारणों से जेर रुक सकती है

* गर्भपात के बाद जेर रुक सकती है.

* असामान्य गर्भकाल यानी या तो गाय या भैंस ने समय से पहले या फिर निर्धारित अवधि के बहुत बाद बच्चा दिया.

* कठिन प्रसव यानी बच्चा खींच कर निकाला गया हो.

* आपरेशन द्वारा बच्चा निकाला गया हो.

* कुछ पशुओं में यह जन्मजात भी हो सकता है.

* कुछ आवश्यक तत्त्वों जैसे विटामिन ई, सैलेनियम, विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस वगैरह की कमी.

* अगर गाय या भैंस ने एकसाथ जुड़वां 2 बच्चे दिए हों.

पशुपालकों को क्या करना चाहिए

* ब्याने के 24 से 36 घंटे तक जेर के खुद गिरने का इंतजार करें.

* जेर के लटकते हुए भाग या हिस्से को किसी भी हालत में न काटें या तोड़ें.

* ध्यान रहे कि पशु जेर के लटके हुए हिस्से को चाटने या खाने की कोशिश न करे.

* जेर को बलपूर्वक खींच कर निकालने की कोशिश बिलकुल न करें. जेर को खींच कर या काट कर निकालने से उस का कुछ भाग बच्चेदानी में ही रह जाता है और बाद में उस में संक्रमण हो सकता है और मवाद पड़ सकता है जिस से पशु को बुखार भी आ सकता है व दुग्ध उत्पादन में भी कमी आ सकती है.

* बिना पशु चिकित्सक की सलाह लिए जेर को खींचने की कोशिश बिलकुल न करें. इस से कुछ भी फायदा नहीं होगा, जबकि नुकसान बहुत अधिक होगा.

* यदि पशु को बुखार है तो जेर को खींच कर निकालना एकदम वर्जित है.

रोकथाम व उपचार

* पशुओं को उन की जरूरत के मुताबिक दानाचारा, नमक व खनिज लवण (मिनरल मिक्सचर) प्रचुर मात्रा में दें.

* गर्भावस्था के दौरान ध्यान रहे कि पशुओं के आहार में अतिरिक्त खाद्यपूरकों (फीड सप्लीमैंट्स) जैसे कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ई, सैनेनियम व दूसरे खनिज लवणों का प्रचुर मात्रा में समावेश हो.

* ब्याने के तुरंत बाद पशु का दूध जरूर दुह लें, जिस से जेर रुकने की संभावना कम हो जाती है.

* योग्य पशु चिकित्सक की ही सलाह ले कर अपने पशुओं का उपचार कराएं.

* ऐसी अवस्था में कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ई, सैनेनियम व विटामिन ए के इंजैक्शन फायदेमंद होते हैं.

* इस के अतिरिक्त कुछ आयुर्वेदिक हर्बल दवाएं जैसे लिक्विड ऐक्सापार या हिमरोप 100 मिलीलिटर दिन में 2 बार 2-3 दिनों तक पिलाएं या पाउडर रीप्लांटा 100 ग्राम दिन में 2 बार 2-3 दिनों तक खिलाएं.

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