गरमियों की छुट्टियों में जो लोग कुछ पल के सुकून और शांति के लिए हिल स्टेशनों, ठंडे और पहाड़ी पर्यटक स्थलों पर घूमने जाने का मूड बनाते रहे हैं. ऐसे लोग अब देहरादून, मसूरी, नैनीताल और हिमाचल प्रदेश के रमणीक स्थलों पर आने से कतराने लगे हैं, क्योंकि इन स्थलों की दूरी देश की राजधानी दिल्ली से कम होने के चलते लोगों का खुद के चारपहिया वाहनों से यात्रा का प्लान करना जहां उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के संकरे पहाड़ी रास्तों में लंबे जाम का कारण बनता जा रहा है, वहीं पर्यटकों द्वारा फैलाए गए कचरे इन रमणीक स्थलों की खूबसूरती में भी दाग लगा रहे हैं.
इस के अलावा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों में दिनोंदिन बढ़ती भीड़ ने होटलों, गेस्टहाउसों और काटेजों में भीड़ बढ़ाने के साथ ही महंगाई में भी इजाफा कर दिया है.
ऐसे में अब लोग गरमियों की छुट्टियों में घूमने जाने का ऐसा प्लान करने लगे हैं, जहां पहुंचने के बाद कुछ पल सुकून और शांति के मिले ही, साथ में उन का प्रकृति से जुड़ाव भी बना रहे.
ऐसे में जो लोग घूमने के लिए ऐसी जगहों की तलाश में है, उन के लिए एग्रो और रूरल टूरिज्म काफी अच्छी जगह साबित हो सकती है. क्योंकि यहां न केवल प्रकृति से जुड़ने का मौका मिलता है, बल्कि यहां ठहरने और खाने का देशी अंदाज भी आप को रोमांच से भर देता है.
क्या है रूरल एग्रो टूरिज्म
रूरल एग्रो टूरिज्म यानी ग्रामीण और कृषि पर्यटन उन लोगों के लिए काफी अच्छा फील कराने वाला है, जो गांवों से कट चुके हैं. यह उन के और उन के बच्चों के लिए न केवल रोमांचक साबित होता है, बल्कि उन्हें शहरी प्रदूषण से मुक्त शांत व साफ प्राकृतिक वातावरण में रहने, बच्चों में देहात की समझ और सीखनेसिखाने की प्रवृत्ति का विकास का मौका भी देने वाला होता है. यह बेहद किफायती भी होता है, जहां रहनेखाने में अपेक्षाकृत कम खर्च से खुल कर आनंद लेने का अवसर भारतीय गंवई माहौल और संस्कृति को करीब से समझने का अवसर भी देता है. इस से किसानों और ग्रामीणों की आमदनी में इजाफा होने के साथ शहरों के साथ कनेक्टिविटी का मौका भी मिलता है.
रूरल एग्रो टूरिज्म की खूबियां
ग्रामीण और कृषि पर्यटन में पर्यटकों को पूरे देशी अंदाज में पर्यटन का लुत्फ उठाने का मौका मुहैया कराते हैं. लखनऊ के रहने वाले राधेश्याम दीक्षित ग्राम उत्सव के नाम से लोगों को बेहद कम पैसों में ग्रामीण पर्यटन का मौका उपलब्ध कराते हैं, जिस में वह देशी खानपान, देशी खेल जैसे कबड्डी, खोखो, गिल्लीडंडा, आइसपाइस, रस्सीकूद, बगीचों में देशी झूला, पेड़ पर चढ़ना, खेतीकिसानी की बारीकियों को सिखाना, प्राकृतिक खेती को जमीनी तौर पर देखनासमझना, परिवार सहित किसानों के खेत से सब्जियां तोड़ना, देशी गाय के दूध, दही और मट्ठे के साथ स्वादिष्ठ मिठाइयों का जायका लेने का मौका उपलब्ध कराते हैं.
वह पर्यटकों को गांव टहलाना, सर्दी में कौड़ा यानी बोन फायर का आनंद, गोबर के कंडे की आग में भुने हुए आलुओं के स्वाद के साथ बाटीचोखा, लोकसंगीत और लोकनृत्य का अनुभव, शहरी जीवन की भागदौड़ से मुक्ति सहित ग्रामीण परिवेश में सेल्फी और फोटो, वीडियोग्राफी की पूरी सुविधा मुहैया कराते हैं.
उन का यह भी कहना है कि इस तरह के पर्यटन में हम परिवार सहित गांव और खेतीबारी को न केवल नजदीकी से समझ और महसूस कर सकते हैं, बल्कि उसे सीख सकते हैं. इस में हम गाय के दूध दुहने, मक्खन निकालने, बिलोना करने सहित परंपरागत विधि से चाक चला कर मिट्टी से पौटरी के बरतन बनाने, अपने घर पर बागबानी, सब्जियों की खेती, रूफ टौप गार्डनिंग की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
इस के अलावा ग्रामीण और कृषि पर्यटन की सुविधा मुहैया कराने वाले पर्यटकों को कृषि कार्यों और तैराकी में भाग लेने, बैलगाड़ी की सवारी, पतंग उड़ाना, ऊंटघोड़े या ट्रैक्टर की सवारी, मिल कर खाना बनाना, शिकार, मछली पकड़ना आदि भी सिखाते हैं.
ग्रामीण और कृषि पर्यटन के लिए मुफीद है यह जगह
जो लोग हिल स्टेशनों की यात्रा कर के ऊब चुके हैं, उन के लिए ग्रामीण और कृषि पर्यटन एक नया अनुभव साबित हो रहा है. ग्रामीण और कृषि पर्यटन में बेहतर संभावनाओं को देखते हुए अब पहाड़ियों के गंवई इलाकों सहित मैदानी इलाकों में भी लोग आगे आ कर कम पैसे में बेहतर ग्रामीण और कृषि पर्यटन का मौका उपलब्ध करा रहे हैं.
इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए मेरठ के रहने वाले प्रगतिशील किसान अजय मलिक ने मेरठ क्षेत्र के हस्तिनापुर में 60 बीघा बंजर भूमि को उपजाऊ बनाते हुए ‘ग्रीनलैंड फार्म’ नाम से ग्रामीण और कृषि पर्यटन की शुरुआत की है, जहां दिल्ली समेत कई राज्यों के पर्यटक यहां पहुंच कर प्राकृतिक और गंवई सौंदर्य का लुत्फ उठाते हैं.
उन का यह फार्म चारों तरफ खेतों से घिरा हुआ है. यहां सालभर लहलहाती फसलें, चिड़ियों की चहचहाहट और प्राकृतिक सुंदरता बरबस ही मन मोह लेती है. उन का यह ‘ग्रीन फार्म’ गंगनहर के नजदीक है. ऐसे में यहां की ठंडी हवाएं एसी को भी फेल करती हैं.
उन्होंने अपने इस फार्म को पूरी तरह गंवई अंदाज में विकसित किया है, जहां घासफूस की कच्ची दीवारें, 80 के दशक के लगे बिजली के स्विच बोर्ड, स्कूटर झूले वगैरह अलग तरह का सुखद एहसास कराते हैं.
उन्होंने बच्चों को गंवई जीवनशैली में जीने का पूरा बंदोबस्त कर रखा है, जिस से शहरी बच्चे भी गंवई रहनसहन को जान और समझ पाएं. इसीलिए वह बच्चों के लिए देशी खेल के साथ ही आधुनिक खेलों को खेलें के सारे साजोसामान मुहैया कराते हैं. उन के फार्म पर कबूतरों का झुंड और चिड़ियों की चहचहाहट दिमागी सुकून देने वाली होती है.
एक तरफ देशी तालाब और रंगीन बोटें, तो वहीं दूसरी तरफ स्वीमिंग पूल
अजय मलिक इस फार्म पर देशी तालाब में रंगबिरंगी बोटों से बोटिंग की सुविधा भी मुहैया कराते हैं, वहीं देशी और आधुनिक स्वीमिंग पूल भी पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम करते हैं.
देशी अंदाज में ठहरना और खाना
अजय मलिक ने यहां आने वाले पर्यटकों की पूरी तरह से देशी अंदाज में ठहरने की व्यवस्था की है. साफसुथरे बिस्तर, बेड, रस्सियों से बुनी खटिया, बैठका शरीर के थकान को दूर करने वाला होता है.
अजय मलिक ने अपने इस फार्म के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जो लोग शहरी जीवन की भागदौड़ व शोरशराबे से ऊब चुके हैं, वे यहां आ कर ग्राम्य जीवन का लुत्फ उठाते हैं, क्योंकि इस फार्म के चारों ओर खेतों में गन्ना, सरसों, पालक, आलू व मूली की फसलें बरबस ही मन को मोह लेती हैं, जबकि यहां का देशी ठाट में चने व सरसों का साग, मक्के की रोटी, कढ़ी, गाय का दूध व उस से तैयार मट्ठा, घी और मक्खन भोजन के मेन्यु में शामिल किया गया है.
उन्होंने आगे बताया कि यहां सभी तरह के खानों में सरसों के तेल की जगह देशी घी का प्रयोग होता है.
औनलाइन बुकिंग की सुविधा
ग्रीनलैंड एग्रो टूरिज्म में पर्यटकों के लिए औनलाइन बुकिंग की सुविधा है. जो देश की नामी होटल बुकिंग साइटों पर उपलब्ध है.
कैसे पहुंचें ग्रीनलैंड एग्रो टूरिज्म में
यह जगह हस्तिनापुर जंबूद्वीप के पास स्थित है, जो मेरठ से लगभग 37 किलोमीटर दूर है. यह हस्तिनापुर में मध्य गंगनहर के किनारे मौजूद है.
यहां के बारे में या बुकिंग के लिए और अधिक जानने के लिए मोबाइल फोन नंबर 091493 59322 पर भी संपर्क किया जा सकता है.