नई दिल्ली : भारत के पास पशुधन और मुरगीपालन के विशाल संसाधन हैं, जो ग्रामीण जनता की सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पशुधन आजीविका कमाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह आय में वृद्धि करता है, रोजगार के अवसर प्रदान करता है. पशुपालन के माध्यम से कृषि में विविधता ग्रामीण आय में वृद्धि के प्रमुख चालकों में से एक है.
केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि पशुपालन और डेयरी विभाग ने प्रति पशु उत्पादकता में सुधार के लिए पिछले 9 वर्षों के दौरान अनेक महत्वपूर्ण पहल की हैं. उत्पादकता में वृद्धि से घरेलू बाजार और निर्यात बाजार के लिए अधिक दूध, मांस और पशुधन उत्पादों के उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी.
उन्होंने आगे कहा कि विभाग प्रमुख पशुधन रोगों के पूरी तरह नियंत्रण, उन्मूलन और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम लागू कर रहा है. विभाग पशुधन क्षेत्र के माध्यम से विशेष रूप से किसानों की आय बढ़ाने में मदद करने के सामान्य उद्देश्य से अन्य मंत्रालयों और हितधारकों के साथ मिल कर तालमेल करने के प्रयास कर रहा है.
पशुपालन और डेयरी विभाग सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह किसानों के दरवाजे पर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने के लिए अधिकतम सहायता प्रदान करेगा.
पशुधन का जारी किया आंकड़ा
केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने पशुधन क्षेत्र के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्वपूर्ण उपक्षेत्र है. यह वर्ष 2014-15 से 2020-21 के दौरान (स्थिर कीमतों पर) 7.93 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है. कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र में पशुधन का योगदान सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) (स्थिर कीमतों पर) 24.38 फीसदी (2014-15) से बढ़ कर 30.87 फीसदी (2020-21) हो गया है. भारत में पशुधन क्षेत्र का योगदान 2020-21 में कुल जीवीए का 6.2 फीसदी है.