लखनऊ : इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अंतर्गत 3,000 टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की नई चीनी मिल, 60,000 लिटर प्रतिदिन एथनाल उत्पादन क्षमता की आसवनी और लौजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग ) की स्थापना की जाएगी.
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रिपरिषद ने मथुरा जिला में वर्ष 2009 से बंद छाता की पुरानी चीनी मिल के स्थान पर आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स की स्थापना का निर्णय लिया है. आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अंतर्गत 3 हजार टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की नई चीनी मिल स्थापित की जाएंगी, जिसे 4,900 टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता तक विस्तारित किया जा सकेगा.
छाता में इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स स्थापित करते हुए रिफाइंड शुगर उत्पादन के साथ केन जूस/सी हैवी/ बी- हैवी से 60,000 लिटर प्रतिदिन एथनाल उत्पादन क्षमता की आसवनी और लौजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग ) की स्थापना भी की जाएगी. चीनी मिल बाईप्रोडक्ट्स शीरा, बैगास और प्रेसमड का बेहतर उपयोग कर आय के अतिरिक्त स्रोत सृजन से मिल लाभ अर्जित करेगी और गन्ना मूल्य भुगतान में आसानी होगी.
इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स की स्थापना एवं छाता चीनी मिल की पेराई क्षमता के विस्तार से मिल परिसर के निकटवर्ती परिधि (20 किलोमीटर) में आने वाले क्षेत्र के लगभग 50,000 गन्ना किसान लाभान्वित होंगे. इस से किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए गन्ना किसानों के परिवार से जुड़े लगभग 2 लाख सदस्यों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति होगी.
छाता के इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स में चीनी मिल आसवनी एवं लाजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग) की स्थापना से क्षेत्रीय जनता को 1,500 प्रत्यक्ष और 6,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. इस से क्षेत्र के लोगों का आर्थिक एवं सामाजिक भला होगा. साथ ही, मिल क्षेत्र में जलपानगृह, भोजनालय, जनरल स्टोर और ट्रैक्टरट्रक आदि की मरम्मत की वर्कशाप खुलने लगेंगी, जिस से क्षेत्र का सर्वांगीण विकास मुमकिन हो सकेगा. गन्ना विकास के फलस्वरूप अंगोला एवं पत्ती इत्यादि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगी, जिस से ब्रज क्षेत्र में चारे की समस्या का एक सीमा तक निदान हो सकेगा.
चीनी मिल की क्षमता बढ़ने से एक पेराई सत्र में लगभग 40-50 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई होगी, जिस से मिल क्षेत्र के किसानों के गन्ने की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान से जीवनस्तर में सुधार होगा.
छाता चीनी मिल दिल्लीमथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एनएच-2 पर मथुरा से 43 किलोमीटर और गुरुग्राम से 100 किलोमीटर पर स्थित है. परियोजना के अंतर्गत आधुनिक तकनीक का बौयलर, जीरो लिक्विड डिस्चार्ज एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रबंध किए जाने से पर्यावरण पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.
आसवानी की स्थापना होने से भारत सरकार की नीति के अनुसार एथनाल ब्लैंडिंग कार्यक्रम सुगम होगा. इस से क्रूड औयल न खरीदने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी. आसवनी के बौयलर की राख से पोटाश ग्रेन्यूल बनाए जाएंगें, जिस से भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ेगी.
छाता इंटीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अंतर्गत चीनी मिल तथा आसवनी से उत्पादित होने वाले उत्पादों के विक्रय एवं लौजिस्टिक पार्क (वेयरहाउसिंग) के किराए से राज्य सरकार एवं भारत सरकार को लगभग 1,000 लाख रुपए प्रतिवर्ष का राजस्व प्राप्त होगा.