पिछले कई सालों से मिलीबग के रूप में एक नई चूषक कीट की समस्या देखने को मिल रही  है. आने वाले समय में इस कीट की समस्या और भी बढ़ेगी, इसलिए समय रहते इस का प्रबंधन करना जरूरी है.

मिलीबग कीट पहले कुछ खरपतवारों और आम के पौधों पर ही दिखाई पड़ता था, परंतु धीरेधीरे अपना स्वभाव बदल कर अब यह दूसरे फलफूलों और फसलों को भी नुकसान पहुंचाने लगा है.

मिलीबग के पोषक पौधे

आम, कटहल, अमरूद, नीबू, आंवला, पपीता, शहतूत, करौंदा, अंजीर, पीपल. इस के अलावा बरगद, भिंडी, बैगन, मिर्च, गन्ना, गुलाब, गुड़हल आदि पर यह कीट पाया जाता है.

पहचान और क्षति के लक्षण

मिलीबग एक छोटा, अंडाकार, पीले, भूरे या हलके भूरे रंग का सर्वभक्षी कीट है. इस कीट का शरीर सफेद मोम जैसी चूर्णी पदार्थ से ढका रहता है. यह पौधों का रस चूसता है और मधु स्राव भी छोड़ता है, जिस पर काली फफूंद लग जाती है.

यह कीट मार्च से नवंबर महीने तक सक्रिय रहता है और प्रौढ़ के रूप में सर्दियों में निष्क्रिय हो जाता है. यह पौधों का रस चूस कर पौधों को कमजोर बना देते हैं. पौधों की पत्तियों, तने, फूलों व फलों पर सफेद रुई जैसे गुच्छे उभरने लगते हैं. इसे दहिया रोग भी कहा जाता है. इस के प्रकोप से पत्तियां पीली हो कर मुड़ने लगती हैं. ये कीट चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जिस से चींटियां और दूसरे कीट आकर्षित होते हैं.

ऐसे करें प्रबंधन

* फूलों व सब्जियों में अच्छे स्वस्थ बीजों का चयन करें. खेत में खरपतवार को नष्ट कर दें और खेत को साफ रखें.

* पौधों के संक्रमित भाग को पौधों से अलग कर के नष्ट करें.

* संक्रमित खेत में प्रयोग किए गए यंत्रों को साफ कर के प्रयोग करें.

इस से बचाव के लिए एजादिरेक्टीन 2 मिलीलिटर या  फिर 2 मिलीलिटर क्लोरोपाइरीफास या 2 मिलीलिटर साइपरमेथ्रिन  प्रति लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें.

वृक्षों में प्रबंधन

गरमी के दिनों यानी मईजून के महीने में पेड़ के चारों ओर एक मीटर लंबाई में खेत की अच्छी तरह गुड़ाई करनी चाहिए, ताकि दिए हुए अंडे ऊपर आ कर नष्ट किए जा सकें.

नवंबर महीने में जिस समय कीट दिखाई देते हैं, तो उन को पेड़ों पर चढ़ने से रोकने के लिए जमीन से डेढ़ फुट ऊपर तने में मोटी पौलीथिन 30 सैंटीमीटर चौड़ी पेड़ के चारों तरफ बांध देनी चाहिए और बंधी पौलीथिन के ऊपर व नीचे की तरफ ग्रीस लगा देनी चाहिए, जिस से शिशु पेड़ पर नहीं चढ़ पाते हैं.

इस से बचने के लिए एजादिरेक्टीन 2 मिलीलिटर या फिर 2 मिलीलिटर क्लोरोपाइरीफास या 2 मिलीलिटर साइपरमेथ्रिन प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

ध्यान रहे, पहले दूसरे उपायों और जैविक कीटनाशी का इस्तेमाल करें. बहुत जरूरत पड़ने पर ही रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल सावधानी के साथ करें.

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