गन्ना फसल में इस समय मौसम को देखते हुए और उन के पूर्वानुमान का आकलन करते हुए सिंचाई का इंतजाम कीजिए.
अगर वर्षा का जल खेतों में भर गया हो, तो उसे निकालने का इंतजाम भी करें.मेंड़ों की मरम्मत जरूर कर दें, जिस से आगामी मानसून में पानी मेंड़ों को तोड़ न दे.
खेत में ओट आने के बाद अच्छी तरह से निराईगुड़ाई कर दें और मिट्टी पौधों पर चढ़ा दें. अगर गन्ना की पंक्ति में दूरी ज्यादा हो, तो यांत्रिक विधि से भी गुड़ाई की जा सकती है.
गन्ने की फसल में निराईगुड़ाई करने से खरपतवार नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी की हलकी परत बन जाती है, जिस से पानी सूखता नहीं है.
जड़ों में वायु का संचार अच्छी तरीके से होता है. इस वजह से जड़ों का विकास अच्छी तरह से हो जाता है.
फसल सुरक्षा
दीमक : इस कीट पर नियंत्रण पाने के लिए न्यूवेरिया बैसियाना नामक फफूंद 1.15 फीसदी 1-2 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 30 किलोग्राम गोबर की खाद में मिला कर पानी का छींटा दे कर और 8-10 दिन तक छाया में रखने के बाद शाम के समय खेतों में बुरकाव करना चाहिए.
रासायनिक विधि में 800 मिलीलिटर प्रति एकड़ क्लोरपायरीफास 20 ईसी को सिंचाई के समय पानी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए.
अंकुर व चोटी बेधक : ग्रीष्म में प्रभावित किल्लों और बेधक के अंडसमूह को नष्ट कर देना चाहिए और ट्राइकोकार्ड 4 कार्ड प्रति एकड़ की दर से गन्ने की पत्तियों पर लगाना चाहिए.