कहा जाता है कि सब्जियों की खेती से किसानों को भरपूर आमदनी होती है, सालभर नकदी बनी रहती है. मगर सब्जियों की नर्सरी उगाना हर जगह मुमकिन नहीं है. बाढ़ या दियारा इलाके में यह काम बहुत मुश्किल है, वहीं दूसरी ओर छोटे किसानों के पास गुजारे लायक जमीन नहीं होती है कि नर्सरी उगा सकें.
सब्जियों से भरपूर आमदनी के लिए खेती अगेती करनी चाहिए, जिस के लिए नर्सरी भी अगेती हो व तापक्रम माकूल हो. प्लास्टिक ट्रे में नर्सरी को उगा कर उसे अनुकूलता प्रक्रम में आसानी से रखा जा सकता है, जबकि खुले खेत में यह काम बहुत मुश्किल है.
प्लास्टिक ट्रे में सब्जियों की नर्सरी से ढेरों फायदे हैं, मसलन नर्सरी जल्दी और बेमौसम तैयार हो जाती है. बीज की जरूरत तकरीबन आधी होती है. रोग और कीट तकरीबन न के बराबर रहते हैं. नर्सरी को एक जगह से दूसरी जगह आसानी से भेज सकते हैं.
मतलब यह है कि नर्सरी के कारोबार को शानदार और दमदार बनाया जा सकता है. ऐसे में समय की मांग है कि अब प्लास्टिक ट्रे में नर्सरी लगाई जाए.
नर्सरी की इस विधि को भूमिरहित या प्लग ट्रे कहते हैं. प्लग ट्रे प्लास्टिक से बनी हुई ढेरनुमा आकार की होती है, जिस में प्लग (गहरे सैल) बने होते हैं.
बाजार में प्लास्टिक की अनेक गहरे खानेदार (प्लग) वाली ट्रे मिलती हैं. एक प्लग (खाने) में एक पौध उगाई जाती है. हमेशा शंकु आकार वाली ट्रे को खरीदना चाहिए, क्योंकि शंकु आकार वाली टे्र में पौधों की जड़ें बहुत आसानी से और गहराई से विकसित हो जाती हैं.
कैसे उगाएं नर्सरी
सभी पौध रोग और कीट मुक्त हों, इस के लिए सब से पहले प्लास्टिक ट्रे को उपचारित कर देना चाहिए. ट्रे को 0.1 फीसदी क्लोरीन ब्लीच के घोल पर 0.1 फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइड के घोल में कुछ देर डुबो कर निकाल लेना चाहिए.
इस के बाद प्रति प्लग 3 भाग को कोपिट, एक भाग वर्मी क्यूलाइट, एक भाग पर लाइट के मिश्रण से भर देना चाहिए. इस के बाद ट्रे को पौलीहाउस, एग्रोनैट या छोटे किसान लोटनेल पौलीहाउस में रख दें. इस के बाद हर प्लग में 1 सैंटीमीटर की गहराई पर बीज को दबा कर हलकी सिंचाई करनी चाहिए.
खाद, पानी व उर्वरक
ट्रे में कार्बनिक खादों का भरपूर इस्तेमाल करते हुए घुलनशील उर्वरकों का इस्तेमाल करना बेहतर होता है. कद्दूवर्गीय सब्जियों के लिए हफ्ते में एक बार घोल बना कर छिड़काव करना उचित रहता है.
पौधों की बेहतर बढ़वार के लिए अंकुरण के एक हफ्ते बाद सिंचाई के साथ बाजार में मुहैया विभिन्न एनपीके के ग्रेड जैसे 20:20:20, 19:19:19 और 15:15:15 दे सकते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि सिंचाई की सूक्ष्म विधि जैसे ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई यदि अपनाई गई, हो तो विभिन्न एनपीके ग्रेड वाले उर्वरकों का 70-80 पीपीएम की मात्रा होनी चाहिए.
प्लग ट्रे में सिंचाई हमेशा शाम को फुहार के रूप में करनी चाहिए. शाम को सिंचाई करने से पौध गलन की समस्या कम आती है.
फायदे ही फायदे
* पौध सड़न, जड़ गलन जैसी बीमारियों का डर कम हो जाता है.
* एक प्लग में एक पौधे का बेहतर ढंग से जमाव होने के चलते पौधों को समुचित पोषक तत्त्व और पानी मिलता है.
* खरपतवार नहीं उग पाते हैं.
* बेमौसम और जल्दी से पौधे तैयार हो जाते हैं, जिस से बाजार में सब्जियों की अगली आवक से कीमतें ज्यादा मिलती हैं और आमदनी में बढ़ोतरी होती है.
* 95-100 फीसदी पौधे जीवित और सेहतमंद होते हैं.
* पौध सामग्री को एक जगह से दूसरी जगह भेजने में आसानी रहती है.
* सालभर में 5-6 बार नर्सरी तैयार की जा सकती है.