उदयपुर : 5 अगस्त 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संघटक, सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय के प्लेसमेंट सेल एवं इनफार्मेशन ब्यूरो और होम साइंस एसोसिएशन औफ इंडिया, उदयपुर चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में स्नातकोत्तर छात्रछात्राओं हेतु “रिसर्च पेपर लेखन विधा” विषयक व्याख्यान आयोजित किए गए.
महाविद्यालय की डीन प्रो. मीनू श्रीवास्तव ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि विगत कई वर्षों से शोधपत्रों की गुणवत्ता में गिरावट आई है. इस की मुख्य वजह शोधरतियों की ज्ञानपिपासा में कमी के साथसाथ उचित मार्गदर्शन की कमी भी है. हालांकि प्लेगरिज्म की सुविधा के चलते मौलिकता की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए प्रमाणिक शोधपत्र की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है. साथ ही, उन्होंने आयोजन की प्रशंसा करते हुए भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया.
होम साइंस एसोसिएशन औफ इंडिया, उदयपुर चैप्टर की उपाध्यक्ष, संयोजिका डा. सुमन सिंह, प्रोफैसर एमरिटसने कहा कि ख्यातिनाम और अनुभवी विशेषज्ञों के ज्ञान का प्रत्यक्ष लाभ डिजिटल ज्ञान से कहीं ज्यादा असरकारक होता है. वर्तमान शोधार्थियों के लिए ऐसे आयोजन प्रासंगिक हैं.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि एसोसिएशन का उद्देश्य शिक्षा शोध और प्रसार के माध्यम से सामुदायिक विकास को गति प्रदान करना है, जिस से सामाजिक कल्याण सुनिश्चित किया जा सके.
आयोजन सचिव डा. गायत्री तिवारी, प्रोफैसर एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक, इंचार्ज – प्लेसमेंट सेल एवं इनफार्मेशन ब्यूरो ने बताया कि अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य कार्यवाही को सूचित करना, सिद्धांतों के लिए साक्ष्य इकट्ठा करना और अध्ययन के क्षेत्र में ज्ञान विकसित करने में योगदान देना है.
उन्होंने कहा कि कोई भी शोध तब तक पूरा नहीं माना जाता, जब तक कि अधिकाधिक लोगों तक इस की जानकारी न पहुंचे. अकादमिक व्यक्तियों के लिए जर्नल इत्यादि में प्रकाशित शोधपत्र सशक्त माध्यम हैं, वहीं आम लोगों के लिए निष्कर्षों को पौपुलर आर्टिकल या लेखों के माध्यम तक पहुंचना चाहिए. शोधार्थियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को उचित और समीचीन दिशा देने के लक्ष्य से ही इन सत्रों का आयोजन किया.
प्रथम सत्र में एसएनडीटी यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड प्रो. सुमन मुंडकर द्वारा “नेविगेटिंग द वर्ल्ड औफ पब्लिशिंग रिव्यु एंड रिसर्च पेपर्स” शीर्षक पर सारगर्भित जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि एक समीक्षा लेख में आप के क्षेत्र में वर्तमान अत्याधुनिक की व्यापक आलोचनात्मक समीक्षा प्रदान की जानी चाहिए और एक शोध लेख में आप के शोध उत्पादित नए निष्कर्ष प्रस्तुत होने चाहिए.
उन्होंने शोधपत्र लेखन के सभी चरणों के बारे में तकनीकी बारीकियों से संबंधित पक्षों को उदाहरण सहित समझाया.
दूसरे सत्र में सैंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, तूरा, मेघालय की डीन प्रो. ज्योति वस्त्राद ने “टुवर्ड्स सस्टेनेबल रिसर्च : फोकस औन टैक्सटाइल्स” पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि सतत विकास और अनुसंधान प्राकृतिक संसाधनों को प्रदान करने के लिए प्राकृतिक प्रणालियों की क्षमता को बनाए रखते हुए लक्ष्यों को पूरा करना है. टिकाऊ वस्त्र सामग्री से तात्पर्य उस कपड़े से है, जो पर्यावरण अनुकूल संसाधनों से आता है, जैसे टिकाऊ रूप से उगाई गई फाइबर फसलें या पुनर्नवीनीकरण सामग्री. कपड़ों का निर्माण कैसे किया जाता है, यह भी निर्धारित करता है कि वे कितने टिकाऊ हैं.
सत्रों में विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और प्रश्नोत्तरी द्वारा उन का समाधान किया गया.