भारत में धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. इसे देश के लगभग सभी राज्यों में उगाया जाता है. चीन के बाद चावल का सब से ज्यादा उत्पादन करने में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है.
भारत में धान की खेती पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है. इस के अलावा झारखंड एक ऐसा राज्य है, जहां धान की खेती 71 फीसदी जमीन के हिस्से पर होती है.
खेती में बढ़ती हुई लागत एक चिंता का विषय है. यही कारण है कि किसानों को अधिक लाभ नहीं मिल पा रहा है. बढ़ती हुई लागत को देखते हुए आज यह जरूरी हो गया है कि ऐसी तकनीकों का विकास किया जाए, जिस से खेती की लागत में कमी आए और उत्पादन अधिक हो.
खेती में ऐसी कुछ तकनीकों का विकास किया गया है, जैसे धान की रोपाई ट्रांसप्लांटर विधि द्वारा, धान की सीधी बोआई ड्रम सीडर द्वारा और धान की बोआईर् जीरो सीड ड्रिल मशीन द्वारा आदि.
पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन
पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से धान की पौध की रोपाई की जाती है. इस से लगभग 3 घंटे में एक एकड़ तक धान की रोपाई की जा सकती है. इस मशीन के कई मौडल हैं, जिस में 4, 6, 8 कतारों में धान की रोपाई करते हैं. इस मशीन से रोपाई के लिए मैट टाइप नर्सरी तैयार करनी पड़ती है. एक एकड़ खेत के लिए 1.2 मीटर चौड़ी×20 मीटर लंबी नर्सरी बैड की आवश्यकता पड़ती है.
मैट टाइप नर्सरी तैयार करने की विधि
बीज को 7 से 8 घंटे भिगो कर रखना चाहिए. एक एकड़ की रोपाई के लिए नर्सरी डालने के लिए 20 मीटर लंबी और 1.2 मीटर चौड़ी व 10 से 15 सैंटीमीटर उठी हुई क्यारी की जरूरत पड़ती है.
नर्सरी बैड पर 100 माइक्रोन की प्लास्टिक शीट फैलाने से पहले पतली महीन छेद कर के बिछा दें. खरपतवाररहित उपजाऊ भुरभुरी मिट्टी और गोबर की खाद 2:1 के अनुपात में मिला कर प्लास्टिक बिछी हुई बैड पर फ्रेम के अंदर बराबर से फैला दें. फ्रेम की ऊंचाई 1.2 से 2 सैंटीमीटर हो. प्रति नर्सरी बैड 1.2 मीटर × 20 मीटर पर 12 किलोग्राम सामान्य प्रजाति और 9 किलोग्राम संकर धान के बीज छिड़क कर एक पतली तह मिट्टी मिश्रण से ढक दें. इस के बाद फव्वारा सिंचाई 21 दिन के अंदर आवश्यकतानुसार करते रहें.
बोआई का समय : 15 मई से 30 मई के मध्य रोपाई अवश्य कर देनी चाहिए.
बीज की दर : सामान्य प्रजाति के लिए 30 किलोग्राम और संकर धान के लिए 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है.
उपयुक्त प्रजाति : सांभा उन्नत सांभा, एमटीयू 7029, स्वर्णा सब-1, नरेंद्र धान 3112, सांभा मंसूरी आदि.
संस्तुति उर्वरक : एनपीके 150:60:50 के अनुपात में और सूक्ष्म पोषक तत्त्व 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए.
खरपतवार नियंत्रण : मशीन द्वारा रोपाई किए गए धान में खरपतवारों के जमाव को नियंत्रण करने वाले खरपतवारनाशी रसायनों जैसे पाइरोजोसल्फ्यूरान 200 ग्राम, प्रेटीलाक्लोर 1.5 लिटर और ब्यूटाक्लोर 2.5 लिटर प्रति हेक्टेयर रोपाई के तत्काल बाद से 72 घंटे के अंदर प्रयोग करना ज्यादा लाभकारी पाया गया है. जमाव के बाद खरपतवार के नियंत्रण के लिए विस्पायरी बैक सोडियम 250 एमएम+मेटासल्फ्यूरान 20 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लिटर पानी में घोल मिला कर छिड़काव करना चाहिए.
ट्रांसप्लांटर मशीन से बोआई के लाभ
* इस मशीन से बोआई करने का मुख्य लाभ यह है कि इस में मजदूरों की जरूरत बहुत ही कम पड़ती है.
* पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से रोपाई करेंगे तो एकसाथ 6 लाइनों में पौधों की रोपाई होगी, जिस से कम समय में अधिक रोपाई हो सकेगी.
* इस मशीन से एक दिन में तकरीबन 7 से 10 एकड़ तक की रोपाई की जा सकती है. लेकिन अगर किसान मजदूरों से रोपाई का काम करवाएंगे, तो पूरे दिन 1 से 2 एकड़ कृषि भूमि में ही रोपाई कर पाएंगे.
* पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से बोआई के लिए किसानों को 3 से 4 मजदूरों की जरूरत होगी.
* पैदावार में तकरीबन 10 से 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी होती है.
धान रोपाई यंत्र का संचालन व रखरखाव
* रोपाई शुरू करने से पहले यंत्र का अच्छी तरह से निरीक्षण कर के साफसफाई करनी चाहिए और ईंधन औयल की भी जांच करनी चाहिए.
* रोपाई के लिए यंत्र की गहराई आवश्यकतानुसार कंट्रोल लीवर की सहायता से निर्धारित करें.
* रोपाई के पहले यह पक्का कर लें कि यंत्र के चारों तरफ रोपाई के लिए सही जगह हो, जिस से यंत्र के संचालन में कोई परेशानी न हो. रोपाई मेंड़ के समानांतर करनी चाहिए.
* रोपाई का काम पूरा होने के बाद यंत्र की साफसफाई कर सुरक्षित जगह पर रख देना चाहिए.