आमतौर पर यह देखा गया है कि समुचित पोषण व देखभाल की कमी में नवजात बछड़े जन्म के पहले महीने के अंदर ही मर जाते हैं और अगर जिंदा रहे भी तो कुपोषण के चलते बड़े होने पर अपनी आनुवंशिक क्षमता का सही से प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं. इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि नवजात बछड़ों की देखभाल वैज्ञानिक विधि से की जाए, ताकि वे सेहतमंद रह कर एक बेहतरीन गाय या सांड़ अथवा बैल बन सकें.
जन्म के तुरंत बाद देखभाल
* जन्म के समय बछड़े या बछिया की नाक और मुंह पर चिपचिपा पदार्थ लगा रहता है जिस के चलते उसे सांस लेने में परेशानी हो सकती है, इसलिए जन्म के तुरंत बाद नाक और मुंह पर लगी श्लेष्मा या कफ को हटा दें.
* गाय को बछड़े या बछिया को चाटने दें, ताकि गाय उस के नथुनों और मुंह को चाट कर साफ कर सके और बच्चे को सांस लेने में कोई कठिनाई न हो और उस का रक्त संचार तेज हो सके.
* बच्चे की नाभि को शरीर से 2 से 5 सैंटीमीटर की दूरी पर बांधें और बांधने के स्थान के 1 सैंटीमीटर नीचे नए ब्लेड से एक कट लगाएं और लटकती नाभि नाल पर टिंचर आयोडीन या बोरिक एसिड या कोई भी दूसरी एंटीसैप्टिक क्रीम लगाएं.
* बच्चे के जन्म के समय के भार को रिकौर्ड करें, क्योंकि जन्म भार के अनुसार ही उसे खीस पिलाया जाना है.
* गाय के अयन और थनों को क्लोरीन या पोटैशियम परमेगनेट के घोल से धोएं और सुखाएं.
* नवजात बछड़े या बछिया को गाय का पहला दूध, जिसे खीस भी कहते हैं, भरपेट चूसने दें. जन्म के पहले 4 घंटे में खीस पिलाया जाना बहुत जरूरी होता है.