मशरूम की खेती अब पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही है. मशरूम की खेती सीधे आजीविका में सुधार कर सकती है. इस का आर्थिक पोषण और औषधीय योगदान बहुत है. यह ग्रामीण विकास, महिलाओं और युवाओं के अनुकूल पेशे का माध्यम बन सकता है.
उत्पादन तकनीक
कंपोस्ट की तैयारी
कंपोस्ट कृत्रिम ढंग से बनाया गया वह माध्यम है, जिस से मशरूम की कायिक संरचना भोजन प्राप्त कर अपने फलनकाय के रूप में मशरूम पैदा करती है, अत: कंपोस्ट बनाने के पीछे मशरूम को उचित भोजन सामग्री उपलब्ध कराना निहित है. कंपोस्ट बनाने के लिए पक्के फर्श या विशेष कंपोस्टिंग शैड उपयोग में लाए जाते हैं. कंपोस्ट बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री प्रयोग में लाएं :
गेहूं का भूसा-1,000 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट व कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट-30 किलोग्राम, सुपर फास्फेट-10 किलोग्राम, पोटाश-10 किलोग्राम, यूरिया-10 किलोग्राम, जिप्सम-100 किलोग्राम, गेहूं का चोकर-50 किलोग्राम, फ्यूरोडान 500 ग्राम.
कंपोस्ट बनाना शुरू करने से 48 घंटे पहले भूसे की पतली तह पक्के फर्श पर बिछा कर उसे अच्छी तरह से पलट कर पानी के फव्वारे से तर कर दें.
आरंभ या शून्य
इस आरंभ में भूसे में नमी की मात्रा 75 फीसदी होनी चाहिए. इस नमीयुक्त भूसे में चोकर, कैल्शियम, यूरिया, म्यूरेट औफ पोटाश और सुपर फास्फेट अच्छी तरह मिला देते हैं. अब लकड़ी के पूर्व निर्मित तख्तों की मदद से भूसे का लगभग 1.5 मीटर चौड़ा, 1.25 मीटर ऊंचा किसी भी लंबाई का ढेर बनाएं.
ढेर बनाने के बाद लकड़ी के तख्तों को ढेर से अलग कर दें. 24 घंटे के भीतर ढेर का भीतरी तापमान 70-75 डिगरी सैंटीग्रेड तक होना चाहिए. इस ढेर की नमी बनाए रखने के लिए एक या 2 बार बाहरी सतह पर पानी का छिड़काव करें.
पहली पलटाई
छठे दिन ढेर के बाहरी भाग को (15 सैंटीमीटर अंदर तक का) फर्श पर फैला दें, शेष भाग को दूसरी जगह फर्श पर फैला दें.
अब बाहरी भाग की कंपोस्ट को अंदर डाल कर व भीतरी भाग की कंपोस्ट को बाहर डाल कर लकड़ी के तख्तों की मदद से दोबारा ढेर बना कर तख्तों को अलग कर दें.
दूसरी पलटाई
10वें दिन बाहरी व भीतरी भाग को अलग कर के बाहरी भाग पर अच्छी तरह पानी का छिड़काव कर के ढेर को इस तरह बनाएं कि बाहरी भाग ढेर के भीतर व भीतरी भाग ढेर के बाहर पहुंच जाए.
तीसरी पलटाई
13वें दिन पहले की तरह पलटाई व ढेर का निर्माण करें व जिप्सम मिला दें.
चौथी पलटाई
16वें दिन पहले की तरह पलटाई व ढेर का निर्माण करें.
5वीं पलटाई
19वें दिन पहले की तरह पलटाई ढेर का निर्माण करें.
छठी पलटाई
22वें दिन पहले की तरह पलटाई का निर्माण करें व फ्यूरोडान मिला दें.
7वीं पलटाई
25वें दिन यदि कंपोस्ट अमोनिया गैस मुक्त है, तो कंपोस्ट बीजाई के लिए तैयार है, वरना 28वें दिन करें और बीजाई 30वें दिन करें.
बीजाई
बीजाई (स्पौनिंग) कंपोस्ट में स्पौन मिलाने के ढंग को कहते हैं. प्रति क्विंटल तैयार कंपोस्ट में 500 ग्राम से 750 ग्राम स्पौन (0.5-7.5 फीसदी की दर से) अच्छी प्रकार मिलाया जाता है. बीजाई की हुई कंपोस्ट को सैल्फ या पौलीथिन बैगों से हलका ढक कर रखना चाहिए. सैल्फ में 80-100 किलोग्राम/मीटर व बैग में 10-15 किलोग्राम कंपोस्ट भरते हैं.
बीजाई की हुई कंपोस्ट को निर्जीवीकृत अखबार द्वारा ढक देते हैं. अखबारों को इस्तेमाल में लाने से एक हफ्ते पहले फौर्मेलीन घोल से या वाष्प द्वारा 20 पौंड पर आधा घंटा निर्जीवीकरण कर लेना चाहिए.
यदि पौलीथिन बैग इस्तेमाल कर रहे हैं, तो बैग को ऊपर से मोड़ कर बंद कर दें. बीजाई के बाद फसल कक्ष का तापमान 22-23 डिगरी सैंटीग्रेड या अपेक्षित आर्द्रता 85-90 फीसदी बनाए रखना चाहिए. दिन में 2 बार हलके पानी का छिड़काव अखबार के ऊपर व फसल कक्ष की फर्श व दीवार पर करें.
बीजाई के 6-7 दिन बाद धागेनुमा फफूंदी की वृद्धि दिखाई देने लगती है, जो 12-15 दिन में कंपोस्ट की सतह को सफेद कर देते हैं. बिछे हुए अखबार के ऊपर फैली हुई फफूंदी को आवरण मृदा द्वारा ढक दिया जाता है.
आवरण मृदा (केसिंग मिट्टी)
आवरण मृदा का मतलब है, कंपोस्ट पर फैली हुई फफूंदी के ऊपर मृदा मिश्रण का स्तर बिछाना, जिस से नमी बनाए रखने व गैस के आदानप्रदान में कवक को मदद मिलती रहे.
आवरण मृदा बीमारियों और कीड़ों से मुक्त व इस का पीएच मान 7.5 से 7.8 होना चाहिए. अपने देश में निम्नलिखित सामग्री से आवरण मृदा तैयार की जाती है :
* गोबर की खाद (2 साल पुरानी) बगीचे की मिट्टी (2:1)
* गोबर की खाद (2 साल पुरानी) स्पेंट कंपोस्ट (1:1)
आवरण मृदा का पाश्चुरीकरण
आवरण मृदा को फौर्मेलीन द्वारा शोधित किया जा सकता है. आवरण मृदा का मिश्रण पक्के फर्श पर ढेर के रूप में रख कर उस में 4 प्रतिशत फौर्मेलीन का घोल पानी में बना कर अच्छी तरह मिला लें. उस के बाद ढेर को पौलीथिन चादर को हटा कर आवरण मृदा को उलटपलट कर फौर्मेलीन की गंध उड़ने के लिए छोड़ देते हैं.
इस तरह 3-4 दिन तक आवरण मृदा को उलटतेपलटते रहते हैं व पूरी तरह से ढेर को फौर्मेलीन गंधरहित कर लेते हैं. आवरण मृदा का शोधन वाष्प द्वारा 65 डिगरी सैंटीग्रेड पर 6-8 घंटे करना ज्यादा उपयोगी है.
आवरण मृदा का प्रयोग
आवरण मृदा की 4 सैंटीमीटर मोटी सतह कवक जाल युक्त कंपोस्ट के ऊपर बिछा दी जाती है. आवरण मृदा बिछाने के बाद 2 फीसदी फौर्मेलीन घोल का छिड़काव इस पर करना चाहिए और फसल कक्ष का तापमान 15-18 डिगरी सैंटीग्रेड और आर्द्रता 80-85 फीसदी कर देना जरूरी है. साथ ही, समुचित वायु संचार का इस अवस्था में प्रबंधन करना जरूरी होता है.
आवरण मृदा के ऊपर से दिन में एक या 2 बार पानी का हलका छिड़काव करना चाहिए.
फसल की तुड़ाई
आवरण मृदा बिछान के 12 से 18 दिन बाद (मशरूम) निकलना शुरू हो जाता है और 50-60 दिन तक निरंतर निकलते रहते हैं.
दिन में एक अथवा दो बार मशरूम को टोपी खुलने के पहले (जिस की परिधि एक से डेढ़ इंच हो), उंगलियों के सहारे ऐंठ कर निकाल लेना चाहिए. इतना ही नहीं, मशरूम खुल जाने और छतरी बन जाने पर मशरूम की क्वालिटी और बाजार में इस की कीमत कम हो जाती है.
पैदावार
दीर्घ अवधि से बनाई गई प्रति 100 किलोग्राम कंपोस्ट से 14 से 16 किलोग्राम मशरूम व इतनी ही मात्रा में पाश्चुरीकरण कंपोस्ट से 18 से 22 किलोग्राम मशरूम की पैदावार हासिल हो जाती है.