लखनऊ : केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- (राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान), लोटस मिशन, सीएसआईआर-एनबीआरआई लखनऊ द्वारा विकसित “कमल” के पुष्प की नई प्रजाति का अनावरण किया, जिस का नाम ‘नमो 108’ रखा गया है. नए कमल में 108 पंखुड़ियां हैं. ‘एनबीआरआई नमो 108’ नाम के कमल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर- एनबीआरआई) द्वारा विकसित किया गया है, जो लखनऊ में स्थित एक प्रमुख पौध आधारित, बहुविषयक, अत्याधुनिक राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास केंद्र है.
एनबीआरआई, लखनऊ में नमो 108 कमल की प्रजाति और उस के उत्पादों को राष्ट्र को समर्पित करते हुए डा. जितेंद्र सिंह ने कहा, “कमल के पुष्प के महत्व को ध्यान में रखते हुए यह संयोजन इस प्रजाति को एक महत्वपूर्ण पहचान देता है.”
नमो 108 कमल की यह प्रजाति मार्च से दिसंबर तक खिलती है और पोषक तत्वों से भरपूर होती है. यह कमल की पहली ऐसी प्रजाति है, जिस का जीनोम इस की विशेषताओं के लिए पूरी तरह से अनुक्रमित है.
डा. जितेंद्र सिंह ने कमल के रेशों से बने परिधान और कमल के फूलों से निकाले गए इत्र ‘फ्रोटस’ का भी विमोचन किया, जिसे सुगंध एवं स्वाद विकास केंद्र (एफएफडीसी), कन्नौज के सहयोग से कमल अनुसंधान कार्यक्रम (लोटस रिसर्च प्रोग्राम) के अंतर्गत एनबीआरआई द्वारा विकसित किया गया है.
लोटस मिशन की हुई शुरुआत
इस अवसर पर कमल अभियान (लोटस मिशन) की शुरुआत करते हुए डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रीय शहद और मधुमक्खी मिशन (नेशनल हनी बी मिशन -एनएचबीएम), राष्ट्रीय बांस मिशन (नेशनल बंबू मिशन- एनबीएम), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) एवं प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमएनएफ), सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए), गोकुल मिशन, नीली क्रांति, मिशन शक्ति – एक एकीकृत महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम और अंतःविषय साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) इत्यादि जैसी अन्य प्राथमिकता वाली योजनाओं के समान ही मिशन मोड में शुरू की जा रही है.
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने अरोमा मिशन की शानदार सफलता के बाद अब लोटस मिशन शुरू किया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया है कि यह सरकार न केवल एक योजना या परियोजना शुरू करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि इस की सीमा निर्धारित हो.
पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) की एक और अनूठी पहल में डा. जितेंद्र सिंह ने विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए वानस्पतिक (हर्बल) रंग भी जारी किए, जो एनबीआरआई द्वारा उपयोग किए फूलों से निकाले गए थे. इन वानस्पतिक रंगों का उपयोग रेशम और सूती कपड़ों को रंगने के लिए भी किया जा सकता है.