मशरूम क्या है?
मशरूम, जिसे क्षेत्रीय भाषाओं में कुकुरमुत्ता, भूमिकवक, खुंभ, खुंभी, गर्जना एवं धरती के फूल आदि कई नामों से जाना जाता है. आमतौर पर बरसात के दिनों में छतरीनुमा संरचनाएं सडे़गले कूडे़ के ढेरों पर या गोबर की खाद या लकड़ी पर देखने को मिलता है, वह भी एक तरह का मशरूम ही है.
हालांकि वे सभी मशरूम खाने लायक भी नहीं होते, क्योंकि वो साफसफाई वाली जगह नहीं उगते.
खाने के लिए मशरूम को घर में भी उगाया जा सकता है और बड़े पैमाने पर भी इस की खेती की जा सकती है, जिस के लिए बाकायदा तकनीकी प्रशिक्षण भी जरूरी है.
मशरूम की हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है?
मशरूम का प्रयोग सब्जी, पकौड़ा, सूप, मुरब्बा, अचार आदि के रूप में किया जाता है. मशरूम खाने में स्वादिष्ठ, सुगंधित, मुलायम और पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इस में वसा और शर्करा कम होने के कारण यह मोटापा, मधुमेह और रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए आदर्श शाकाहारी आहार है.
मशरूम के प्रकार कितने होते हैं?
मशरूम की बहुत सी प्रजातियां हैं, परंतु व्यावसायिक रूप से मुख्यतः 3 प्रकार की मशरूम उगाई जाती है. बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम और धान पुआल मशरूम. तीनों प्रकार की मशरूम को किसी भी हवादार कमरे या शेड में आसानी से उगाया जा सकता है.
ढींगरी मशरूम कैसे उगाते हैं?
ढींगरी मशरूम उगाने का सही समय अक्तूबर से मध्य अप्रैल के महीने हैं. आमतौर पर 1.5 किलोग्राम सूखा पुआल/भूसे या 6 किलोग्राम गीले पुआल/ भूसे से लगभग एक किलोग्राम ताजी मशरूम आसानी से प्राप्त होती है, जिस की कीमत 60-80 रुपए प्रति किलोग्राम है.
बटन मशरूम कैसे पैदा किया जाता है?
बटन मशरूम की तैयारी मध्य अगस्त से करते हैं. एक क्विंटल तैयार किए गए कंपोस्ट से तकरीबन 15-20 किलोग्राम बटन मशरूम की उपज होती है. उत्पादन खर्च प्रति किलोग्राम 35-40 रुपए, बिक्री दर 100-150 रुपए, शुद्ध लाभ 65-100 रुपए प्रति किलोग्राम होता है.
ग्रामीण क्षेत्र में मशरूम उत्पादन करने की अपार संभावनाएं हैं. किसानों के पास मशरूम उत्पादन में उपयोग होने वाले अधिकतर संसाधन जैसे-भूसा, पुआल, कंपोस्ट, बेसन, बांस, रस्सी आदि उपलब्ध है. केवल मशरूम का स्पान (बीज) ही बाहर से मंगाना पड़ेगा. उस में प्रयोग होने वाले उर्वरक, फफूंदीनाशक स्थानीय बाजार में उपलब्ध है.
मशरूम उत्पादन पर तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण कहां से प्राप्त किया जा सकता है?
मशरूम की खेती करने का तरीका खाद्यान्न एवं बागबानी फसलों से बिलकुल अलग है. इसलिए इस की खेती की शुरुआत करने से पहले तकनीकी एवं व्यावहारिक जानकारी के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए. इस के लिए जनपद में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र, उद्यान विभाग, कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क कर सकते हैं.
प्रो. (डा.) रवि प्रकाश मौर्य, निदेशक, प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी, भाटपार रानी, देवरिया -274702 (उत्तर प्रदेश)