फसल कटाई के बाद फसलों की जड़ें खेत में रह जाती हैं, जिन्हें खेत में मिलाना या उखाड़ना मुश्किल काम होता है. इस काम में काफी मेहनत और खर्चा भी होता है. इस फसल अवशेषों का प्रबंधन कृषि यंत्रों से किया जाए, तो किसान के लिए यह काम आसान हो जाता है.
‘शक्तिमान’ के नाम से कृषि यंत्र बनाने वाली ‘तीर्थ एग्रो टैक्नोलौजी’ कंपनी का कहना है कि हाथ से खेत में फसल के डंठल का सफाया करने के लिए प्रति एकड़ 4 एकड़ जनशक्ति की जरूरत पड़ती है. खेत की फसल के डंठल को बाहर खींचने, काटने, जमा करने और सुखाने व जलाने का काम बड़ा मुश्किल है और समय लेने वाला है. साथ ही, यह तौरतरीका ईंधन संसाधनों को बरबाद करने वाला भी है.
मोबाइल श्रेडर
इस काम को आसान बनाने वाला कृषि यंत्र मोबाइल श्रेडर है. इस यंत्र से कटी हुई डंठल, फसल अवशेष खेत में फैला कर मिला सकते हैं. इस के अलावा ट्रौली में भी इकट्ठा कर सकते हैं. ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
इस मोबाइल श्रेडर से इन कृषि अवशेषों से पेपर पल्प व लकड़ी को औद्योगिक इकाइयों में भी उपयोग में लाया जा सकता है.
यह मोबाइल श्रेडर यंत्र फसल में जड़ों को बारीक काट कर खेत में फैलाने में सक्षम है. नष्ट किए गए फसल अवशेषों से खेत में ही जैविक खाद बनाई जा सकती है, जिस से खेत की मिट्टी में भी सुधार होता है. मिट्टी में नमी बनी रहती है और खेत में घासफूस, खरपतवार की रोकथाम होती है.
इस मोबाइल श्रेडर यंत्र को 40 हौर्सपावर या अधिक पावर वाले टै्रक्टर के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है, जो एक घंटे में एक एकड़ खेत को कवर कर सकता है.
अधिक जानकारी के लिए फोन नंबर 91-2827661637 पर संपर्क कर सकते हैं.
‘रोटरी मल्चर’ बनाए फसल अवशेष का चूरा
धान, गन्ना जैसी फसलों की कटाई के बाद उस में बहुत मात्रा में फसल अवशेष रह जाते हैं, जिन में बहुत से किसान आग लगा देते हैं, जो खेत की मिट्टी के साथसाथ पर्यावरण को भी खराब करते हैं, इसलिए इस तरह के अवशेषों को खेत में न जला कर उन का खेत में ही खाद बना दिया जाए तो वह खेती में जैविक खाद का काम करते हैं, जिस से खेती में होने वाले खर्च में भी कमी आती है और फसल पैदावार भी अच्छी मिलती है.
रोटरी मल्चर से करें यह काम : फसल अवशेषों का बारीक काटने व खेत से निकालने के लिए रोटरी मल्चर बेहतर कृषि यंत्र है. यह फसल के अवशेष, गन्ने के कूड़े को खरपतवार को खेत में ही बारीकबारीक काट कर खेत में मिला देता है. यह खेत में पानी की होने वाली कमी को भी रोकता है. मिट्टी में नमी बनी रहती है. खरपतवार में भी कमी आती है.