उदयपुर : 6 सितंबर 2023 को उद्यान विज्ञान फार्म, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर पर नवाचार कार्यक्रम की श्रृंखला में काजू कलम पौधों का रोपण कार्यक्रम शुरू किया गया, जिस में प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के मार्गदर्शन की प्रेरणा से डा. एलएन महावर, प्रोफैसर, उद्यान विज्ञान द्वारा प्रेरणा लेते हुए काजू फल की दो किस्म, जिन्हें डा. बालासाहेब सावंत कोंकण कृषि विश्वविद्यालय, दापोली (महाराष्ट्र) के अनुसंधान केंद्र वेंगुर्ला द्वारा विकसित एवं अनुशंसित किया गया है. विद्यावाचस्पती अनुसंधान छात्र सिद्धेश सालवी द्वारा (फल विज्ञान) वेंगुर्ला-4 एवं वेंगुर्ला-7 किस्म के पौधे सहयोग से नवीन प्रदर्शन हेतु उपलब्ध कराए गए.
काजू की वेंगुर्ला-4 किस्म की सेलिंग फीसदी 31 के साथ 7.69 ग्राम काजू गिरी का वजन पाया गया. इस के फल लाल रंग के पाए जाते हैं और वजन 46 ग्राम और 76 फीसदी रस की मात्रा पाई जाती है. एक 15 वर्ष आयु के सामान्य पेड़ की औसत काजू की उपज 19.08 किलोग्राम प्राप्त होती है, जबकि द्वितीय किस्म वेंगुर्ला-7 में सेलिंग फीसदी 30.5, कोजागिरी का वजन 10 ग्राम एवं पीले रंग के फल का वजन 65 ग्राम, रस की मात्रा 85 फीसदी एवं 15 वर्ष की आयु के सामान्य पेड़ की औसत काजू की उपज 14.94 किलोग्राम प्राप्त होती है.
अनुसंधान निदेशक डा. अरविंद वर्मा द्वारा मार्गदर्शन करते हुए काजू फल की संभावना को देखते हुए उदयपुर एवं बांसवाड़ा संभाग की क्षेत्रीय जलवायु में इस की नवाचार की विपुल संभावनाएं एवं परीक्षण हेतु बल दिया. परीक्षण के उपरांत प्रदर्शन के पौधों की सफलता एवं अनुकूलता, आर्थिक आकलन, कीटरोग प्रबंधन की सरल तकनीक उपरांत उस के लाभ प्राप्ति पर राज्य के विश्वविद्यालय द्वारा क्षेत्र विस्तार किया जाएगा.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डा. बीपी नौटियाल, अधिष्ठाता, बागबानी महाविद्यालय, उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार, उत्तराखंड द्वारा वैज्ञानिक एवं छात्रों को काजू फल के पौधों के रोपण पर प्रायोगिक एवं महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई.
निदेशक प्रसार शिक्षा डा. आरए कौशिक द्वारा सभी छात्रों को बागबानी नवाचार कार्यक्रम से प्राप्त फल अनुसंधान के परिणामों को प्रदर्शन के माध्यम से किसानों के खेतों पर प्रदर्शन आयोजित कर आर्थिक उत्थान किया जा सकता है. विभागाध्यक्ष डा. एचएल बैरवा, गार्डन मैनेजर डा. विरेंद्र सिंह, एसोसिएट प्रोफैसर द्वारा इनपुट एवं श्रम की पौधारोपण कार्यक्रम हेतु समस्त सुविधाएं फार्म द्वारा प्रदान की गई. डा. एसएस लखावत द्वारा इसी कड़ी में परियोजना प्रभारी, अखिल भारतीय समन्वित फल विज्ञान परियोजना के माध्यम से आगामी नवाचार इसी श्रृंखला में काजू पौधे का रोपण कार्यक्रम बांसवाड़ा अनुसंधान केंद्र पर आयोजित किया जाएगा. डा. कपिलदेव आमेटा, एसोसिएट प्रोफैसर द्वारा नवाचार कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित हो जाने पर सभी अतिथि, विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, फार्म के सभी कार्यकर्ता एवं छात्रों का धन्यवाद ज्ञापित किया.