वर्ष 2050 तक वैश्विक आबादी लगभग 10 अरब होगी और भोजन की कमी से बचने के लिए कृषि उत्पादन को दोगुना करना होगा. बढ़ती विश्व जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए वैश्विक कृषि खाद्य उत्पादन में कम से कम 70 फीसदी की वृद्धि करनी होगी.
यह एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है, क्योंकि कृषि क्षेत्र काफी हद तक ऐसी स्थितियों पर निर्भर करता है, जो पूरी तरह से नियंत्रित नहीं होती है जैसे कि मौसम, मिट्टी की स्थिति और सिंचाई के उपलब्धता, मात्रा और गुणवत्ता, इसलिए संसाधनों का इष्टतम उपयोग करने और कृषि उत्पादकता में सुधार करने के लिए स्मार्ट और सटीक खेती एक आशाजनक विकल्प है. सैंसर और ड्रोन जैसी सटीक तकनीकों को अपनाना महत्त्वपूर्ण है.
ड्रोन और सैंसर का स्मार्ट और सटीक खेती में महत्त्व
कृषि ड्रोन मानवरहित हवाई वाहन है, जिन्हें फसल वृद्धि की निगरानी और उत्पादन बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है. डिजिटल इमेजिंग क्षमताओं और उन्नत सैंसर से लैस ये ड्रोन किसानों को उन के खेतों की जानकारी देते हैं, ताकि उन्हें कृषि दक्षता और फसल की पैदावार में सुधार करने में मदद मिल सके.
ड्रोन पूरे कृषि उद्यम की दक्षता में सुधार के लिए एक महत्त्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत करते हैं. ड्रोन निगरानी और संवेदन प्रथाओं के लिए आदर्श हैं, क्योंकि वे फसलों और मिट्टी के विकास और स्वास्थ्य की निगरानी के लिए तेजी से भूमि का निरीक्षण कर सकते हैं. फसलों पर पानी, उर्वरक या कीटनाशकों के छिड़काव के अलावा ड्रोन का उपयोग पशुओं की निगरानी और जानवरों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है.
कैमरे, सैंसर और उन्नत डेटा इकट्ठा करने वाले उपकरणों से लैस कृषि ड्रोन किसानों को पौधों के स्वास्थ्य, मिट्टी की स्थिति और शुष्क स्थानों या पौधों के कीटों की पहचान करने में मदद करने के लिए आकाश से खेतों के ऐसे विस्तृत चित्र प्रस्तुत करते हैं, जो वैज्ञानिक जानकारी वाले होते हैं.
ड्रोन पर लगे विभिन्न प्रकार के सैंसर
एक विशिष्ट तरंग दैर्ध्य के अवशोषण की निगरानी करने में सक्षम होते हैं, जो संभावित रूप से समस्याग्रस्त क्षेत्रों को विभिन्न रंगों में दर्शाते हैं.
स्मार्ट और सटीक कृषि में बीज, सिंचाई और उर्वरक जैसे सभी आवश्यक संसाधनों की आवश्यक और इष्टतम मात्रा के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया है और उन का उपयोग करने के नए तरीके तलाशे जा रहे हैं.
कृषि में ड्रोन के लिए दूसरा मुख्य अनुप्रयोग सिंचाई, उर्वरक और कीटनाशकों के फैलाव के माध्यम से फसल के स्वास्थ्य को बनाए रखना है. ‘स्पैक्ट्रोस्कोपी’ और ‘थर्मोग्राफी’ तकनीकों से लैस ड्रोन सूखे क्षेत्रों को ढूंढ़ सकते हैं, जो परंपरागत पानी के उपकरण से चूक गए होंगे.
समय के साथ ड्रोन पूरे देश में पानी के प्रवाह की दिशा निर्धारित करने और पानी के फैलाव को प्रभावित करने वाली भूमि की विशेषताओं की पहचान करने के लिए सैंसरों की सहायता से लिए गए ‘थर्मोग्राफिक चित्रों’ को एकसाथ जोड़ सकते हैं.
पौधों में बीमारियों और कीटों के प्रकोप का शुरू में ही संक्रमण का पता लगाने, फसल की उपज की भविष्यवाणी, फसल छिड़काव, उपज का अनुमान, जल तनाव का पता लगाने, भूमि मानचित्रण, पौधों में पोषक तत्त्वों की कमी की पहचान, खरपतवार का पता लगाने, पशुधन नियंत्रण, कृषि उत्पादों की सुरक्षा और मिट्टी के विश्लेषण जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए कई ड्रोन की सैंसरयुक्त प्रणालियां विकसित की गई हैं.
उर्वरकों का कुशल उपयोग
फसलों में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए मिट्टी की संरचना और स्थिति की निगरानी महत्त्वपूर्ण है. नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम प्राथमिक पोषक तत्त्व हैं. इन मूलभूत पोषक तत्त्वों में से प्रत्येक पौधे के पोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन वर्तमान में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम का अनुपात 6.7:2.4:1 है, जो 4:2:1 के आदर्श अनुपात के मुकाबले नाइट्रोजन का उपयोग अत्यधिक है.
किसान सैंसरयुक्त ड्रोन की सहायता से अपने खेतों के ‘मल्टीस्पैक्ट्रल’ मृदा गुणवत्ता मानचित्रों का उपयोग कर के इस बारे में अधिक उपयुक्त निर्णय ले सकते हैं कि किस फसल को कहां लगाया जाए और कब समायोजन किया जाए.
नतीजतन, अधिक स्थायी भूमि प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ पैदावार अधिक और स्वस्थ होगी. सैंसरयुक्त ड्रोन का उपयोग अकसर मिट्टी की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए किया जाता है.
ड्रोन सही समय पर पौधे के भोजन की सही मात्रा देने में सक्षम हैं और उर्वरकों की मात्रा को सफलतापूर्वक 20 फीसदी तक कम कर सकते हैं. इस तकनीक का उपयोग न केवल खेती की लागत को कम करता है, बल्कि अत्यधिक पर्यावरणीय क्षति को भी बचाता है.
सिंचाई और पानी का प्रबंधन
कृषि पानी के सब से बड़े हिस्से की खपत करती है, जो वैश्विक पानी की निकासी का 70 फीसदी है. देश में कृषि के क्षेत्र में केवल 38 फीसदी जलउपयोग दक्षता है और इस में सुधार के लिए बहुतकुछ किए जाने की आवश्यकता है, जबकि पारंपरिक सतह सिंचाई 60-70 फीसदी दक्षता प्रदान करती है.
स्प्रिंकलर के साथ 70-80 फीसदी तक की उच्च दक्षता और ड्रिप सिंचाई प्रणाली के साथ 90 फीसदी तक दक्षता प्राप्त की जा सकती है, इसलिए पानी खेती के सभी कार्यों की सफलता के लिए महत्त्वपूर्ण है, इसलिए इस का प्रबंधन आवश्यकतानुसार किया जाना चाहिए.
ड्रोन ‘थर्मोग्राफी’ जमीन की नमी की मात्रा को सटीक तरीके से जानने के लिए ‘थर्मल सैंसर’ का उपयोग करता है. इस जानकारी के साथ सिंचाई कार्यों के बारे में ड्रोन सैंसर का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि खेत के जिन क्षेत्रों को अधिक पानी की आवश्यकता है, जबकि जो क्षेत्र पहले से ही नम हैं, उन में पानी की काम आपूर्ति हो. पानी और सिंचाई न केवल महंगी है, बल्कि उन का अनुचित उपयोग फसल के उत्पादन को भी कम कर सकते हैं.
नाशीकीट व रोग प्रबंधन
ड्रोन और उन पर लगे हुए विभिन्न प्रकार के सैंसरों की सहायता से हम पौधों में नाशीकीटों और रोगों के संक्रमण का शुरू में ही पता लगा सकते हैं, जिस से फसलों में हुए न्यूनतम नुकसान के साथ ही हम उन का प्रबंधन कर सकें. इस तरह के सैंसरों से सशक्त ड्रोन की सहायता से छिड़काव करते समय हम अंधाधुंध छिड़काव करने के बजाय कीटनाशकों और फफूंदनाशकों के छिड़कावों को प्रभावित पौधों की तरफ ही केंद्रित कर सकते हैं, जिस से छिड़काव किए जा रहे रसायनों के साथसाथ पानी की मात्रा में भी भारी कमी आएगी.
ड्रोन के उपयोग से कीटनाशकों के पारंपरिक छिड़काव विधियों की तुलना में ‘अल्ट्रालो वौल्यूम’ छिड़काव तकनीक के प्रयोग से छिड़काव और कीटनाशकों की लागत में कमी आएगी.
इस के अलावा खतरनाक रसायनों के छिड़काव में लगे किसान और मजदूरों को भी इन के हर काम का सामना करना पड़ेगा. इस से जहां पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव कम होंगे, वहीं फसलों पर कम रसायनों के छिड़काव से फसलों का उत्पाद उपभोक्ताओं के लिए अधिक सुरक्षित होगा.
ड्रोन द्वारा यांत्रिक परागण
मधुमक्खियां पौधों की मुख्य परागणकर्ता हैं. मधुमक्खी परागण से खेत में उगाई जाने वाली फसलों की उपज में भी वृद्धि होती है. परागण प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और फसल उत्पादन की आधारशिला है, जो कृषि और जीवनचक्र के बीच एक कड़ी प्रदान करता है.
कीट वैक्टर सब से महत्त्वपूर्ण परागणकर्ता बने हुए हैं. पश्चिमी शहद मधुमक्खी (एपिस मेलिफेरा) दुनियाभर में मधुमक्खी परागण के लिए जिम्मेदार मुख्य प्रजाति है. हालांकि कई अन्य मधुमक्खी प्रजातियां भी परागण में योगदान करती हैं. ड्रोन अंतत: महत्त्वपूर्ण सहायता प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि विश्वभर में हुए शोध से ये पता चलता है कि कीटनाशकों और अन्य कई कारणों से मधुमक्खियों की तादाद में भारी कमी देखी जा रही है.
ड्रोन यांत्रिक परागणों के रूप में भी काम कर सकते हैं. इस विशेष क्षेत्र में प्रगति की आवश्यकता है, लेकिन शोधकर्ताओं को विश्वास है कि ड्रोन बागों या खेतों में पराग के बीजों को प्रभावी ढंग से ले जाने और फैलाने में सक्षम हो सकते हैं.
ड्रोन प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त बड़े क्षेत्रों को कवर करने में सक्षम हैं, ताकि ऐसी घटनाओं के कारणों और परिणामों को उजागर करने में सहायता मिल सके.
कृषि बीमा सर्वेक्षण के दावों को मान्य करने के लिए क्षतिग्रस्त फसलों की ड्रोन के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले चित्रों से निगरानी और विश्लेषण कर सकते हैं.
ड्रोन का उपयोग तेजी से बड़े पैमाने पर जानकारी एकत्र करने की संभावना प्रदान करती है, ताकि बीमा के दावों का समय पर भुगतान किया जा सके.