नई दिल्ली : “वर्तमान में देशभर में 1.60 लाख से अधिक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र यानी पीएमकेएसके काम कर रहे हैं. इन केंद्रों का उद्देश्य 2 लाख से अधिक ऐसे केंद्रों का ‘वन-स्टाप शाप’ नैटवर्क तैयार करना है, ताकि किसानों को खेती और कृषि प्रथाओं के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादों तक पहुंच प्राप्त हो सके,” यह बात डा. मनसुख मांडविया ने 1.60 लाख प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों पर विभिन्न राज्यों के 3,000 से अधिक किसानों के साथ आभासी रूप से आभासी बातचीत के दौरान कही. यह आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तराखंड राज्यों के किसानों के साथ दोतरफा संवाद था. बातचीत के इस आभासी सत्र के दौरान रसायन एवं उवर्रक राज्य मंत्री भगवंत खुबा भी उपस्थित थे.
डा. मनसुख मांडविया ने कहा कि पीएमकेएसके कृषि के लिए आउटरीच गतिविधियों, कृषि क्षेत्र में नए और विकसित ज्ञान के बारे में जागरूकता बढ़ाने, किसान समुदाय के साथ संवाद और कृषि विश्वविद्यालयों के जरीए विस्तार गतिविधियों के केंद्रीय हब के रूप में तेजी से विकसित हो रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा, “यह केवल उर्वरकों, उपकरणों, बिक्री के आउटलेट भर नहीं हैं, बल्कि ये किसानों के कल्याण हेतु संगठन हैं.”
साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पीएमकेएसके कृषि और खेती से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए केवल वन-स्टाप सैंटर भर ही नहीं रहेगा, बल्कि जल्द ही एक संस्थान का रूप ले लेगा.
केंद्रीय मंत्री ने एक अपील के माध्यम से किसानों को नैनो यूरिया, नैनो डीएपी का उपयोग करने और उत्तरोत्तर रूप से रासायनिक उर्वरकों के बजाय वैकल्पिक और जैविक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया.
उन्होंने जोर देते हुए कहा, “आइए, आगामी रबी सीजन में हम रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को 20 फीसदी तक कम करने का प्रयास करें और इस के स्थान पर वैकल्पिक/ और्गेनिक उर्वरकों का उपयोग करें.”
उन्होंने यह बात भी कही कि अध्ययनों ने स्पष्ट रूप से दर्शाया है कि रसायनों, उर्वरकों, कीटनाशकों आदि के अधिक इस्तेमाल के कारण मानव के स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
इस संदर्भ में डा. मनसुख मांडविया ने हाल ही में शुरू की गई योजना पीएम-प्रणाम (धरती माता की पुनर्स्थापना, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए पीएम कार्यक्रम) को पुन: रेखांकित किया. इस योजना का उद्देश्य राज्यों को वैकल्पिक उर्वरक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाना है.
उन्होंने किसानों को आगाह किया कि वे किसानों और कृषि के लिए नियत यूरिया और उर्वरकों को उद्योगों में गैरकृषि कार्यों में उपयोग करने से बचें.
उन्होंने जोर दे कर कहा, “किसानों के उपयोग के लिए नियत यूरिया का औद्योगिक इस्तेमाल कतई बरदाश्त नहीं किया जाएगा. हम ने ऐसी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार पाए गए लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं.”
डा. मनसुख मांडविया से बातचीत में किसानों ने प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं का उपयोग करने के संबंध में अपने अनुभव साझा किए.
गुजरात के पंकज भाई ने कहा, “पीएमकेएसके ने वास्तव में हमें एक छत के नीचे बीजों, उर्वरकों और दवाओं जैसे इनपुट तक उपलब्ध करवाते हुए लाभान्वित किया है, जो पहले हमारे लिए अनुपलब्ध थे. पहले हमें विभिन्न दुकानों से इन सेवाओं और सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी.”
खेती के लिए अपना व्यवसाय छोड़ने वाले कर्नाटक के रेडियोलौजिस्ट डा. रंगनाथ ने कहा, “पीएमकेएसके मिट्टी और पानी के लिए परीक्षण सुविधाएं प्रदान करने में हमारी मदद करते हैं और किसानों को उन सुविधा केंद्रों से जोड़ने में सहायता करते हैं. यह किसानों के बीच अच्छी कृषि पद्धतियों के बारे में जागरूकता फैलाने में भी मदद करते हैं.”
बिहार के श्रवण कुमार ने कहा, “पीएमकेएसके किसानों का नियमित क्षमता निर्माण सुनिश्चित करता है. यह आसपास के क्षेत्रों के किसानों के साथ बातचीत करने और अपने अनुभव साझा करने के लिए एक समुदाय के रूप में भी काम करता है.”
बैठक में उर्वरक विभाग के सचिव रजत कुमार मिश्रा, अपर सचिव (सीएंडएफ) नीरजा और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.