नई दिल्ली : भारत सरकार के समय पर किए गए उपायों से पूरे वर्ष के लिए पूरे देश में उचित मूल्यों पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हुई है. वर्तमान चीनी सीजन (अक्टूबरसितंबर) 2022-23, सितंबर, 2023 की 30 तारीख को समाप्त हो रहा है, भारत ने पहले ही 330 एलएमटी के चीनी उत्पादन को पार कर लिया है, जिस में इथेनाल उत्पादन के लिए लगभग 43 एलएमटी का डायवर्जन शामिल नहीं है.
इस प्रकार देश में कुल सुक्रोज उत्पादन लगभग 373 एलएमटी होगा, जो पिछले 5 चीनी मौसमों में दूसरा सब से अधिक है.
देश के नागरिकों को प्राथमिकता और किसानों को देय गन्ने की निकासी सुनिश्चित करते हुए भारत ने निर्यात कोटा को केवल 61 एलएमटी तक सीमित कर दिया. इस के परिणामस्वरूप अगस्त, 2023 के अंत में लगभग 83 एलएमटी चीनी का इष्टतम स्टाक है. यह स्टा क लगभग साढ़े 3 महीने की खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है यानी चालू चीनी सीजन 2022-23 के अंत में देश में उपलब्ध इष्टतम स्टाक.
यह तथ्य घरेलू उपभोक्ताओं को आश्वस्त करता है कि भविष्य में भी उन के लिए उचित मूल्य पर चीनी उपलब्ध होने की आशा है.
आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार, अब तक सितंबर, 2023 में मानसून सामान्य रहा है और महाराष्ट्र व कर्नाटक के गन्ना क्षेत्रों में भी वर्षा हुई है, जिस से बेहतर फसलों की संभावना में सुधार हुआ है और आगामी चीनी सीजन 2023-24 में रिकवरी हुई है.
सभी चीनी उत्पादक राज्यों के राज्य गन्ना आयुक्तों से अनुरोध किया गया है कि वे फसलों की स्थिति पर नजर रखें और गन्ने के रकबे, उपज और प्रत्याशित चीनी उत्पादन के बारे में अपनी जानकारी अद्यतन करें. यह जानकारी अगले सीजन के लिए चीनी निर्यात नीति के संबंध में कोई भी निर्णय लेने का आधार बनेगी.
भारत सरकार ने हमेशा घरेलू खपत के लिए चीनी की उपलब्धता, इथेनाल उत्पादन के लिए डायवर्जन और मौसम के अंत में पर्याप्त क्लोजिंग बैलेंस को प्राथमिकता दी है. निर्यात के लिए केवल अधिशेष चीनी, यदि उपलब्ध हो, की अनुमति है. यह व्यवस्था घरेलू बाजार में मूल्यों की स्थिरता सुनिश्चित करती है.
यह केवल इस नीति का परिणाम है कि भारतीय उपभोक्ताओं को चीनी मिलों को कोई सरकारी सब्सिडी नहीं होने के बावजूद विश्व में सब से कम कीमतों में से एक पर चीनी मिल रही है.
इस के अतिरिक्त भारत सरकार ने एक सक्रिय उपाय के रूप में विभिन्न चीनी मिलों से व्यापारियों से संबंधित सूचना मांगी है, ताकि देश के विभिन्न भागों में चीनी के स्टाक की बारीकी से निगरानी करने के लिए एक व्यवस्था बनाई जा सके.
उद्योग संघों ने भी अपनी पर्याप्त स्टाक की पुष्टि की है और इस बात की सराहना की है कि सीजन के अंत में चीनी के इष्टतम क्लोजिंग बैलेंस की उपलब्धि के परिणामस्वरूप मिलों की वित्तीय स्थिति बेहतर हुई है.
यह सरकार और उद्योग के सभी सामूहिक प्रयासों का परिणाम है कि मिलों द्वारा 1.07 करोड़ रुपए (चालू सीजन के गन्ना बकाया का 94 फीसदी) से अधिक का भुगतान पहले ही किया जा चुका है, जो चीनी क्षेत्र के बारे में किसानों में उत्साह पैदा करता है.