हाल ही में छत्तीसगढ़ के अलगअलग क्षेत्रों के तकरीबन 2 दर्जन अग्रणी किसान नेताओं का एक दल पिछले दिनों ‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर’ कोंडागांव पहुंचा. इस दल में तेजराम साहू, मदनलाल साहू, रुद्रसेन सिंहा, श्रवण यादव,उत्तम, मनोज, बृज, हरख राम,छन्नूराम सोनकर, काशीराम, नवली, गेंदूराम पटेल,रमेश सोनकर, राजकुमार बांधे, सुरेश सिंहा, सागर सेन आदि किसान नेता और प्रगतिशील किसान सम्मिलित थे.
‘मां दंतेश्वरी हर्बल समूह’ के निदेशक अनुराग कुमार और जसमती नेताम के द्वारा इस दल को आस्ट्रेलिया टीक के पेड़ों पर सौसौ फुट की ऊंचाई तक काली मिर्च के फलों से लदी फसल से रूबरू कराया गया और विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधों की जैविक खेती की जानकारी दी गई. हर्बल फार्म पर लगे स्टीविया के पौधों की शक्कर से लगभग 25 गुना ज्यादा मीठी पत्तियों को चख कर किसान आश्चर्यचकित रह गए. उन्हें बताया गया कि ये पत्तियां इतनी ज्यादा मीठी होने के बावजूद जीरो कैलोरी होती हैं, इसलिए डायबिटीज के मरीज भी इसे बड़े आराम से शक्कर की जगह उपयोग कर सकते हैं और भरपूर मात्रा में खा सकते हैं.
भ्रमण के पश्चात किसान नेताओं के दल को “बईठका हाल” में समूह के संस्थापक डा. राजाराम त्रिपाठी ने संबोधित किया.
उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि किसान केवल सरकार की जिंदाबाद अथवा मुरदाबाद करने के बजाय अपनी तरक्की का रास्ता खुद ढूंढें.
डा. राजाराम त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि कैसे छत्तीसगढ़ के किसान उच्च लाभदायक बहुस्तरीय खेती अपना कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. इस के साथ ही नईनई फसलों की महत्वपूर्ण जानकारी और मार्केटिंग के कारगर टिप्स भी दिए.
डा. राजाराम त्रिपाठी की उपस्थिति में प्रगतिशील किसान नेताओं के दल के सभी किसानों ने अपने खेतों पर भी ‘ काली मिर्च- 16’ आस्ट्रेलियन टीक, औषधीय पौधों की जैविक खेती अपनाने का संकल्प लिया.
इस अवसर पर डा. राजाराम त्रिपाठी ने “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” की ओर से किसानों के मुद्दे पर सदैव मुखर रहने वाले अग्रणी किसान नेता तेजराम, मदन साहू और दूसरे प्रदेश के अन्य अग्रणी किसान साथियों का अंगवस्त्रम से सम्मानित किया गया. सभी किसान नेताओं और प्रगतिशील किसानों को “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” के पेड़ों पर पकी हुई विश्व की नंबर वन जैविक “काली मिर्च” भी भेंट की गई.
बैठक के अंत में बैठक में सभी प्रगतिशील किसानों ने एक सुर में कहा कि “मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर” के भ्रमण के लिए इस बार उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिल पाया, जिस के कारण बहुत सी चीजें भलीभांति अभी नहीं देख पाए, जिस का उन्हें खेद है. शीघ्र ही अपने अंचल के प्रगतिशील किसानों के एक बड़े दल के साथ कोंडागांव आएंगे और 1-2 दिन रुक कर खेती की जानकारी विस्तार से प्राप्त करेंगे और उच्च लाभदायक बहुस्तरीय खेती की इस पद्धति को पूरे प्रदेश में आगे बढ़ाएंगे.