आज ज्यादातर किसान मचान और ३जी पद्धति को अपना रहे हैं. हमारे छोटेछोटे प्रयासों से वैज्ञानिक खेती को बढ़ावा मिलता है, तो दिल खुश हो जाता है.
गरमियों में अगेती किस्म की बेल वाली सब्जियों को मचान विधि से लगा कर किसान अच्छी उपज पा सकते हैं. इन की नर्सरी तैयार कर के इन की खेती की जा सकती है. पहले इन सब्जियों की पौध तैयार की जाती है और फिर खेत में जड़ों को बिना नुकसान पहुंचाए रोपण किया जाता है.
इन सब्जियों की पौध तैयार करने से पौधे जल्दी तैयार होते हैं.
मचान में लौकी, खीरा, करेला जैसी बेल वाली फसलों की खेती की जा सकती है.
मचान विधि से खेती करने से कई फायदे हैं.
मचान में खेत में बांस या तार का जाल बना कर सब्जियों की बेल को जमीन से ऊपर पहुंचाया जाता है.
मचान का इस्तेमाल सब्जी उत्पादक बेल वाली सब्जियों को उगाने में करते हैं. मचान से 90 फीसदी फसल को खराब होने से बचाया जा सकता है.
मचान की खेती के रूप में सब्जी उत्पादक करेला, लौकी, खीरा, सेम जैसी फसलों की खेती की जा सकती है.
बरसात में मचान की खेती फल को खराब होने से बचाती है. फसल में यदि कोई रोग लगता है, तो दवा छिड़कने में आसानी होती है.
मचान के फायदे
* गरमी व बरसात के दिनों में फल जमीन से लग कर खराब नहीं होता.
* गरमियों के दिनों में बेल की छाया के नीचे धनिए की फसल ले कर दोगुना फायदा कमा सकते हैं.
* रोग और कीट का प्रकोप बहुत कम हो जाता है.
* फल दिखने में बहुत आकर्षक और स्वस्थ रहता है.
* फल का बाजार भाव अच्छा मिलता है.
* शस्य क्रिया करने में आसानी रहती है.
* उत्पादन सामान्य की तुलना में ज्यादा होता है.
* इस मचान के नीचे छाया रहने वाली व कम बढ़ने वाली सब्जियों की खेती की जा सकती है.
* किसान की प्रति इकाई क्षेत्र में ज्यादा आमदनी मिलेगी और माली हालत मजबूत रहेगी.
३जी कटिंग क्या है
इस में हम मुख्य शाखा से 20-25 पत्तियां आने पर उस के टौप भाग को हटा देते हैं. उस के बाद उस में 2 शाखाएं निकलती हैं. उन में भी 20-25 पत्तियां आने पर उस को काट देते हैं. इस के अलावा जितनी भी नई शाखाएं निकलेंगी, वे सब ३जी शाखाएं कहलाएंगी और उन सब में फल आएंगे.
आप एक बार इसे आजमा कर देखें, बेहतरीन नतीजे आप को मिलेंगे, मुख्य शाखा में अकसर नर पुष्प आते हैं और सहायक शाखा में अकसर मादा पुष्प आते हैं, जिस से फलों की संख्या ज्यादा रहती है.