उदयपुर : 14 अक्तूबर, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अनुसंधान निदेशालय के तत्वावधान में अखिल भारतीय समन्वित कृषि प्रणाली परियोजना के अंतर्गत लघु एवं सीमांत किसानों की आजीविका में सुधार के लिए फसल विविधीकरण एवं मूल्य संवर्धन पर कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के सहायक कृषि अधिकारियों व कृषि पर्यवेक्षकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया.

कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने कहा कि फसल विविधीकरण और मूल्य संवर्धन दोनों ही कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इन का देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है. इन दोनों कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि सैक्टर में फसल विविधता को बढ़ावा दिया जाता है और उन का मूल्य संवर्धन किया जाता है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने अधिकारियों से कहा कि फसल विविधीकरण का मतलब है, एक क्षेत्र में एक ही प्रकार की नहीं, बल्कि विभिन्न प्रकार की फसलों की उत्पत्ति करना. यह विविधिता कृषि उत्पादन में सार्थक वृद्धि और जैव विविधता को बढ़ावा देता है.

उन्होंने फसल विविधीकरण के फायदे जैसे कि जल संचयन और पर्यावरण का संरक्षण, विविध फसलें, कीटों और रोगों के प्रबंधन में मदद करना, आय संवर्धन इत्यादि के बारे में प्रकाश डाला.

डा. एसके शर्मा, सहायक निदेशक, मानव संसाधन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा कि फसल विविधीकरण पर पायलट प्रोजैक्ट भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा देश के 50 जिलों में चलाया जा रहा है. इस परियोजना के तहत इसे पूरे भारत में किसानों के उत्थान के लिए पहुंचाया जा रहा है. विश्वविद्यालय ने अपनी अग्रिणी भूमिका निभाते हुए इसे शुरू किया गया है.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि फसल विविधीकरण एवं मूल्य संवर्धन के संयुक्त उपयोग कृषि सैक्टर को मजबूती और सशक्ति देता है, जिस से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और विभिन्न आर्थिक सैक्टरों को सामग्री उपलब्ध करता है. इस के परिणामस्वरूप यह देश के विकास को बढ़ावा देता है, क्योंकि कृषि सैक्टर आपदा की स्थितियों में भी स्थिर रहता है.

डा. अरविंद वर्मा, निदेशक अनुसंधान ने अतिथियों का स्वागत किया एवं प्रशिक्षण की रूपरेखा सदन के समक्ष प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में कृषि विभाग, राजस्थान सरकार के 25 अधिकारियों ने भाग लिया.

उन्होंने दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि अधिकारियों और पर्यवेक्षकों को प्रभावी फसल विविधीकरण के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल के साथ सशक्त बनाने जोर दिया.

उन्होंने आगे कहा कि नई फसलों के लिए पैकेज औफ प्रैक्टिस एक महत्वपूर्ण गतिविधि है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र में यह एक विशेष फसल की सफल उपज और उचित उपायों के लिए विवेकपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है. यह विभिन्न कृषि प्रदर्शन तकनीकियों, खरपतवार नियंत्रण, उपायकरण तकनीकियों, जल संचयन, खाद्यान्न प्रबंधन और संसाधन उपयोग के साथ संभावित समस्याओं के समाधान की राह में मदद करता है. कार्यक्रम में प्रशिक्षण से संबंधित 2 प्रपत्रों का विमोचन किया गया.

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