सही समय पर किसान खेत की जुताई कर के उस में गोबर, कंपोस्ट व बालू मिला कर अच्छी तरह तैयार कर लें. पौधशाला की क्यारी बनाते समय यह भी ध्यान रखें कि वह जमीन से 6-8 सैंटीमीटर उठी हुई हो और चौड़ाई 80-100 सैंटीमीटर ही रखें.
पौधशाला में ट्राईकोडर्मा और सड़ी हुई गोबर की खाद का मिश्रण अच्छी तरह से मिलाएं. जीवाणु आधारित स्यूडोसैल की 25 ग्राम प्रति वर्गमीटर के हिसाब से मिट्टी में मिला कर बोआई करें.
बीजों की बोआई करते समय पौधशाला में बीज से बीज व लाइन से लाइन व बीज की गहराई का खास ध्यान रखें.
पौधों को जमने के बाद ट्राईकोडर्मा का 10 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल तैयार कर छिड़काव करें.
पौधशाला में पौध उखाड़ते समय सही नमी होनी चाहिए.
रोपाई के एक दिन पहले पौधशाला में से निकाल कर पौधे को ट्राईकोडर्मा 10 ग्राम प्रति लिटर पानी के हिसाब से खेत में छायादार जगह पर एक फुट गहरा गड्ढा खोद कर उस में पौलीथिन शीट बिछा कर नाप कर पानी भर कर दें और जरूरी मात्रा में ट्राईकोडर्मा को मिला लें, फिर उस में पौधे के गुच्छे बना कर रातभर खड़ा कर दें, जिस से निकट भविष्य में फसल में रोग लगने का खतरा खत्म हो जाता है.