शरीर को सेहतमंद और सुखी रखने के लिए रसाहार भी उतना ही जरूरी है, जितना ठोस आहार. बीमारियों से लड़ने के लिए रस औषधि की तरह ही उपयोगी है. हमारे आहार का काम है शरीर में होने वाले नुकसान और भरपाई में मदद करना. फलों और सब्जियों में जो पोषक तत्त्व पाए जाते हैं, वे हमें रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं.

जूस थैरेपी से बहुत सी बीमारियों का मुकाबला किया जा सकता है. जैसे सर्दी, फ्लू, जुकाम, वायरल फीवर वगैरह. फल या सब्जी दोनों का ही रस लाभदायक होता है. इस रस में तमाम पौष्टिक तत्त्व होते हैं. हमें रस कब लेना चाहिए, यह पता होना जरूरी है या फिर अपने डाक्टर से सलाह लें.

जरूरत पड़ने पर फल और सब्जियों का जूस या रस मिला कर भी ले सकते हैं. जूस थैरेपी में सब्जियों व फलों का रस मिला कर लेने से कोई गलत या साइड इफैक्ट नहीं है, पर रस व जूस को मिलाते समय सावधानी बरतें कि किसे किस के साथ लेना है. कोई बीमारी आ जाने पर कमजोरी बढ़ जाती है, जिस में भोजन आसानी से खाया या पचाया नहीं जा सकता है तो हम जूस या रस थैरेपी को आसानी से उपयोग में ला सकते हैं, जिस से हमारे शारीरिक व मानसिक कमजोरियों को दूर किया जा सकता है. वजह, हमें रस व जूस से तमाम पौष्टिक तत्त्व आसानी से मिल जाते हैं. ऐसे में सब्जियों व फलों का रस उपयोगी होता है.

जिन खाद्य पदार्थों से रस निकाले जाते हैं, उन की पैदावार के लिए किसी भी तरह की ज्यादा खाद की जरूरत नहीं होती है. इस वजह से इन की गिनती आर्गेनिक फूड में होती है. आर्गेनिक फूड होने से इन के रस ज्यादा पौष्टिक होते हैं.

फलसब्जियों के गुणदोष अच्छी तरह से समझ लेने चाहिए कि हमें कौन सा फल या कौन सी सब्जी लेनी चाहिए. वही रस लें.

ज्यादा जानकारी के लिए डाइटीशियन से भी सलाह लें. ये रस व जूस रोगों के निवारण के साथसाथ रोगों से बचाव कर शरीर को स्वस्थ भी बनाता है. जब तक ज्यादा जरूरी न हो, फल व सब्जियों का रस अलगअलग ही पीना चाहिए.

रस कैसे लें : वैसे तो रस को निकालने के साथ ही पी लेना चाहिए, मगर जरूरत पड़ने पर इन्हें रखना ही पड़े, तो 35-38 डिगरी फारेनहाइट तापमान पर रखें. इस से जूस या रस खराब नहीं होने पाता.

दूसरे, इन्हें कांच की गहरे रंग की बोतल में रखें, जो उबलते पानी से साफ की गई हो.

इन सभी चीजों का ध्यान रखते हुए भी रस, जूस तभी निकाल कर रखना चाहिए, जब बहुत ही जरूरी हो वरना रस, जूस वगैरह तुरंत निकाल कर पी लेना चाहिए.

रस या जूस पीने से खून साफ होता है. पेशाब ज्यादा हो कर शरीर का टौक्सिक बाहर निकलता है. रस शरीर के क्षतिग्रस्त कोशों को फिर से बनाने में मददगार होता है. फल हो या सब्जी, इन का रस पीने से पाचन तंत्र पर ज्यादा जोर नहीं पड़ता और पोषक तत्त्व भी ज्यादा मिलते हैं. इस के बावजूद जूस या रस जरूरत से ज्यादा नहीं लेना चाहिए. वजह, ये अम्लीय होते हैं, जो शरीर की प्राकृतिक अम्लता को बिगाड़ देते हैं.

गेहूं की बाली का रस : आप 7 गमलों में गेहूं लगाइए यानी एक दिन एक गमले में, दूसरे दिन दूसरे गमले में, तीसरे दिन तीसरे में, इस तरह 7 दिनों 7 गमले में गेहूं लग जाएंगे.

15 दिन बाद गेहूं की बाली निकलना शुरू हो जाएगी. जब बालियां 6 इंच बढ़ जाएं तो ऊपर से काट लीजिए. पहले गमले की बाली पहले दिन, दूसरे की दूसरे दिन, इस तरह बारीबारी से करें और मिक्सी में थोड़ा सा पानी डाल कर चला दीजिए. चाहे तो स्वादानुसार काला नमक डाल लें.

शुरू करें आधा कप से, फिर धीरेधीरे मात्रा बढ़ा सकते हैं, पर एक कप से ज्यादा नहीं. यह रस या जूस लंबी बीमारी से जूझ चुके लोग जो काफी कमजोर हो जाते हैं, उन के लिए बहुत ही अच्छा टौनिक होता है. इसे ही ‘ग्रीन टौनिक’ नाम दिया गया है.

रस पीने का तरीका : जो पहले से ही सेहतमंद हो, फिर भी सेहतमंद रहे, इस के लिए रोज कम से कम 1-2 गिलास फल या सब्जियों का रस पीएं. अगर किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त हैं तो हर रोज घंटे दो घंटे पर जूस या रस लेते रहें.

यहां तक कि अगर आप को जुकाम हो गया हो तो टमाटर का सूप गरमागरम पीएं. जुकाम से होने वाली तमाम परेशानियां दूर होंगी. कई बार कुछ बीमारियों में इनसान खाना ही नहीं खा पाता है तो उसे रसाहार ही लेना चाहिए. उस में थोड़ा पानी भी मिला सकते हैं. रस या जूस निकाल कर तुरंत पी लें तो ज्यादा फायदेमंद रहेगा.

फल हो या सब्जी रस जितनी सरलता से पीया जाए, उतना ही अच्छा है. शुरू में फलाहार यानी रस, जूस की मात्रा कम रखें, धीरेधीरे मात्रा बढ़ाएं. जैसे तुलसी का रस आधा चम्मच या एक चम्मच, गेहूं के पौधे का रस थोड़ी मात्रा में लें. लंबी बीमारियों में लंबे समय तक रस व जूस लेना लाभकारी होगा.

सेहतमंद लोगों को भी सालभर में 1-2 बार रसाहार पर रहना चाहिए, इस से पाचन ठीक रहता है. मुनक्का, चुकंदर, गाजर, सेब, ककड़ी का जूस बहुत लाभकारी होता है. इन्हें मौसम के हिसाब से पीते रहना चाहिए, जिस से शरीर सेहतमंद व रोगमुक्त रहता है, मोटापा कम होता है.

अगर रसाहार पर न रह सकें, तो अंकुरित अनाज भी साथ लें, जिस से आप की भूख मिटेगी और पौष्टिक तत्त्व भी मिलेंगे. सब्जियों में मौजूद क्लोफिल में बहुत उत्तम प्रोटीन पाया जाता है, जिस से प्रोटीन की कमी नहीं होती है.

रसों से इलाज : जूस थैरेपी से बहुत सी बीमारियों को खत्म किया जा सकता है. मरीजों को दिए जाने वाले आहार में रस एक पूरक आहार है. इस से मरीज को जल्दी फायदा मिलता है. खेलकूद, कसरत करने वालों को बराबर रस, जूस लेते रहना चाहिए.

ये रस या जूस ब्लड प्रैशर को नियंत्रित रखता है. तरबूज का रस पीएं. सिरदर्द में सुबह तरबूज का रस निकाल कर उस में काला नमक डाल कर पीने से फायदा होता है. इस से सिरदर्द, उलटी ठीक हो जाती है. किडनी का स्टोन गला कर बाहर निकालता है. किडनी की कोई दिक्कत नहीं होने पाएगी. यह गरमी के बुखार से दूर रखेगा.

पीलिया : इस रोग में करेले का जूस सुबहसवेरे खाली पेट लें. थोड़े से रस में पानी मिला कर पीने से फायदा होगा, वहीं मिरगी रोग में गाजर का रस लें.

गठिया : सेब में सोडियम अधिक होता है. इस फल का रस आंतों की बीमारी व गठिया रोग दूर करता है. साथ ही, इस रोग में ककड़ी और तरबूज का रस उपयोगी है.

दाद, खाज : खरबूजा व अनानास का रस लें. ये शरीर के जहरीले पदार्थों को बाहर निकालता है. वजह, इन में क्लोरीन पाया जाता है. थकावट दूर करने में ये मददगार हैं. हरी सागसब्जियों का भी रस लें.

कैंसर : इस रोग से बचाव के लिए गेहूं के ज्वारे, अंगूर, मुनक्का, चुकंदर वगैरह का रस लेना चाहिए. सालभर अदरक का आधा चम्मच रस 1 कप पानी में लें. कभी गले का कैंसर नहीं होगा. कैंसर की रोकथाम के लिए पत्तागोभी, फूलगोभी, लहसुन, प्याज, संतरा, चकोतरा, नीबू वगैरह का रस अच्छी मात्रा में लें.

रोग निरोधक ताकत के लिए : नारंगी, संतरा का रस लें. आधे सिर में दर्द यानी माइग्रेन हो तो एक गिलास पानी में नीबू का रस व अदरक का रस मिला कर लें. कम से कम 15 दिन रोज.

तनाव : केले में पाया जाने वाला पोटैशियम तनाव को कम करता है. इस में विटामिन बी पाया जाता है जो पथरी बनने से रोकता है, वहीं मूत्र रोग में ककड़ी का रस पीएं.

भूख बढ़ाए : नीबू, मौसमी, नारंगी, पपीता का रस भूख बढ़ाता है.

पथरी : खीरे का रस पथरी को बाहर निकालने में मददगार है.

बंदगोभी : विटामिन ए, बी, सी भरपूर मात्रा में होने के कारण ये घाव को जल्दी भरते हैं.

सेब : इस में सोडियम अधिक होता है. आंतों की बीमारी व गठिया रोग दूर करता है और दूसरी बहुत सी बीमारियों में फायदेमंद है.

अनानास : इस में विटामिन ए, बी, सी और दूसरे खनिज तत्त्वों से भरपूर है. भूख बढ़ाने में मदद करता है. गले की हर परेशानी दूर करता है. टौंसिल ठीक करता है. पथरी बनने से रोकता है.

आम : आम का रस दूध में मिला कर पीने से तमाम बीमारियां दूर हो जाती हैं. शरीर को तंदुरुस्त बनाता है. खून की कमी को ठीक करता है. आम के रस में विटामिन ए, ई, सी लौह से भरपूर होता है. इसे ज्यादा नहीं लेना चाहिए. वजह, शरीर में अधिक गरमी पैदा करता है, जिस से फोड़ेफुंसी निकलने का डर होता है.

अंगूर : ताजा अंगूर के रस में विटामिन ए, बी, सी व तमाम खनिज लवण मिलता है और कब्ज दूर करता है. साथ ही, मोटापा भी कम करता है.

अनार : इस का रस पीने से वसा, आयरन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस, विटामिन बी व सी मिलता है. इस वजह से अनार का रस उत्तम टौनिक माना जाता है, जो खून की कमी को दूर करता है. पेट से होने वाली औरतों को यह रस जरूर लेना चाहिए. अनार का रस दिल की बीमारी में भी मददगार है.

नीबू रस व मौसमी : नीबू व मौसमी का रस औषधि के रूप में माना जाता है. स्वस्थ मनुष्य इस का रस पीए तो बीमार ही न पड़े. नीबू की शिकंजी पीने से जुकाम में फायदा होता है.

इन सारे आहार को लेने के साथ इनसान खुश रहे तो आप की तमाम बीमारियां जल्दी दूर हो जाएंगी. असाध्य व लाइलाज बीमारी भी सही आहारविहार व खुश रहने से दूर होने लगती है.

घर पर ही बनाएं जूस

आजकल बाजार में तो तमाम तरह के ड्रिंक्स मुहैया हैं, पर ये आप के लिए ठीक नहीं हैं क्योंकि कभीकभी इन के साइड इफैक्ट भी हो सकते हैं. जैसे आउट डेटेड पैकेट या बाहर की गंदगी, मक्खी बैठे फलों से निकाले गए जूस या गंदे सामान, गिलास के इस्तेमाल से हुए इनफैक्शन वगैरह. इन सब से बचने के लिए आप घर पर ही आसानी से इन मौसमी जूस को आराम से बना सकते हैं. ताजा बनाएं, ताजा पी लें, तो कोई साइड इफैक्ट का सवाल ही नहीं उठता.

आइए हेल्दी ड्रिंक्स जूस बनाने के तरीके जानें

लौकी ड्रिंक : एक लौकी लें. उसे धो कर छीलकाट लें. अब इसे ब्लैडर या जूसर में डालें और आधा गिलास पानी भी डालें, फिर मिक्सी कर के छान लें. अब स्वादानुसार काला नमक व काली मिर्च डाल कर पी लें. इसे पीसते समय 4 पत्तियां तुलसी की भी डाल दें व तुरंत पी जाएं.

यह जूस आप की डायबिटीज को कम करता है. कब्ज दूर करता है. अगर नकसीर फूटती है तो लौकी के जूस में थोड़ा सा शहद मिला दिया जाए. यह आप के शरीर को ठंडक देगा. इस जूस को निकाल कर फ्रिज में न रखें. इस के खराब होने का अंदेशा है. इस जूस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं है.

करेला ड्रिंक : करेला यों तो कड़वा होता है, पर यही कड़वाहट फायदेमंद होती है. आप 2 या 4 करेले लें. इन्हें धो कर, छील कर टुकड़ेटुकड़े काट लें. अब 2 टमाटर धो कर काट लें. एक खीरा धो कर काट लें. ग्राइंडर में सब को आधा गिलास पानी डाल कर चला दें, फिर कपड़े से छान लें. इस में चुटकीभर काला नमक, नीबू का रस डालें व तुरंत पी जाएं.

यह ड्रिंक दिल के मरीजों या ब्लडप्रैशर वालों के लिए फायदेमंद है. यह खून को साफ करता है. साथ ही, मरीजों में रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इस से किडनी स्टोन से बचा जा सकता है. डायबिटीज के रोगियों के लिए यह खासा फायदेमंद है.

खीरा ड्रिंक : खीरा धो कर छील लें, छोटेछोटे टुकड़ों में काट लें, फिर ग्राइंडर में डालें और आधा गिलास पानी डालें, अब इसे छान कर स्वादानुसार काला नमक, नीबू डालें. इसे पी जाएं, रखे नहीं.

अगर लगातार इस रस का सेवन करते रहेंगे तो त्वचा चमकदार होगी. इस का फायदा उठाने के लिए इसे सुबह खाली पेट सेवन करें. इस का कोई साइड इफैक्ट नहीं है. आप इन्हें अपनी सुविधानुसार ले सकते हैं.

तरबूज ड्रिंक : तरबूज खाने के बजाय पी लें तो ज्यादा फायदा होगा. तरबूज के छोटेछोटे टुकड़े कर लें, फिर मिक्सी में डाल कर देर तक चलाएं, फिर छान लें. ड्रिंक तैयार है.

इसे बिना चीनी, नमक के पी लें. इस ड्रिंक का लगातार इस्तेमाल करने से किडनी स्टोन से दूर रहेंगे.

यह आंतों की सफाई करता है और चेहरे पर चमक लाता है.

आंवला ड्रिंक : 3-4 आंवला ले कर कद्दूकस करें या फिर मिक्सी में पीस लें. फिर थोड़ा पानी डालें, तुरंत पी जाएं, यह ड्रिंक विटामिन सी का भरपूर स्रोत है. इस के लगातार सेवन से चेहरे पर चमक आती है. झुर्रियां जल्दी नहीं पड़ती हैं और बालों को ज्यादा उम्र तक काला रखने में मदद करेगा.

चुकंदर ड्रिंक : 2 चुकंदर लें, छील कर काट कर टुकड़े करें और मिक्सी में पीस लें या फिर कद्दूकस करें. थोड़ा पानी डाल कर यह रस मिला लें, फिर इसे छान कर इस का सेवन करें. इस में आयरन भरपूर मात्रा में मिलता है. इस रस के नियमित सेवन से चेहरे पर लाली आ जाती है. एनीमिक लोग इसे जरूर पीएं, तो बहुत फायदा होगा.

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