अब वो रहट, चरसा, ढेकली के दिन किस्सेकहानियों में ही रह गए हैं. आज का किसान बिजली का खटका दबा कर ही अपनी फसल की सिंचाई कर रहा है. कहने को तो आराम ही आराम है, लेकिन बिजली ने किसानों की नींद उड़ा कर रख दी है.

आज पहले के मुकाबले में सैकड़ों गुना ज्यादा तकनीकी तरक्की हो चुकी है. अच्छे फायदे और भरपूर पैदावार की होड़ में किसान बड़े पैमाने पर फसलों की बोआई करते हैं, लेकिन पूरे दिन बिजली नहीं आने से फसलों को समय पर पानी देना ही मुहाल होता जा रहा है.

बिजली की बेहिसाब कटौती के चलते किसान के लाख जतन करने पर भी सूखती फसल को बचाना मुश्किल हो जाता है. कई बार तो किसानों को बिजली के उपकरणों में खराबी के चलते दुर्घटना का शिकार भी होना पड़ता है.

बिजली से आएदिन दुर्घटनाएं होने के बाद भी किसान रोजाना खेतों की मेंड़ से पंप तक बिजली के तारों पर नाचती मौत के साए तले काम करते हैं. करें भी तो क्या? पापी पेट का सवाल जो ठहरा. यही नहीं, कई बार तो आसमान से गाज गिरती है तो वह भी किसान पर और राजकाज के बजट की बढ़ी महंगाई की मार भी किसान पर ही गिरती है.

बिजली आज किसान की जिंदगी में अहम चीज बन चुकी है, चाहे बीज सुखाना हो, बीजोपचार हो, हर काम में बिजली की जरूरत रहती है. पशुओं के बाड़े और खलिहान में भी बिजली की जरूरत पड़ती ही है. डेरी उद्योग में भी मशीन चाहिए तो उन्हें भी चलाने के लिए बिजली की जरूरत होती है. आजकल निराईगुड़ाई में भी बैटरी से चलने वाले उपकरण बनने लगे हैं. यही नहीं, दूरदराज के खेतों में रात की निगरानी के लिए भी बैटरियों का इस्तेमाल किया जाता है. इन की बैटरी बिजली से चार्ज होती है.

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