सूरन यानी जिमीकंद की पहले गांवों में घूरे के आसपास, दालान या मकान के पीछे, बागबगीचों में थोड़ीबहुत बोआई की जाती थी, पर अब अच्छी उपज लेने के लिए वैज्ञानिक तरीका अपनाया जा रहा है.

सूरन की खेती लाभप्रद होती है. इस में औषधीय तत्त्व भी मौजूद होते हैं. इस का प्रयोग सब्जी और अचार के लिए ज्यादा होता है. सूरन की पकौड़ी भी खूब पसंद की जाती है.

सूरन की खेती में लाभ को देखते हुए किसान इस को उगाना पसंद कर रहे हैं. सही तरह से सूरन की खेती की जाए तो एक सीजन से एक बीघे में एक लाख रुपए तक कमाए जा सकते हैं. सब से अच्छी बात यह है कि सूरन की खेती में बहुत समय भी नहीं लगता. किसान चाहे तो उसी खेत में सहफसली कर के 3 फसलें भी उगा सकते हैं.

सूरन की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि तमाम किसान इस की खेती बहुत बड़े पैमाने पर नहीं करते हैं. वे 1 या 2 बीघे में ही इस की खेती करते हैं और 1 लाख रुपए से ढाई लाख रुपए तक की बचत कर लेते हैं. किसानों के लिए अच्छी बात यह है कि इस की खेती में ज्यादा खर्च भी नहीं आता है.

वैसे, सूरन की खेती मुख्यत: पहाड़ी क्षेत्र में होती है, पर अब मैदानी क्षेत्र के किसान भी इस की खेती करने लगे हैं. किसानों के बीच काम करने वाला ‘पानी संस्थान’ किसानों को सूरन की खेती के लिए जागरूक कर रहा है.

सूरन की बोआई

सूरन की खेती करने वाले किसान गुरुदीन कहते हैं कि वे 2 साल से इस की खेती कर रहे हैं. एक बीघे में 5,000 रुपए से 8,000 रुपए तक खर्च आता है. इस की बिक्री कर 80,000 रुपए से ले कर 1 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है. अब इस के बेचने में कोई दिक्कत नहीं, क्योंकि हर सीजन में इस की सब्जी बनने लगी है. सब्जी के थोक व्यवसायी घर पर आ कर ही खरीद लेते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...