आर्टीमिसिया (क्वीन घास) के बारे में लोगों को कम ही जानकारी होगी. बता दें कि मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया से बचाव के लिए जिन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, वह आर्टीमिसिया (क्वीन घास) नाम के औषधीय पौधें की सूखी पत्तियों से तैयार की जाती है. इसी वजह से दवा बनाने वाली कंपनियों में आर्टीमिसिया की सूखी पत्तियों की भारी मांग बनी रहती है. भारी मांग के चलते आर्टीमिसिया की खेती बेहद फायदे का सौदा साबित हो रही है.

आर्टीमिसिया की खेती भारत के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों को छोड़ देश की सभी जगहों की जलवायु के लिए उपयुक्त है. आर्टीमिसिया (क्वीन घास) के पौधे की लंबाई औसतन 3-5 फुट तक होती है. इस की पत्तियां गाजर की पत्तियों की तरह होती है और पत्तियों से तीव्र सुगंध निकलती है.

आर्टीमिसिया की खेती के लिए सब से पहले नर्सरी तैयार की जाती है, जो नवंबर से दिसंबर माह तक डाली जाती है. नर्सरी में बीज डालने से पहले गोबर की सड़ी खाद की परत बिछा दें. उपयुक्त नमी बनाने के लिए नर्सरी के लिए दोमट मिट्टी सब से उपयुक्त होती है.

आर्टीमिसिया को खेत में रोपित करने से पहले खेत की हैरो द्वारा जुताई कर 3 ट्रौली सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ की दर से बिछा देनी चाहिए. उस के बाद कल्टीवेटर से 2 जुताई कर के पाटा लगा दें. फिर 15 जनवरी से 15 फरवरी तक आर्टीमिसिया के पौधों को खेत में 60ग्30 सैंटीमीटर की दूरी पर रोपित करें और उसी दिन खेत की सामान्य सिंचाई कर दें. पौधों को रोपित करने के 15वें दिन दूसरी सिंचाई कर के 60 किलोग्राम यूरिया व 65 किलोग्राम डीएपी प्रति एकड की दर से बोआई करें.

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