लाभदायक मोरिंगा पेड़ को अर्धशुष्क, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जा सकता है. यह तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है, जिस में न्यूनतम कीट और बीमारियां व न्यूनतम पानी और उर्वरक की आवश्यकता होती है. यह जमीन कटाव नियंत्रण, वनों की कटाई, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी, मरुस्थलीकरण को उलटने और जैव विविधता में वृद्धि के माध्यम से पर्यावरण स्थिरता में अहम भूमिका निभाता है.

यह विश्व स्तर पर ‘सुपरफूड’ के रूप में, फार्मास्युटिकल और कौस्मैटिक उद्योगों में उपयोग किया जाता है और इस की पत्तियों व फली की निरंतर मांग होती है.

मोरिंगा का एक पेड़ प्रतिवर्ष औसतन 50 किलोग्राम मोरिंगा फली देता है, जिस की औसत कीमत 50 रुपए प्रति किलोग्राम है. यह लगभग एक पेड़ से 2,500 रुपए की आय देता है

मोरिंगा (सहजन) की खेती के फायदों को देखते हुए ग्रामीण फाउंडेशन इंडिया ने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में साथियों किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से मोरिंगा की खेती को बढ़ावा दिया, जहां स्वयं सहायता समूह की महिलाएं एफपीओ की शेयरधारक पौधे तैयार करने, रोपण और पेड़ के पोषण में लगी हुई हैं. वे इस की पत्तियों और फलियों के संग्रह में भी शामिल हैं और संपूर्ण मूल्यवर्धन प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

सितारा देवी, मोरिंगा किसान, आजमगढ़, उ.प्र.

सितारा देवी स्वयं सहायता समूह सदस्य और साथियों किसान उत्पादक संगठन की शेयरधारक ने किसान उत्पादक संगठन की शेयरधारक बनने के बाद सहजन के 40 पेड़ उगाए. उन्होंने पेड़ों की खेती के लिए अनुपयोगी बंजर भूमि का उपयोग किया. उन्होंने पिछले साल अपने एफपीओ को मोरिंगा की फली और पत्तियां बेचीं और 20,000 रुपए कमाए.

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