हिसार : अगले दशक में भारत में युवाओं की आबादी दुनिया में सब से अधिक होगी. यदि देश का उत्थान करना है, तो युवाओं को परिवार, समाज व संसाधनों के बीच सामंजस्य स्थापित करना होगा. इस के लिए उन्हें समय के साथसाथ अपने ज्ञान, नवाचारों व कौशल में विकास करना चाहिए, तभी हमारा देश उन्नति के पथ पर अग्रसर हो पाएगा.

ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने विश्वविद्यालय के इंदिरा चक्रवर्ती सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की स्वर्ण जयंति के उपलक्ष्य पर “सामुदायिक विज्ञान शिक्षा : चुनौतियां एवं अवसर” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि कही. इस दौरान मुख्य वक्ता के रूप में पंतनगर के गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी की पूर्व अधिष्ठाता डा. रीटा रघुवंशी उपस्थित रहीं, जबकि लुधियाना के पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में कालेज औफ होम साइंस की पूर्व अधिष्ठाता डा. जतिंदर कौर गुलाटी उपस्थित रहीं.

मुख्यातिथि प्रो. बीआर कंबोज ने विश्वविद्यालय के इंदिरा चक्रवर्ती सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के 50 साल पूरे करने पर सभी को बधाई दी.

उन्होंने कहा कि सामुदायिक विज्ञान एक अंतर विषयक क्षेत्र है, जिस में परिधान और वस्त्र विज्ञान, खाद्य एवं पोषण, संसाधन प्रबंधन, उपभोक्ता प्रबंधन के साथसाथ भौतिकी, जैविक, कृषि, सामाजिक और पर्यावरण विज्ञान, कला, मानविकी और प्रबंधन विषयों का संयुक्त रूप से ज्ञान है.

उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ जैसेजैसे परिवार व समाज का दायरा बढ़ा है, वैसेवैसे चुनौतियां भी बढ़ रही हैं. इन का निवारण सामुदायिक विज्ञान विषय में है, जो कि व्यक्ति अपने परिवार, समुदाय एवं संसाधनों के साथ गतिशील संबंधों के महत्व पर आधारित है.

Farmingमुख्यातिथि ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि समय रहते उन्होंने अपने अंदर ज्ञान, कौशल, अनुशासन गुणों का विकास व समाज के हित के लिए कदम नहीं उठाए, तो भविष्य में काफी चुनौतियों से लड़ना पड़ सकता है. इसलिए बदलते समय के साथ अपने अंदर परिवर्तन लाना आवश्यक है.

उन्होंने इंदिरा चक्रवर्ती सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय में पढ़ाए जा रहे सभी कोर्सों को अहम बताते हुए कहा कि इस से हमारे ज्ञानवर्धन के साथ सामाजिक कार्यों को बढ़ावा मिलने में भी मदद मिलेगी.

उन्होंने शिक्षकों से यह भी कहा कि वे कक्षा में हर विद्यार्थी की प्रतिभा की पहचान कर उस को संवारने का प्रयास करें.

कुलपति ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने कैरियर को संवारने के लिए पहले कुछ सीखने की ललक जगाएं और फिर उस काम को पूरा करने की निरंतरता जारी रखें. साथ ही, पाठ्यक्रमों से संबंधित शिक्षकों से संवाद जरूर करें.

मुख्य वक्ता डा. रीटा रघुवंशी ने उपस्थित छात्राओं को सामुदायिक विज्ञान एवं सतत विकास विषय पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में सामुदायिक विज्ञान का भविष्य उज्ज्वल है. छात्राओं को गणित, कंप्यूटर विज्ञान, सांख्यिकी विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और मानविकी विषयों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता है, जोकि आने वाले समय की मांग है.

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ता प्रदूषण, घटते प्राकृतिक संसाधनों, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है, जिन के लिए छात्राओं को अपने अंदर कौशल विकास व ज्ञानवर्धन करने की जरूरत है.

वक्ता डा. जतिंदर कौर गुलाटी ने सकारात्मक युवा विकास विषय के पहलुओं पर छात्राओं से चर्चा की. उन्होंने पर्यावरण, आर्थिक व समाज को सामुदायिक विज्ञान विषय की अहम कड़ी बताते हुए कहा कि यदि किसी समाज का उत्थान करना है, तो बदलते समय के साथ नवाचारों, ज्ञान और कौशल में विकास करना चाहिए.

इस के अलावा मोदीपुरम के इंडियन इस्टीट्यूट औफ फार्मिंग सिस्टमस रिसर्च से वैज्ञानिक डा. निशा वर्मा ने समुदाय आधारित हस्तक्षेपों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उभरते उपकरण और तकनीकें विषय और नई दिल्ली के इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रमुख वैज्ञानिक डा. प्रेमलता ने महिलाओं के नेतृत्व में विकास विषय पर अपने व्याख्यान दिए.

उपरोक्त महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. मंजू महता ने सभी का स्वागत किया.
शिक्षा एवं संचार प्रबंधन विभाग की प्रभारी एवं कार्यक्रम की समन्यवक डा. बीना यादव ने एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के तहत विभिन्न विषयों पर होने वाले तकनीकी सत्रों, गतिविधियों, कार्यों व रूपरेखा के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

खाद्य एवं पोषण विभाग की अध्यक्ष डा. संगीता चहल सिंधु ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया. साथ ही, मंच संचालन डा. मंजू दहिया ने किया.

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