नई दिल्ली : एक नए अध्ययन के अनुसार, हाथियों के झुंड जंगलों की तुलना में मानवजनित रूप से निर्मित घास के मैदानों में भोजन के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा करते हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि मानवीय गतिविधियां पर्यावरणीय प्रभावों और जानवरों के सामाजिक जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती हैं. भले ही उन के पास प्रचुर मात्रा में भोजन हो.
एशियाई हाथी मादा बंधित समूहों को दिखते हैं, जबकि नर बड़े पैमाने पर अकेले होते हैं. जिन में सब से समावेशी सामाजिक इकाई कबीला होती है – जो एक सामाजिक समूह, बैंड, टुकड़ी, कबीले या समुदाय के बराबर होती है. कुलों के भीतर महिला हाथी विखंडनसंलयन गतिशीलता दिखाती हैं, जिस में कबीले के सदस्यों को आमतौर पर कई समूहों या पार्टियों में वितरित किया जाता है, जिन के समूह का आकार और संरचना घंटों में बदल सकती है.
एशियाई हाथी के कई लक्षण हैं, जिन के बारे में माना जाता है कि वे कम आक्रामक प्रतिस्पर्धा से जुड़े हैं. सब से पहले उन का प्राथमिक भोजन निम्न गुणवत्ता वाला, बिखरा हुआ संसाधन (घास और वनस्पति पौधे) हैं और इस प्रकार प्रतिस्पर्धा होने की उम्मीद नहीं है. उन की विखंडन व संलयन गतिशीलता उन्हें लचीले ढंग से छोटे समूहों में विभाजित होने और प्रतिस्पर्धा को कम करने का अवसर देती है. वे प्रादेशिक नहीं होते, और उन की घरेलू सीमाएं बड़े पैमाने पर ओवरलैप कर सकती हैं, यह लक्षण समूह के बीच मुठभेड़ों के दौरान कम आक्रामकता से संबंधित होती है.
जवाहरलाल नेहरू सैंटर फौर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के के तहत एक स्वायत्त संस्थान के वैज्ञानिकों ने हाथियों जैसे मादा बंधित पशुओं में समूह के भीतर और उन के बीच भोजन वितरण के प्रभाव की जांच की.
डा. हंसराज गौतम और प्रो. टीएनसी विद्या ने व्यक्तिगत हाथियों की पहचान और अध्ययन करने के लिए वर्ष 2009 में स्थापित दीर्घकालिक काबिनी हाथी परियोजना से हाथियों के व्यवहार के डेटा को ट्रैक किया और पता लगाया कि क्या कबीले के भीतर शत्रुतापूर्ण विवाद (एगोनिज्म) और कबीले के बीच एगोनिस्टिक मुठभेड़ हैं? हाथियों में इस की दर और फैलाव, घास की प्रचुरता, घास के फैलाव और हाथियों के समूह के आकार पर निर्भर है.
उन्होंने काबिनी घास के मैदान और उस के पड़ोस में जंगल से हाथियों के व्यवहार के आंकड़ों का अध्ययन कर पाया कि जंगलों की तुलना में घास के मैदानों में, जहां भोजन की प्रचुरता होती है, हाथियों के झुंड के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक होती है, उन के अध्ययन के निष्कर्ष आंशिक रूप से सामाजिक व पारिस्थितिक मौडल, महिला सामाजिक संबंधों के पारिस्थितिक मौडल (ईएमएफएसआर) की भविष्यवाणियों का समर्थन करते हैं, जो बताता है कि खाद्य वितरण मुख्य रूप से समूहों के बीच और भीतर प्रतिस्पर्धा यानी शारीरिक संघर्ष को निर्धारित करता है. प्रचुर मात्रा में और एकत्रित खाद्य संसाधनों पर संघर्ष बढ़ने की उम्मीद होती है और उन पर समूहों या वैयक्तिक एकाधिकार हो सकता है.
रौयल सोसाइटी ओपन साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि संसाधनों की उपलब्धता बढ़ने से अपेक्षा से विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, प्राकृतिक आवासों में तेजी से होने वाले मानवजनित परिवर्तनों, जैसे कि जंगली आबादी की सामाजिक व्यवस्था में इनसानी दखल, के संदर्भ में इस की बहुत प्रासंगिकता है.