तुलसी लैमिएसी परिवार की एक महत्वपूर्ण सालाना और बारहमासी सुगंधित एवं औषधि जड़ीबूटी है. इस के तेल का इस्तेमाल स्वाद, सुगंध, भोजन और पारंपरिक दवाओं के लिए किया जाता है. आमतौर पर देखा गया है कि सर्दियों का मौसम आते ही तुलसी में कई प्रकार के बदलाव होने लगते हैं. इस मौसम में तुलसी के पौधे को उचित देखभाल की जरूरत होती है. तुलसी के पौधे को सूखने से बचाने के लिए हम कुछ आसान तरीके अपना सकते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं:
तुलसी को ठंड से बचाने के कुछ उपाय
मिट्टी का अनुपात
तुलसी का पौधा रोपते समय मिट्टी के साथ बालू का उपयोग भी करना चाहिए. जिस गमले में तुलसी का पौधा लगा रहे हैं, उस में पानी के निकलने के लिए सही जगह होनी चाहिए, ताकि पौधा जड़ से गीला हो कर खराब न हो जाए. मिट्टी के साथ मौरंग की एक लेयर गमले में डालें. दोनों का अनुपात 50ः50 फीसदी रखें. पौधा रोपने के लिए जैविक खाद के साथ उपजाऊ मिट्टी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पानी का अनुपात
किसी भी पौधे को हराभरा रखने के लिए धूप, खाद और पानी तीनों की जरूरत होती है. तुलसी के पौधे में जरूरत से ज्यादा पानी न दें. वजह, पानी की अधिकता के कारण पौधा खराब हो सकता है. इसलिए अगर रोज पानी देते हैं, तो मिट्टी सूखने के बाद ही पानी दें. मिट्टी की निराईगुड़ाई करते रहें, ताकि पौधे को उचित औक्सीजन मिलता रहे.
पानी का तापमान
सर्दियों में ठंडे पानी से नहाने में लोगों को कंपन सी महसूस होती है और ठंडा पानी शरीर को नीला कर देता है. पौधे बहुत नाजुक होते हैं. अधिक ठंडा पानी पौधे को भी नुकसान पहुंचाता है, इसलिए तुलसी के पौधे को सर्दियों में पानी दे रहे हैं, तो ताजा पानी का उपयोग करें. ताजा पानी में कुछ गरमाहट होती है. चाहें तो पानी में कच्चा दूध मिला कर तुलसी को सींच सकते हैं. यह पेड़ को हराभरा रखने में मदद करता है.
ओस से बचाएं
सर्दियों में रात के समय गिरने वाली ओस पौधे को नुकसान पहुंचाती है. इसलिए शाम के समय जब तापमान कम होने लगे और ओस गिरने लगे, तो तुलसी के पौधे को सूती कपड़े से ढक कर रखें. चाहें तो पौधे को खुले आसमान में रखने के बजाय किसी शेड के नीचे भी रख सकते हैं.
तुलसी को ठंड से बचाने के वैज्ञानिक उपाय
तुलसी को ठंड में सूखने से बचाने के लिए कुछ संस्थाओं ने नई प्रजातियां विकसित की हैं, जो सालाना एवं बहुवर्षीय प्रजातियों के संकरण से बनाई गई हैं.
सीएसआईआर सीमैप, लखनऊ ने नई जारी की गई अंतर्विशिष्ट संकर किस्म सीआईएम-शिशिर, जो ओसीमम बेसिलिकम और ओसीमम किलिमैंड्सचेरिकम के बीच संकरण से पैदा हुई है, एक मल्टीकट, लौजिंग प्रतिरोधी, ठंड में सहनशील, लिनालूल समृद्ध किस्म के साथ उच्च आवश्यक तेल उपज देने वाली किस्म होने का दावा करती है.
सुनीता सिंह धवन, पंखुरी गुप्ता, राज किशोरी लाल, स्मिता सिंह और दूसरे वैज्ञानिकों के सहयोग से बनी इस प्रजाति की मुख्य विशेषता यह है कि इस का तना बैंगनी व हरा रंग का होता है. इस में अन्य ओसीमम बेसिलिकम किस्मों की तुलना में सर्दियों के मौसम में बेहतर लाभ होता है, जो ठंड सहन कर सकती है.
हम यही कह सकते हैं कि जो हमारी पुरानी सोच थी कि तुलसी ठंड में खराब हो जाती है, अब हम तुलसी को ठंड के मौसम में भी हराभरा रख सकते हैं.
– डा. स्मिता सिंह, असिस्टेंट प्रोफैसर, पादप प्रजनन, श्री लाल बहादुर शास्त्री डिगरी कालेज, गोंडा
– राघवेंद्र विक्रम सिंह, वैज्ञानिक, कृषि प्रसार, कृषि विज्ञान केंद्र, संत कबीरनगर