आज देश में खेती के काम में 35 फीसदी से ज्यादा भागीदारी महिलाओं की है और खेती के अनेक काम ऐसे हैं, जिन में कृषि यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है. खेती में काम आने वाले कृषि यंत्र आमतौर पर पुरुषों को ही ध्यान में रख कर बनाए जाते हैं, लेकिन अब कृषि यंत्र बनाने वाले महिलाओं को ध्यान में रख कर भी यंत्र बना रहे हैं, ताकि इन यंत्रों का इस्तेमाल खेतिहर महिलाएं आसानी से कर सकें.
जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में खेती के कामों में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी, क्योंकि आजकल देखने में आ रहा है कि ज्यादातर नौजवान शहरों की तरफ आ रहे हैं. शहरों में आ कर वे कुछ रोजगार भी कर सकें.
इस के पीछे चाहे खेती में कम मुनाफे की वजह हो या कोई और वजह भी हो सकती है, क्योंकि खेती में खेत बोते समय और उस की कटाई के समय ही ज्यादा काम होता है. बीचबीच में खेती में निराईगड़ाई व पानी की उचित देखभाल की जरूरत होती है. इस काम में अब गांव की औरतें भी मर्दों का हाथ बंटाने लगी हैं. यही वजह है कि आने वाले समय में महिलाओं के मुताबिक ही कृषि यंत्रों को बनाया जाए, जिस से महिलाओं को उन्हें इस्तेमाल करने में आसानी हो.
खेती में महिलाओं की भागीदारी और कृषि यंत्र
खेतिहर महिलाओं पर किए गए एक शोध के मुताबिक, महिलाओं के लिए बनाए जाने वाले इन कृषि उपकरणों का डिजाइन तैयार करने में शरीर के 79 आयामों की पहचान की गई है. इस आधार पर तैयार किए गए.
ऐसे आधुनिक कृषि औजारों और उपकरणों का उपयोग महिलाएं काफी सहजता से कर सकती हैं.
महिलाओं के हिसाब से उपकरण
शोधकर्ताओं के मुताबिक, भारतीय महिला कृषि श्रमिकों की औसत ऊंचाई आमतौर पर 151.5 सैंटीमीटर और औसत वजन 46.3 किलोग्राम होता है. खेती के कामों में वजन उठाने संबंधी काम बहुत होते हैं. इन सब को ध्यान में रख कर इन कृषि उपकरणों को डिजाइन किया गया है.
उदाहरण के लिए, काम करते समय शरीर की प्रमुख मुद्राओं जैसे खडे़ हो कर, बैठ कर, झुक कर वगैरह को ध्यान में रखते हुए 16 शक्तिमानकों का इस्तेमाल उपकरणों को डिजाइन करने में किया गया है.
इस के अलावा महिला श्रमिकों की ऊंचाई और वजन, काम करते समय अधिकतम औक्सिजन की खपत दर, दिल की गति की दर, हाथ की चौड़ाई, उंगलियों के व्यास, बैठ कर काम करने की ऊंचाई और कमर की चौड़ाई जैसी बातों को भी ध्यान में रखा गया है.
पुराने उपकरणों में बदलाव
महिलाओं की शारीरिक कूवत के आधार पर पुराने प्रचलित कृषि उपकरणों में बदलाव कर कई नए उपकरण बनाए गए हैं, ताकि उन्हें इस्तेमाल करने में सहूलियत हो.
इन में बीजोपचार, हस्त रिजर, उर्वरक ब्राडकास्टर, हाथ से चलने वाला बीज ड्रिल, नवीन डिबलर, रोटरी डिबलर, 3 पंक्तियों वाला चावल ट्रांसप्लांटर, 4 पंक्तियों वाला धान ड्रम सीडर, व्हील हो, कोनो वीडर, संशोधित हंसिया, मूंगफली स्ट्रिपर, पैरों से चलने वाला धान थ्रेशर, धान विनोवर, ट्यूबलर मक्का शेलर, रोटरी मक्का शेलर, टांगने वाला ग्रेन क्लीनर, बैठ कर प्रयोग करने वाला मूंगफली डिकोरटिकेटर, फल हार्वेस्टर, कपास स्टौक पुलर और नारियल डीहस्कर वगैरह खास हैं.
महिलाओं को प्रशिक्षित करना जरूरी
केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल से जुडे़ प्रमुख अध्ययनकर्ता डाक्टर सीआर मेहता का कहना है कि इन उपकरणों के सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए महिला श्रमिकों को जागरूक और प्रशिक्षित करना जरूरी है. साथ ही, निर्माताओं को ऐसे कृषि औजार बनाने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में मुहैया करना भी जरूरी है. उपकरण खरीदने के लिए बैंक और अन्य संगठनों से कर्ज लेने के लिए महिलाओं की सहायता भी जरूरी है.
शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि राज्य के कृषि विभागों को इस गतिविधि में मुख्य भूमिका निभानी होगी, क्योंकि उन की पहुंच देश के गंवई इलाकों तक आसानी से होती है. समयसमय पर वे लोग ऐसे आयोजन भी करते रहते हैं, जहां कृषि की जानकारी के लिए ढेरों किसान इकट्ठा होते हैं.
जरूरत है, इन महिलाओं की भागीदारी बढे़ और नईनई जानकारी ले कर खेती के काम को मशीनों के जरीए आसान बना सके.
मशीनों और उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी
ट्रैक्टर : 20 पीटीओ हौर्सपावर तक के ट्रैक्टर की अनुमानित लागत 3.00 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर मिलने वाली छूट महिलाओं के लिए लागत का 35 फीसदी है यानी अधिकतम 1.00 लाख रुपए प्रति इकाई तक, जबकि पुरुषों के लिए लागत का महज 25 फीसदी है. मतलब, अधिकतम रुपए 0.75 लाख प्रति इकाई.
पावर टिलर : 8 हौर्सपावर से कम के पावर टिलर की अनुमानित लागत 1.00 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर मिलने वाली सब्सिडी महिलाओं के लिए अधिकतम 0.50 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए अधिकतम 0.40 लाख रुपए प्रति इकाई.
वहीं दूसरी ओर 8 हौर्सपावर या उस से ज्यादा के पावर टिलर की लागत 1.50 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि इस पर मिलने वाली अधिकतम छूट 0.75 लाख रुपए प्रति इकाई है, वहीं पुरुषों के लिए अधिकतम 0.60 लाख रुपए प्रति इकाई.
ट्रैक्टर व पावर टिलर से चलने वाले उपकरण (20 हौर्सपावर से कम) : भूमि विकास, जुताई और बीज की क्यारी बनाने के उपकरणों की अनुमानित लागत 0.30 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर मिलने वाली छूट महिलाओं के लिए अधिकतम 0.15 लाख रुपए है, जबकि पुरुषों के लिए 0.12 लाख रुपए प्रति इकाई.
बोआई, रोपाई, कटाई औैर खुदाई के यंत्र की अनुमानित लागत 0.30 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर मिलने वाली छूट अधिकतम 0.15 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए रुपए 0.12 लाख प्रति इकाई.
प्लास्टिक मल्चिंग मशीन की लागत 0.70 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर मिलने वाली छूट महिलाओं के लिए 0.35 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए 0.28 लाख रुपए प्रति इकाई.
पौध संरक्षण उपकरण
मैन्यूअल स्पे्रयर, नैपसैक यानी पैरों से चलने वाला प्रति स्प्रेयर (लागत 0.012 लाख रुपए प्रति इकाई), वहीं इस पर मिलने वाली छूट महिलाओं के लिए अधिकतम 0.006 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए 0.005 लाख रुपए प्रति इकाई.
पावर चालित नैपसैक स्प्रेयर, पावर चालित ताइवानी स्पे्रयर की क्षमता वाले 8-12 लिटर की अनुमानित लागत मानक 0.062 लाख रुपए प्रति इकाईर् है.
इस पर मिलने वाली सब्सिडी यानी छूट महिलाओं के लिए अधिकतम 0.031 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए 0.025 लाख रुपए प्रति इकाई.
पावर नैपसैक स्प्रेयर या पावर चालित ताइवानी स्पे्रयर की क्षमता वाले 12-16 लिटर की अनुमानित लागत मानक 0.078 लाख रुपए प्रति इकाईर् है. इस पर मिलने वाली छूट महिलाओं के लिए अधिकतम 0.038 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए 0.03 लाख रुपए प्रति इकाई.
पावर नैपसैक स्पे्रयर या पावर चालित ताइवानी स्पे्रयर की क्षमता 16 लिटर से ज्यादा की अनुमानित लागत 0.20 लाख रुपए प्रति इकाई है, वहीं इस पर मिलने वाली सब्सिडी यानी छूट महिलाओं के लिए अधिकतम 0.10 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए 0.08 लाख रुपए प्रति इकाई.
ट्रैक्टरधारक या फिर चालित स्पे्रयर 20 हौर्सपावर से कम की अनुमानित लागत 0.20 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर मिलने वाली छूट महिलाओं के लिए अधिकतम 0.10 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए 0.08 लाख रुपए प्रति इकाई.
ट्रैक्टर रखने वाले या चलाने वाले स्पे्रयर 35 हौर्सपावर से ज्यादा की लागत मानक 1.28 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर महिलाओं के लिए लागत का 50 फीसदी यानी अधिकतम 0.63 लाख रुपए प्रति इकाई, जबकि पुरुषों के लिए लागत का 40 फीसदी यानी अधिकतम 0.50 लाख रुपए प्रति इकाई.
पर्यावरण हितैषी लाइट ट्रैप की लागत 0.088 लाख रुपए प्रति इकाई है. इस पर मिलने वाली छूट महिलाओं के लिए अधिकतम 0.014 लाख रुपए प्रति इकाई है, जबकि पुरुषों के लिए 0.12 लाख रुपए प्रति इकाई है.