हमारे देश के कुछ हिस्सों में केले का उत्पादन किसी मौसम में ज्यादा होता है, तो किसी मौसम में कम. जब उत्पादन ज्यादा होता है, तो उस दौरान केले की कीमत में काफी गिरावट आ जाती है और स्टोर कूवत कम होने के चलते किसान को मजबूरी में कम कीमत पर ही अपना केला बेचना पड़ता है.

केले की तुड़ाई के बाद तकरीबन 30-40 फीसदी नुकसान लोगों तक पहुंचने में होता है. साथ ही, इस समस्या से नजात पाने के लिए एकमात्र उपाय केले की प्रोसैसिंग से केले के उत्पाद तैयार करें और उन्हें मांग के मुताबिक ज्यादा कीमत पर बेचा जाए.

केले के उत्पाद मुरब्बा, जैम, जैली, चटनी, अचार, आटा, बिसकुट, चिप्स वगैरह हो सकते हैं. इन उत्पादों की बाजार में पूरे साल मांग रहती है. साथ ही, इन की कीमत भी अच्छी मिल जाती हैं. क्यों न किसान भी केले के उत्पाद बना कर बेचें और भरपूर फायदा लें.

मुरब्बा : केले से मुरब्बा बनाने के लिए मीठे और अधपके केलों का छिलका निकाल कर उन्हें 2-3 भागों में काट कर उन में बारीक छेद बना लें. उस के बाद 30 फीसदी चीनी की चाशनी में उन्हें मिला कर तब तक गरम करें, जब तक कि चाशनी 70 फीसदी गाढ़ी न हो जाए.

स्वाद के मुताबिक चाशनी में 0.1 फीसदी की दर से साइट्रिक अम्ल भी मिलाया जा सकता है. इस तरह केले का मुरब्बा तैयार हो जाता है, जिसे मर्तबान में रख लेते हैं. बड़े पैमाने पर मुरब्बा तैयार कर बाजार में बेचा जा सकता है.

जैम : केले का जैम बनाने के लिए पके केले का गूदा निकाल कर उस में समान अनुपात में चीनी मिला कर आंच पर पकाते हैं. जब चीनी पूरी तरह घुल जाए, तब उस में 0.3 फीसदी साइट्रिक अम्ल और रंग डाल कर लगातार चलाते रहते हैं और जब तापमान 104 डिगरी सैंटीग्रेड पहुंच जाए तब आंच से उतार कर साफ बोतल में भर कर सील कर देते हैं. समय पर उसे बाजार में बेच दिया जाता है.

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