सहजन या ड्रमस्टिक (वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा) के बारे में हम सभी जानते हैं. इसे सीजना, सुरजना, शोभाजन, मरूगई, मरूनागाई, इंडियन हौर्सरैडिश आदि नामों से भी जाना जाता है. सहजन पूरे भारत में सुगमता से पाया जाने वाला पेड़ है. सहजन के पत्ते, फूल, फलियां, बीज, छाल आदि सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता है.
भारत में सहजन का उपयोग दक्षिण भारत में सांभर एवं सब्जी के रूप में किया जाता है. दक्षिणी भारत में सालभर फली देने वाले सहजन के पेड़ होते हैं, जबकि उत्तर भारत में ये साल में एक बार ही फली देते हैं.
सहजन में पोषक तत्त्व, जैसे प्रोटीन, आयरन, बीटा कैरोटीन, अमीनो अम्ल, कैल्शियम, पोटैशियम, मैगनीशियम, विटामिन ‘ए’, ‘सी’ और ‘बी’ कौंप्लैक्स की अधिकता होने के कारण इसे कुपोषण को रोकने एवं इस के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है.
सहजन अत्यंत गुणकारी और पोषक तत्त्वों से भरपूर होने के कारण सुपरफूड के नाम से भी जाना जाता है.
सहजन के पेड़ को कटिंग या बीच द्वारा बड़ी आसानी से घर के आसपास पार्क या बड़े गमलों में लगाया जा सकता है.
सहजन का प्रसंस्करण
* सहजन की पत्तियों में आयरन, रेशा, विटामिन ‘ए’ एवं प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसलिए पत्ती को सुखाने के उपरांत पाउडर बना कर उस से फलों एवं सब्जियों का पौष्टिक जूस बनाना.
* इस की पत्तियों के पाउडर को सलाद में नमक व सलाद मसाले के साथ प्रयोग करना.
* फलियों का सांभर एवं सब्जी के रूप में प्रयोग करना.
* पत्तियों को जूस के रूप में प्रयोग करना.
* फूल की सब्जी.
* सहजन की फलियों का पाउडर.
* पत्तियों एवं फलियों के सत को निकाल कर विभिन्न फलों में मिला कर उत्पाद बनाना.
बीज
सहजन के बीज से पानी को शुद्ध कर के पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस के बीज को पाउडर के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है. पानी के साथ घुल कर यह एक प्रभावी प्राकृतिक क्लोरीफिकेशन एजेंट बन जाता है.
यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरियारहित करता है, बल्कि पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है. जीवविज्ञान के नजरिए से यह जल मानवीय उपयोग के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है.
पत्तियां
सहजन की पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, आयरन, पोटैशियम, कौप्लैक्स मैगनीशियम, विटामिन ‘ए’ ‘सी’ और ‘बी कौप्लैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो खून की कमी एवं कुपोषण को दूर करने में सहायक है. इस के अलावा सहजन के बीज के आटे को बच्चे के कुपोषण को दूर करने के लिए भी खिलाया जा सकता है. यह एक अच्छा हैल्थ सप्लीमैंट है.
* सहजन में शुगर के स्तर को संतुलित रखने की क्षमता होती है. यह डायबिटीज से लड़ने में मदद करता है.
* चयापचय (मैटाबोलिज्म) को ठीक रखने के लिए सहजन के तत्त्वों का सेवन बेहतर माना गया है. यह पाचन क्रिया को सही रखने में मददगार है.
* सहजन की पत्ती का काढ़ा गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ देता है.
* मोच आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बना कर उस में थोड़ा सा सरसों का तेल डाल कर आंच पर पकाएं और फिर मोच के स्थान पर लगाएं. इस से शीघ्र लाभ होता है.
* सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालने एवं उलटीदस्त रोकने के काम में आता है.
* इस की पत्तियों को पीस कर लगाने से घाव एवं सूजन ठीक हो जाती है.
* इस की पत्तियों के रस से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
* सहजन विटामिन ए का बेहतरीन स्रोत है. यह आंखों को स्वस्थ रखता है.
छाल
* सहजन की छाल में शहद मिला कर पीने से वात व कफ शांत हो जाता है.
* सहजन की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े नष्ट हो जाते हैं और दर्द में आराम मिलता है.
* इस के पेड़ की छाल का प्रयोग गोंद बनाने में किया जाता है.
जड़
* जड़ का काढ़ा, सेंधा नमक व हींग के साथ पीने से मिरगी के दौरों में लाभकारी होता है.
* सहजन की छाल का काढ़ा हींग व सेंधा नमक डाल कर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है.
फूल
* इस के ताजा फूलों का प्रयोग हर्बल टौनिक बनाने में किया जाता है.
* सहजन के फूल हृदय रोगों व कफ रोगों में उपयोगी होते हैं.
फलियां
* इस की सब्जी खाने से पुराने से पुराना गठिया, जोड़ों का दर्द, वायु, संचार, वात रोग में लाभ होता है.
* सहजन की सब्जी खाने से गुरदे और मूत्राशय की पथरी कट कर निकल जाती है.
सहजन के विभिन्न भागों के औषधीय गुण
भाग औषधीय गुण
बीज पीड़ानाशक, एलर्जीनाशक, जीवाणुरोधी, मूत्रवर्धक औषधि, विषाणुरोधी.
बीज गिरी दमारोधी, जलन या प्रदाहरोधी.
फली एवं बीज रक्तचाप.
पत्ती अल्सररोधी, अतिगलगं्रधिता, फंगसरोधी, मधुमेह रोधी, हाईपोलिपिडेमिक आदि.
जड़ कैंसररोधी, प्रदाहकरोधी, पीड़ानाशक.
फूल प्रतिवातौषधि, कीटाणुरोधी.
छाल पीड़ानाशक, जर्मनाशक.
फोलियस दूध बढ़ाने वाला.
सहजन में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और प्रोटीन पाया जाता है. इस में दूध की तुलना में 4 गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन होता है. प्राकृतिक रूप से इस में मौजूद मैगनीशियम शरीर में कैल्शियम को आसानी से पचाने में मदद करता है. इस में पाया जाने वाला जिंक खून की कमी को पूरा करने में सहायक होता है.
अत: सहजन की खेती के लिए किसानों को प्रेरित करना चाहिए. सहजन बिना ज्यादा लागत एवं मेहनत के आय का एक बहुत बढि़या साधन हो सकता है