अनाज के दाने का आधा या आधे से अधिक वह भाग जिस में भ्रूण उपस्थित हो, जिस की अंकुरण क्षमता अधिक हो तथा जो भौतिक एवं आनुवांशिक रूप से शुद्ध हो, साधारणताय उसे बीज कहा जाता है. कृषि के उत्पादन के कारकों में से एक बीज का अत्याधिक महत्त्व होता है.
जब कृषक अपने पुराने बीज के स्थान पर उच्च गुणवत्तायुक्त प्रमाणित बीज की बोआई अपने खेत में करता है तो उसे बीज प्रतिस्थापन कहते हैं. किसान के द्वारा उच्च गुणवत्तायुक्त बीज की बोआई करने पर प्रति इकाई क्षेत्रफल में उत्पादन में सामान्य बीज की बोआई करने से प्राप्त होने वाले उत्पादन की अपेक्षा लगभग 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है.
बीज के प्रकार
प्रजनक बीज : इस बीज का उत्पादन सीधे संबंधित अभिजनक की देखरेख में कराया जाता हैं इस बीज की सहायता से आधारीय बीज का उत्पादन किया जाता है. प्रजनक बीज के थैलों पर लगने वाले टैगों का रंग पीला होता हैं और इस की आनुवांशिक शुद्धता भी शतप्रतिशत होती है.
आधारीय बीज : इस बीज का उत्पादन प्रजनक बीज के माध्यम से किया जाता है, जिसे आधारीय बीज कहते हैं और आधारीय प्रथम से तैयार किए गए बीज को आधारीय द्वितीय बीज कहते हैं. इस प्रकार के बीज का प्राणीकरण राज्य बहज प्रमाणीकरण संस्था के द्वारा किया जाता है तथा इस बीज के थैलों पर लगाए जाने वाले टैगों का रंग सफेद होता है.
प्रमाणित बीज : आधारीय बीज के माध्यम से उत्पादित बीज को प्रमाणित बीज कहा जाता हैं तथा सामान्य रूप से इसी बीज को किसनों को बुआई करने हेतु बेचा जाता है. इस बीज का उत्पादन भी बीज प्रमाणीकरण संस्था की गिरानी में ही किया जाता है और प्रमाणित बीज के थैलों पर लगने वाले टैग का रंग नीला होता है.
सत्यापित बीज : इस बीज को आधारीय बीज अथवा प्रमाणित बीज के द्वारा तैयार किया जाता है. इस बीज की भौतिक शुद्धता एवं अंकुरण के प्रति इस बीज का उत्पादक स्वयं जिम्मेदार होता है. इस बीज के थैलों पर बीज प्रमाणीकरण संस्था के द्वारा टैग नही लगाया जाता है और केवल उत्पादन संस्था का ही टैग लगा हुआ होता है. इस बीज की अंकुरण क्षमता भी प्रमाणित बीज के समान ही होती है.
संकर बीज क्या होता है?
* दो भिन्नभिन्न आनुवांशिक गुणों वाली प्रजातियों के संकरण से प्राप्त होने वाली संतति को संकर बीज कहते हैं. यह बीज सर्वोत्तम प्रजातियों की अपेक्षा अधिक उपज देने की क्षमता से युक्त होता है.
* फसल के उत्पादन के लिए संकर किस्म के बीज को प्रथम पीढ़ी के बीज के रूप में उपयोग में लाया जाता है क्योंकि प्रथम पीढ़ी में ही विलक्षण ओज पाई जाती है एवं अगली पीढ़ी में संकलित गुणों का विघटित हो जाते है तथा उस की ओज क्षमता में हृस हो जाता है.
* इस प्रकार से संकर किस्म के बीजों का लाभ एक पीढ़ी तक ही सीमित रहता है जिस के कारण किसानों को प्रतिवर्ष नया बीज खरीद कर ही बोआई करनी पड़ती है.
संकर बीज का महत्त्व
* संकर बीज की उत्पादन देने की क्षमता अधिक उपज देने वाली प्रजातियों की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत तक अधिक उपज देने की क्षमता होती है.
* अधिकांशत: संकर बीज की प्रजातियां षीघ्र ही पकने वाली होती हैं जिस के कारण खाद्यान्न शीघ्र ही उपलब्ध हो जाता है.
* फसलों के शीघ्र पक जाने के कारण फसलचक्र को अपनाने में सुविधा रहती है.
* संकर प्रजातियों को सुखा ग्रस्त क्षेत्रों के लिए भी विकसित किया जा सकता है तथा इन्हें सूखा गस्त क्षेत्रों में भी आसानी से उगाया जा सकता है.
* संकर प्रजातियों की रोग एवं कीट प्रतिरोधकता भी अधिक ही होती है.
* संकर बीज से उत्पादित फसल एक साथ ही पकती हैं. इस कारण से फसल की कटाई भी एक साथ ही की जा सकती है, जिस से श्रमशक्ति की बचत होती है और सस्य क्रियाओं का मषीनीकरण सुविधापूर्वक किया जा सकता है.