फसल कटाई (Harvesting Crops) के बाद खेत में फसल अवशेष भूल कर भी न जलाएं. इस से खेत के लाभदायक मित्रजीव नष्ट हो जाते हैं और फसल में शत्रुजीवों का प्रकोप बढ़ जाता है. फसल अवशेषों को पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है या उन की कंपोस्टिंग कर के उत्तम किस्म की खाद बनाई जा सकती है.
यदि ये दोनों संभव न हो सकें, तो उन्हें खेत में ही रोटावेटर की मदद से महीन कर के मिट्टी में मिलाया जा सकता है, जो आगामी फसल में मृदा जीवांश कार्बन में योगदान करेंगे. कुछ किसान मशरूम उत्पादन के प्रयोग में भूसे को ले सकते हैं.
अनाज भंडारण वाले कमरे/पात्र की साफसफाई कर मैलाथियान का छिड़काव करें. धूप में सुखाए हुए अनाज को छाया में ठंडा कर के ही भंडारण करना चाहिए.
भंडारण के समय नमी का उचित स्तर तय कर लेना चाहिए. नमी का स्तर अनाज वाली फसलों में 12 फीसदी, तिलहनी फसलों में 8 फीसदी, दलहनी फसलों में 9 फीसदी, सोयाबीन आदि के दानों में तकरीबन 10 फीसदी से कम रहना चाहिए.
खाली खेतों में गहरी की जुताई करें. इस से आगामी फसल में लगने वाले अनेक रोगों, कीटों और खरपतवारों की सुषुप्त अवस्थाएं सूरज की तेज रोशनी से नष्ट की जा सकती हैं. मृदाजनित रोगजनक व कीट और सूत्रकृमि की रोकथाम में यह एक कारगर उपाय है.
ग्रीष्मकालीन उड़द और मूंग की जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. इन फसलों में सफेद मक्खी और फुदका कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 1 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. फलियों की तुड़ाई के बाद शेष फसल को खेत में पलट देने से यह हरी खाद का काम करती है.
चारा फसलों में ज्वार, चरी व मक्का की बोआई करें. पहले लगाई गई लोबिया की 60-70 दिन की अवस्था में मई माह में कटाई करें. जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. सिंचित क्षेत्रों में खेत में अथवा खेत की मेंड़ों पर हाथी घास (संकर नेपियर) लगाएं.
मक्का ग्रीष्मकालीन की बोआई के समय दीमक प्रभावित क्षेत्रों में खेतों में क्लोरोपायरीफास की 2.0 लिटर/हेक्टेयर की दर से डालें.
भिंडी और बैगन की फसल को फलीछेदक कीट से बचाएं. इस के लिए नीम तेल 1,500 पीपीएम 3.0 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.
लोबिया/भिंडी की फसल में पत्ती खाने वाले कीट से बचाने के लिए क्विनालफास 25 ईसी की 2.0 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें.
बैगन में तनाछेदक कीट से बचाव के लिए कर्ताफ हाइड्रोक्लोराइड की 1.0 ग्राम दवा प्रति लिटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें.
लौकी वर्ग की सब्जियों में फलमक्खी के नियंत्रण के लिए विषैले चारे पौइजन बेट का प्रयोग करना चाहिए. एक लिटर के चौड़े मुंह वाले डब्बे में एक लिटर पानी में मिथाइल यूजिनोल 1.5 मिलीलिटर व डाईक्लोरोवास 2.0 मिलीलिटर का प्रयोग करें. यह पौइजन बेट उचित अंतराल वाले स्थानों पर रखें और इसे 3-4 दिन के अंतराल पर बदलते रहना चाहिए.
लाल भृंग कीट की रोकथाम के लिए सुबह ओस पड़ने के समय पौधों पर राख का बुरकाव करने से कीट पौधों पर नहीं बैठते हैं. इस कीट का अधिक प्रकोप होने पर कार्बारिल 5 प्रतिशत के 20 किलोग्राम चूर्ण को राख में मिला कर सुबह पौधों पर बुरकना चाहिए या 0.2 फीसदी सेविन का छिड़काव करें.
मिर्च में हरा फुदका के प्रबंधन के लिए नीम तेल 1,500 पीपीएम की 3.0 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी के साथ छिड़काव करें या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 5.0 मिलीलिटर दवा प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें.
मिर्च में थ्रिप्स के प्रबंधन के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एसजी 6.0 ग्राम दवा प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें या स्पाइनोसेड 45 प्रतिशत एससी 5.0 मिलीलिटर दवा प्रति 15 लिटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें.
अदरक की बोआई 30×20 सैंटीमीटर पर 4 सैंटीमीटर की गहराई में करनी चाहिए. बोआई से पहले 20-25 ग्राम के टुकड़ों को कौपरऔक्सीक्लोराइड के 0.3 फीसदी घोल में 10 मिनट तक उपचारित करें.
आम के गुम्मा रोग से ग्रसित पुष्प मंजरियों को काट कर जला दें या गहरे गड्ढे में दबा दें. आम के फलों को गिरने से बचाने के लिए एल्फा नैफ्थलीन एसिटिक एसिड 4.5 एसएल के 20 मिलीलिटर को प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.
मिली बग नई कोंपलें, फूलों व फलों का रस चूस कर काफी नुकसान करती हैं. इन के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 1.0 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें और नीचे गिरी या पेड़ों पर चढ़ रहे कीड़ों को इकट्ठा कर के मार दें और घास को साफ रखें.
ब्लैक टिप रोग से फल बेढंगे व काले हो जाते हैं. इस के लिए बोरैक्स 0.6 फीसदी का छिड़काव करें. यदि तेला (हौपर) फूल पर नजर आए, तो मैलाथियान 50 ईसी की 1.0 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें.
अप्रैल में नीबू का सिल्ला, लीप माइनर और सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल की 1.0 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें. तने व फलों का गलना रोग के लिए बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें.
अमरूद में अप्रैल महीने में सिंचाई न करें. फूलों को तोड़ दें, ताकि फलमक्खी फूलों में अंडे न दे पाए. इस से फल सड़ जाते हैं.
पपीते की नर्सरी के लिए 1 क्विंटल देशी खाद मिला कर शैया तैयार करें. बीज को 1.0 ग्राम कैप्टान से उपचारित करें. जब पौधे उग आएं, तो 0.2 फीसदी कैप्टान का छिड़काव करें. इस से पौध आर्द्रगलन से बच जाएगी.
तरबूज में कीड़ों के लिए मैलाथियान 50 ईसी की 2.0 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़कें. पाउडरी मिल्ड्यू बीमारी के लिए कार्बंडाजिम 2.0 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़कें. दवा छिड़कने से पहले फल तोड़ लें या फिर छिड़काव 8 से 10 दिन के बाद ही करे.